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टिहरी: जंगल के रास्ते सफर करने को मजबूर कांवड़ यात्री, सुनिए आपबीती

टिहरी जिले में कांवड़ यात्री अपनी जान को जोखिण में डालकर यात्रा करने को मजबूर हैं. 8 जुलाई से अभी तक टिहरी जिले के अंतर्गत बेलख-झाला- त्रियुगीनारायण-केदारनाथ जाने वाला पैदल रास्ता बन्द है. जिसके कारण कांवड़ यात्री जगंलों के रास्ते सफर करने को मजबूर हैं.

Kanwar travelers forced to travel through forests in Tehri district
टिहरी जिले में जंगलों के रास्ते सफर करने को मजबूर कांवड़ यात्री
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Published : Jul 17, 2022, 5:27 PM IST

टिहरी: जिले के घनसाली विधानसभा के बूढ़ाकेदार में 8 जुलाई को भारी बारिश होने के चलते बूढ़ाकेदार और उसके आसपास की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई थी. जिसमें बेलख-भटवाड़ी-त्रियुगीनारायण वाला रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था. इस रास्ते से गंगोत्री से केदारनाथ जाने वाले कांवड़िए गंगाजल लेकर जाते हैं, मगर 8 जुलाई की तेज बारिश के बाद टूटी सड़कों पर अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है. जिसके कारण कांवड़िए जान जोखिम में डालकर घनघोर जंगलों से टूटे फूटे रास्तों से होकर केदारनाथ गंगाजल चढ़ाने जा रहे हैं.

कांवड़ियों ने रास्तों की हकीकत अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर दिखाई है. दिल्ली से आए कावड़िए गंगोत्री से गंगा जल लेकर केदारनाथ जाते समय घनसाली के बेलख-झाला का रास्ता पूरी तरह से टूटा होने के कारण जंगलों के रास्ते बूढ़ाकेदार तक आ रहे हैं. तमाम परेशानियों से जूझते हुए कांवड़िये अपनी यात्रा पूरी करने की कोशिशों में लगे हुए हैं.

जंगल के रास्ते सफर करने को मजबूर कांवड़ यात्री.

पढ़ें- हरिद्वार में कांवड़ मेले के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम, जमीं से आसमान तक सिक्योरिटी सख्त

आश्चर्य की बात है यह है कि टिहरी जिला आपदा प्रबंधन केंद्र 8 जुलाई से अब सोया हुआ है. अभी तक टिहरी जिले के अंतर्गत बेलख-झाला-त्रियुगीनारायण-केदारनाथ जाने वाला पैदल रास्ता बन्द है. इसे खोलने के लिए न तो लोक निर्माण विभाग घनसाली और न ही जिला आपदा प्रबंधन ने कोई कदम उठा रहा है. जिसका खामियाजा कांवड़ियों को भुगतना पड़ रहा है.

टिहरी: जिले के घनसाली विधानसभा के बूढ़ाकेदार में 8 जुलाई को भारी बारिश होने के चलते बूढ़ाकेदार और उसके आसपास की सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई थी. जिसमें बेलख-भटवाड़ी-त्रियुगीनारायण वाला रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था. इस रास्ते से गंगोत्री से केदारनाथ जाने वाले कांवड़िए गंगाजल लेकर जाते हैं, मगर 8 जुलाई की तेज बारिश के बाद टूटी सड़कों पर अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है. जिसके कारण कांवड़िए जान जोखिम में डालकर घनघोर जंगलों से टूटे फूटे रास्तों से होकर केदारनाथ गंगाजल चढ़ाने जा रहे हैं.

कांवड़ियों ने रास्तों की हकीकत अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर दिखाई है. दिल्ली से आए कावड़िए गंगोत्री से गंगा जल लेकर केदारनाथ जाते समय घनसाली के बेलख-झाला का रास्ता पूरी तरह से टूटा होने के कारण जंगलों के रास्ते बूढ़ाकेदार तक आ रहे हैं. तमाम परेशानियों से जूझते हुए कांवड़िये अपनी यात्रा पूरी करने की कोशिशों में लगे हुए हैं.

जंगल के रास्ते सफर करने को मजबूर कांवड़ यात्री.

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आश्चर्य की बात है यह है कि टिहरी जिला आपदा प्रबंधन केंद्र 8 जुलाई से अब सोया हुआ है. अभी तक टिहरी जिले के अंतर्गत बेलख-झाला-त्रियुगीनारायण-केदारनाथ जाने वाला पैदल रास्ता बन्द है. इसे खोलने के लिए न तो लोक निर्माण विभाग घनसाली और न ही जिला आपदा प्रबंधन ने कोई कदम उठा रहा है. जिसका खामियाजा कांवड़ियों को भुगतना पड़ रहा है.

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