देहरादून: उत्तराखंड लोकायुक्त के गठन का पिछले 12 सालों से इंतजार कर रहा है. हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे वक्त के बाद भी अब तक लोकायुक्त गठन की बात लोकायुक्त चयन समिति पर ही अटकी हुई है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकायुक्त समिति की बैठक ली. इस बैठक में लोकायुक्त चयन समिति के सदस्यों को लेकर चर्चा की गई. बताया जा रहा है कि अब अगली बैठक मार्च में की जाएगी. जिसमें अधिकारियों का चयन समिति के सदस्यों के लिए पैनल तैयार किया जाएगा. दरअसल राज्य में लोकायुक्त पद के लिए योग्यता का निर्धारण होना है, साथ ही सर्च कमेटी भी तय की जानी है.
राष्ट्रीय स्तर पर छाया रहा लोकपाल गठन मामला: दिल्ली में अन्ना आंदोलन के बाद देश में लोकपाल गठन का मामला राष्ट्रीय स्तर पर छाया रहा. यह वह समय था जब देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक माहौल सा तैयार हो गया था. केंद्र में UPA सरकार पर हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लग रहा था और समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे. दरअसल भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुई यह लड़ाई देश में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त गठन की मांग पर आ गई थी. इसके बाद काफी प्रयासों के बाद आंदोलन खत्म हुआ और भ्रष्टाचार के इसी मुद्दे पर केंद्र में यूपीए सरकार की विदाई भी हो गई. इतना ही नहीं आंदोलन में संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी पार्टी खड़ी कर दिल्ली की सत्ता को हासिल कर ली थी.
खंडूड़ी सरकार में प्रयास हुए थे शुरू: केंद्र सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 पास किया था, इसके बाद राज्यों के स्तर पर भी लोकायुक्त के गठन की प्रक्रिया शुरू की जानी थी. उत्तराखंड में सशक्त लोकायुक्त के लिए पहली बार खंडूड़ी सरकार में प्रयास शुरू हुए थे. जिसके लिए 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने मजबूत लोकायुक्त पर एक्सरसाइज की थी. इसे राज्य से मंजूरी दिलाने के बाद राष्ट्रपति से भी हरी झंडी मिल गई थी.हालांकि इस दौरान हुए विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी हार गई और कांग्रेस सत्ता में लौट आई.
लोकायुक्तों ने जिम्मेदारी भी संभाली: उत्तराखंड में वैसे साल 2002 में पहली निर्वाचित सरकार के दौरान लोकायुक्त का गठन कर दिया गया था. लेकिन इसे एक कमजोर लोकायुक्त माना गया. उत्तराखंड में साल 2002 से 2012 तक दो लोकायुक्तों ने जिम्मेदारी भी संभाली. लेकिन इसके बाद मजबूत लोकायुक्त लाने का प्रयास हुआ जो पिछले 12 सालों में पूरा नहीं हो पाया है.
लोकायुक्त का गठन राजनीतिक बैठकों में फंसा: भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे आंदोलन के चलते देश भर में माहौल था और ऐसे में लोकायुक्त को लेकर राजनीतिक नफा नुकसान के साथ क्रेडिट लेने की भी होड लगी हुई थी. भुवन चंद खंडूड़ी सरकार में ले गए संशोधित लोकायुक्त पर राजनीतिक चर्चाएं तेज थी, ऐसे में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई. हालांकि साल 2014 में हरीश रावत मुख्यमंत्री बने और उन्होंने भाजपा सरकार के लोकायुक्त में संशोधन कर इसे पास करवाया. इसके बाद लोकायुक्त को राज भवन भेजा गया, जहां से कुछ आपत्तियों के साथ यह फाइल सरकार को वापस लौटा दी गई. इसके बाद से ही लोकायुक्त का गठन राजनीतिक बैठकों में फंसा हुआ है.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं: इस मामले पर कांग्रेस आक्रामक रूप में दिखाई देती है. पार्टी का मानना है कि जब केंद्र में यूपीए सरकार थी, तब इस मामले पर अन्ना हजारे समेत तमाम लोगों ने खूब हल्ला किया. लेकिन अब भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है.हाल ही में CAG रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के मामले सामने आने की बात कहते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कहते हैं कि आज लोकायुक्त की बेहद ज्यादा जरूरत है और इसका गठन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए.
लंबे समय से लोकायुक्त का इंतजार: हालांकि उत्तराखंड में लोकायुक्त का कार्यालय 2002 में लोकायुक्त गठन के बाद से ही संचालित किया जा रहा है. जिसमें तमाम कर्मचारियों की भी नियुक्ति की गई है. हालांकि 12 साल से लोकायुक्त का गठन नहीं होने के कारण यह दफ्तर भी बिना काम के ही नए लोकायुक्त का इंतजार कर रहा है. बड़ी बात यह है कि बड़ी संख्या में इस कार्यालय में तमाम शिकायतें पहुंच रही हैं, लेकिन लोकायुक्त ना होने से इन पर विचार होना संभव नहीं है.
बीजेपी प्रवक्ता ने क्या कहा: इन तमाम स्थितियों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में लोकायुक्त समिति की बैठक होना इसको लेकर नई उम्मीद जाग रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में यूसीसी कानून लाने से लेकर भू कानून लाने को लेकर पहल करते दिखाई दिए हैं. ऐसे में लोकायुक्त गठन को लेकर उनकी तरफ से पहल की भी आस दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता खजान दास कहते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो ठान लेते हैं, वह करके रहते हैं. भ्रष्टाचार को लेकर सरकार का एजेंडा साफ रहा है, सरकार जल्द से जल्द नियमों के तहत लोकायुक्त गठन पर कदम बढ़ाएगी.
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