देहरादून: उत्तराखंड भले ही शांत प्रदेश के रूप में जाना जाता है, लेकिन यहां हजारों लोग हैं जिन्हें हर समय अपनी जान का खतरा महसूस होता है. राजधानी देहरादून में ही ऐसे 12000 से ज्यादा लोग हैं जिन्हें राजधानी के शांत माहौल ने भी जान का डर सताता रहता है. इसी खतरे से निपटने के लिए इन्होंने सरकारी अनुमति के बाद हथियार रखे हैं. अब बीते रोज रुड़की में प्रणव चैंपियन और खानपुर विधायक उमेश कुमार फायरिंग विवाद के बाद शस्त्र लाइसेंस को लेकर कुछ सवाल भी उठने लगे हैं.
रुड़की में खुलेआम हुई फायरिंग से उत्तराखंड की शांत वादियां दहल उठी, हालांकि घटना के बाद जिलाधिकारी हरिद्वार ने पूर्व विधायक के परिवार को जारी 9 शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिरकार शांत प्रदेश में हज़ारों लोगों को क्यों जान का खतरा महसूस हो रहा है. बात देहरादून की करें तो राजधानी देहरादून में शस्त्र लाइसेंस की संख्या हैरान करने वाली है. खास बात यह है कि साल दर साल वैध रूप से हथियार रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
देहरादून में 12500 लाइसेंसी हथियार: साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार राजधानी देहरादून में जिलाधिकारी कार्यालय ने कुल 12344 शस्त्र लाइसेंस जारी किए. इसके अलावा 209 शस्त्र लाइसेंस ऐसे हैं जो देहरादून में राजस्व पुलिस क्षेत्र के अंतर्गत लिए गए हैं. इस तरह देखा जाए तो देहरादून में करीब 12500 से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस जारी हुए हैं. यानी अकेले देहरादून में ही 12500 हथियार आम लोगों के पास मौजूद हैं.
डीएम जारी करते हैं लाइसेंस: शस्त्र लाइसेंस पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होता है. इसके बाद ऐसे लोगों को हथियार दिए जाते हैं जिन्हें जान का खतरा होता है. ऐसे लोगों के मेडिकल सर्टिफिकेट से लेकर उनकी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा जांच रिपोर्ट भी जिलाधिकारी कार्यालय में उपलब्ध कराई जाती है. जान का खतरा होने की बात स्पष्ट होने के बाद ही लाइसेंस दिए जाते हैं. इसके लिए वन विभाग में वाइल्डलाइफ कार्यालय से भी NOC लेनी होती है.
हर साल करीब 100 से ज्यादा लाइसेंस होते हैं जारी: देहरादून डीएम ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार अकेले राजधानी देहरादून में ही हर साल करीब 100 से ज्यादा लाइसेंस जारी किए जाते हैं. लाइसेंस अप्लाई करने वालों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा होती है. बड़ी बात यह है कि हर साल आवेदन करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इसी लिहाज से शस्त्र लाइसेंस जारी भी हो रहे हैं. पिछले 5 सालों में करीब 700 लाइसेंस जारी हुए हैं. इस तरह यह कहा जा सकता है कि राजधानी देहरादून में हथियार रखने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है.
हाथियारों के शौकीन भी करते हैं आवेदन: ऐसा नहीं है कि हथियार रखने की इच्छा वाले सभी लोगों को जान का खतरा होता है बल्कि इसमें अधिकतर लोग ऐसे होते हैं जो अपने शौक या स्टेटस सिंबल के कारण शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं. बेवजह शस्त्र लाइसेंस न दिए जाएं इसके लिए कई बार सख्ती भी की जाती है, लेकिन रुड़की में हथियारों की नुमाइश जैसी घटनाएं शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में पुनर्विचार करने पर विवश करती हैं. शस्त्र लाइसेंस चाहने वालों के लिए प्रक्रिया को मुश्किल और पारदर्शी बनाने की भी जरूरत को जाहिर करती हैं.
पढे़ं- फायरिंग विवाद के बाद चैंपियन को बड़ा झटका, सभी हथियारों के लाइसेंस कैंसिल, नोटिस जारी