टिहरीः जिले के सबसे बड़े अस्पताल बोराड़ी को पीपीपी मोड पर दिए जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है. इस अस्पताल को जौलीग्रांट हिमालय को दिया गया है और इसे दिए हुए लगभग 1 साल से अधिक समय हो गया है. लेकिन हॉस्पिटल में इलाज की उचित व्यवस्था न होने से आए दिन कर्मचारियों और मरीजों में बहस होती रहती है.
जौलीग्रांट अस्पताल प्रबंधन की ओर से बैठकों का दौर शुरू हो गया है, लेकिन बैठक करने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है और आए दिन किसी न किसी रूप में विवाद होते रहते हैं. इलाज कराने आने वाले अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता हैं. वहीं दूर-दराज से इलाज कराने आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए अन्य जनपदों का रुख करना पड़ता हैं. जिससे उन्हें इलाज के लिए काफी ज्यादा धन खर्च करना पड़ता है.
वहीं अस्पताल में बेहतर सुविधा न होने से लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है. जिसको लेकर स्थानीय लोग मुखर होते जा रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है. जिस कारण आए दिन मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि जल्द व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई तो वे सड़कों पर उतरने को विवश होंगे. लोगों का कहना है कि जिला बोराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड पर दिए जाने से लोगों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने की आस जगी थी, लेकिन समय बीतने के साथ ही हालात उलट हैं. अस्पताल में व्यवस्थाओं का टोटा दूर-दराज से इलाज कराने आने वाले मरीजों पर भारी पड़ रहा है.
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अस्पताल के इंचार्ज का कहना है कि अस्पताल की व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए कर्मचारियों के साथ बैठक की जाती है. साथ ही बैठक में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का प्रयास किया जाता है. जिससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके. अस्पताल में जो भी कमी पाई जाएगी उसका जल्द निस्तारण किए जाने का प्रयास किया जाएगा.