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बैसाखी के पर्व पर धनौल्टी में बिखोत मेले का आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

बैसाखी पर्व पर जगह-जगह लगने वाले मेलों की शुरुआत हो गई है. बैसाखी पर्व पर सबसे पहले लगने वाला बिखोत मेला कंडीसौड़ बाजार में सज चुका है.

बैसाखी के पर्व पर धनौल्टी में बिखोत मेले का आयोजन.
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Published : Apr 14, 2019, 9:27 PM IST

धनौल्टी: बैसाखी पर्व पर जगह-जगह लगने वाले मेलों की शुरुआत हो गई है. बैसाखी पर्व पर सबसे पहले लगने वाला बिखोत मेला कंडीसौड़ बाजार में सज चुका है. मेले को लेकर बच्चों से लेकर बूढ़ों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. लोग हर्षोल्लास के साथ मेले का आनंद ले रहे हैं.

बैसाखी के पर्व पर धनौल्टी में बिखोत मेले का आयोजन.

बता दें, बिखोत मेला पले पहले टिहरी के छाम बाजार से सटे भागीरथी तट पर लगता था, लेकिन भागीरथ तट झील में समा जाने से इस मेले का आयोजन कंडीसौड़ बाजार किया जाने लगा है. पहले भागीरथी तट को कुंञ्ज घाट तरासौड़ के नाम से भी जाना जाता था.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बिना खत या चिट्ठी के आपसी मेल मिलाप को बिखोत कहा जाता है. क्योंकि भागीरथी नदी के एक ओर टिहरी और दूसरी ओर उत्तरकाशी होने के चलते लोगों के मेल मिलाप का केंद्र यही जगह थी. इसलिए अब इस स्थान ने मेले का रूप ले लिया है.

धनौल्टी: बैसाखी पर्व पर जगह-जगह लगने वाले मेलों की शुरुआत हो गई है. बैसाखी पर्व पर सबसे पहले लगने वाला बिखोत मेला कंडीसौड़ बाजार में सज चुका है. मेले को लेकर बच्चों से लेकर बूढ़ों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. लोग हर्षोल्लास के साथ मेले का आनंद ले रहे हैं.

बैसाखी के पर्व पर धनौल्टी में बिखोत मेले का आयोजन.

बता दें, बिखोत मेला पले पहले टिहरी के छाम बाजार से सटे भागीरथी तट पर लगता था, लेकिन भागीरथ तट झील में समा जाने से इस मेले का आयोजन कंडीसौड़ बाजार किया जाने लगा है. पहले भागीरथी तट को कुंञ्ज घाट तरासौड़ के नाम से भी जाना जाता था.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बिना खत या चिट्ठी के आपसी मेल मिलाप को बिखोत कहा जाता है. क्योंकि भागीरथी नदी के एक ओर टिहरी और दूसरी ओर उत्तरकाशी होने के चलते लोगों के मेल मिलाप का केंद्र यही जगह थी. इसलिए अब इस स्थान ने मेले का रूप ले लिया है.

Intro:पौराणिक बिखोत मेले के साथ ही क्षेत्र में जगह जगह लगने वाले मेलों की भी शुरुआतBody: धनोल्टी ( टिहरी)

स्लग-पौराणिक बिखोत मेले के साथ ही क्षेत्र में बैसाखी मेलो की हुई शुरूआत

एंकर - बैसाखी के पर्व पर पौराणिक बिखोत मेले के साथ ही आज से पूरे माह क्षेत्र मे जगह जगह लगने वाले बैसाखी मेलो की शुरुआत हो गई है ।
बैसाखी पर्व पर सबसे पहले लगने वाला छाम बिखोत मेला पहले टिहरी बाध झील मे समा चुके छाम बाजार से सटे भागीरथी तट पर लगता था जिसे कृष्ण कुंञ्ज घाट तरासौड़ नाम से जाना जाता था । बिखोत यानि बिना खत (चिठ्ठी) के सीधे आपसी मेल मिलाप
बर्षो पुराने इस पौराणिक मेले मे क्षेत्र की कई देव डोलियां स्नान करने आते थी और लोग दूर दराज से मेला देखने आते थे साथ ही यह पर भागीरथी नदी के इस पार टिहरी तो उस पार उत्तरकाशी जनपद होने से लोगों के मेल मिलाप का केन्द्र बिन्दु था
अब छाम बाजार के डूबने के बाद यह मेला कण्डीसौड़ बाजार मे लगता है बैशाखी के इस पहले मेले को लेकर बच्चों मे काफी उत्साह होता है जिसकी बच्चे बेसब्री से इन्तजार करते है

Conclusion:बरसो पुराने भागीरथी नदी के तट पर लगने वाले इस मेले का क्षेत्र में है बड़ा महत्व

टिहरी झील बनने से पहले भागीरथी तट पर कृष्ण कुंज घाट मैं देव डोलियों के स्नान के साथ होती थी विकास मेले की शुरुआत

पुराने जमाने अपनों के हालचाल जानने का एकमात्र साधन खत ( चिठ्ठी) के जरिए आपसी मेल मिलाप काफी एहसास होता था

लोगों में वर्षभर बिखोत का इंतजार रहता था जहां पर अपनों से बिना खत( चिठ्ठी) के मेल मिलाप हो सके
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