रुद्रप्रयाग: बदरीनाथ हाईवे से सटे सुमेरपुर के ग्रामीणों ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण कर रही कार्यदायी संस्था मेघा कंपनी पर पैतृक घाट तथा पैदल मार्ग को क्षतिग्रस्त करने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों ने कहा कि कंपनी ने उनके पैदल रास्तों को क्षतिग्रस्त कर दिया है. इस कारण आने-जाने के रास्ते बंद हो गए हैं और लोगों को शवों को घाट तक लाने में काफी दिक्कतें हो रही हैं. इसके साथ ही ग्रामीणों को रेल परियोजना का मुआवजा भी नहीं मिल पाया है. जबकि क्षेत्र के बीच में लगे हाॅट मिक्स प्लांट के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतें हो रही हैं.
बता दें कि ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लगभग पांच किमी दूर सुमेरपुर में रेल लाइन निर्माण कार्य से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. निर्माण कार्य कर रही मेघा कंपनी पर ग्रामीणों ने मनमानी का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि रेलवे विकास निगम व कार्यदायी संस्था द्वारा गांव का पैदल रास्ता, पैतृक घाट का रास्ता, पेयजल लाइन व अन्य परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है. कई बार अवगत कराने पर भी मरम्मत नहीं की जा रही है. साथ ही निर्माण कार्य से धूल उड़ रही है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही हैं.
ग्रामीणों ने कहा कि निर्माण कार्य से डुंगरी, भुनका, धांधड़ पोखरी, रतूड़ा, डांग, चोपड़ी खेत, सुमेरपुर गांव को जाने वाले रास्ते क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. लोगों के पानी के स्रोत तोड़ दिए गए हैं. सुमेरपुर में धूल ही धूल उड़ रही है. लोगों के आवासीय भवनों के पीछे मलबे के ढेर लगाए जा रहे हैं, जिस कारण धूल सीधे घरों के भीतर जा रही है. हाॅट मिक्स प्लांट लगाकर रात-दिन धुंआ छोड़ा जा रहा है. उन्होंने परियोजना में गांव के युवाओं को रोजगार देने की मांग भी की है.
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ग्रामीणों ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने के बजाय बाहरी शहरों से लोगों को लाया जा रहा है, जिससे स्थानीय युवा परेशान हैं. उन्होंने कहा कि रेल परियोजना कार्य से जनता काफी परेशान है. दिन भर लोगों के घरों के भीतर धूल उड़ रही है, जिस कारण लोग बीमार हो रहे हैं. हाॅट मिक्स प्लांट के कारण धुंआ ही धुंआ फैल रहा है. इस धुंए के कारण भी लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. लोगों ने कहा कि रेल परियोजना में स्थानीय लोगों की जमीन को काटा गया है, जबकि अभी तक ग्रामीणों को उसका उचित मुआवजा नहीं मिल पाया है. हरे-भरे पेड़ों को काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
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ग्रामीणों ने कहा कि यदि निर्माण कार्य से स्थानीय लोगों के भवनों को नुकसान पहुंचता है, उसकी जिम्मेदारी निर्माणदायी कंपनी की होगी. साथ ही आक्रोश जताते हुए कहा कि शीघ्र ही निर्माणदायी कंपनी ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो क्षेत्रीय जनता आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगी.
जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि जिन लोगों को रेलवे का मुआवजा नहीं मिला है, उन्हें एक महीने के भीतर मुआवजा दे दिया जायेगा. इसके साथ ही पैदल मार्गो को दुरुस्त करवाया जाएगा और हाॅट मिक्स प्लांट की जांच की जाएगी.