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Nature Festival 2023: चिरबटिया में प्रकृति और पक्षी प्रेमियों का जमावड़ा, पक्षियों का दिख रहा संसार - चीर फिजेंट पक्षी को बचाने की पहल

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के चिरबटिया में दो दिवसीय नेचर फेस्टिवल का आगाज हो गया है. जहां जाने माने पक्षी और प्रकृति प्रेमी के अलावा फोटोग्राफर जुटे हैं. इस दौरान पक्षी विशेषज्ञों ने नाइट कैंपिंग कर अहम जानकारियां जुटाई.

Nature Festival 2023
नेचर फेस्टिवल रुद्रप्रयाग
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Published : Mar 12, 2023, 1:39 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 2:45 PM IST

चिरबटिया में दो दिवसीय नेचर फेस्टिवल का आगाज.

रुद्रप्रयागः प्रकृति और पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले चिरबटिया में एक बार फिर से दो दिवसीय चिरबटिया नेचर फेस्टिवल शुरू हो गया है. इस मौके पर पक्षी विशेषज्ञ और वन विभाग के अधिकारियों ने पटागणियां में नाइट कैंपिंग कर पक्षियों की जानकारियां जुटाई. वहीं, फेस्टिवल में कठपुतली मंचन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. जबकि, विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने गीत, नाटक और नृत्य भी प्रस्तुत किए.

चिरबटिया का नाम कैसे पड़ा? दुर्लभ पक्षी मानी जाने वाली चीर फिजेंट के नाम से रुद्रप्रयाग के चिरबटिया जगह का नाम पड़ा है. आम धारणा है कि चीर फीजेंट कश्मीर और नेपाल में पाए जाते हैं, लेकिन रुद्रप्रयाग के चिरबटिया में ये पक्षी आसानी से दिख जाता है. इसके साथ ही यहां जंगलों और गांवों के आस-पास करीब 150 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां रहती हैं.

यही कारण है कि दुनिया भर के बर्ड वॉचर के लिए चिरबटिया आकर्षण का केंद्र बन रहा है. इसके साथ ही यहां ईको टूरिज्म, हिमालय व्यू, ट्रेकिंग और जंगल कैंपिंग की भी अपार संभावनाएं हैं. इस बार वन विभाग की ओर से आयोजित चिरबटिया नेचर फेस्टिवल में 100 से ज्यादा बर्ड वॉचर पहुंच चुके हैं. जो यहां के नेचर को देख गदगद दिख रहे हैं.

वन विभाग की ओर से चिरबटिया को ईको टूरिज्म का हब बनाने के लिए सालों से काम किया जा रहा है. विभाग की ओर से हर साल चिरबटिया में नेचर और बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. धीरे-धीरे चिरबटिया एक ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है. यहां आने वाले बर्ड वॉचर मानते हैं कि अगर कनेक्टिविटी के संसाधन मजबूत किए जाएं तो चिरबटिया में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं.
ये भी पढेंः विलुप्त हो रहे चीर फिजेंट पक्षी को बचाने की पहल, वन विभाग ने जंगल में छोड़े 9 परिंदे

वहीं, वन विभाग के चिरबटिया परिसर में आयोजित नेचर फेस्टिवल का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, डीएफओ अभिमन्यु सिंह, लेपर्ड विशेषज्ञ जयवीर बक्शी ने किया. जिपं अध्यक्ष अरमदेई शाह ने चिरबटिया में नेचर फेस्टिवल के आयोजन को सराहनीय पहल बताया. इससे एक ओर वन्य जीव जंतु एवं पक्षियों के संरक्षण होगा. वहीं, समाज से जुडे़ लोग भी नेचर के प्रति जागरूक होंगे.

प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु सिंह ने बताया कि वन विभाग की ओर से प्रदर्शनी के माध्यम से अनेक पक्षी पक्षियों से संबंधित जानकारी दी गई. विभिन्न जिलों के अलावा देश के दिल्ली, मुंबई से बर्ड वाचरों का दल चिरबटिया पहुंचा है. जो यहां के पक्षियों को देखकर उनकी जानकारियां जुटाएगा. इस फेस्टिवल को नेशनल एवं इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाने के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे.

ईको टूरिज्म के लिए रोडमैप किया जा रहा तैयारः उन्होंने बताया कि चिरबटिया से ट्रेकिंग कर मखमली बुग्याल के लिए विश्व प्रसिद्ध पंवाली बुग्याल आसानी से जाया जा सकता है. रुद्रप्रयाग वन विभाग के डीएफओ अभिमन्यु ने बताया कि चिरबटिया को ईको पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने के लिए वन विभाग बड़ा रोडमैप तैयार कर रहा है.

चिरबटिया में दो दिवसीय नेचर फेस्टिवल का आगाज.

रुद्रप्रयागः प्रकृति और पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले चिरबटिया में एक बार फिर से दो दिवसीय चिरबटिया नेचर फेस्टिवल शुरू हो गया है. इस मौके पर पक्षी विशेषज्ञ और वन विभाग के अधिकारियों ने पटागणियां में नाइट कैंपिंग कर पक्षियों की जानकारियां जुटाई. वहीं, फेस्टिवल में कठपुतली मंचन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. जबकि, विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने गीत, नाटक और नृत्य भी प्रस्तुत किए.

चिरबटिया का नाम कैसे पड़ा? दुर्लभ पक्षी मानी जाने वाली चीर फिजेंट के नाम से रुद्रप्रयाग के चिरबटिया जगह का नाम पड़ा है. आम धारणा है कि चीर फीजेंट कश्मीर और नेपाल में पाए जाते हैं, लेकिन रुद्रप्रयाग के चिरबटिया में ये पक्षी आसानी से दिख जाता है. इसके साथ ही यहां जंगलों और गांवों के आस-पास करीब 150 से ज्यादा प्रजाति की पक्षियां रहती हैं.

यही कारण है कि दुनिया भर के बर्ड वॉचर के लिए चिरबटिया आकर्षण का केंद्र बन रहा है. इसके साथ ही यहां ईको टूरिज्म, हिमालय व्यू, ट्रेकिंग और जंगल कैंपिंग की भी अपार संभावनाएं हैं. इस बार वन विभाग की ओर से आयोजित चिरबटिया नेचर फेस्टिवल में 100 से ज्यादा बर्ड वॉचर पहुंच चुके हैं. जो यहां के नेचर को देख गदगद दिख रहे हैं.

वन विभाग की ओर से चिरबटिया को ईको टूरिज्म का हब बनाने के लिए सालों से काम किया जा रहा है. विभाग की ओर से हर साल चिरबटिया में नेचर और बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. धीरे-धीरे चिरबटिया एक ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है. यहां आने वाले बर्ड वॉचर मानते हैं कि अगर कनेक्टिविटी के संसाधन मजबूत किए जाएं तो चिरबटिया में ईको टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं.
ये भी पढेंः विलुप्त हो रहे चीर फिजेंट पक्षी को बचाने की पहल, वन विभाग ने जंगल में छोड़े 9 परिंदे

वहीं, वन विभाग के चिरबटिया परिसर में आयोजित नेचर फेस्टिवल का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, डीएफओ अभिमन्यु सिंह, लेपर्ड विशेषज्ञ जयवीर बक्शी ने किया. जिपं अध्यक्ष अरमदेई शाह ने चिरबटिया में नेचर फेस्टिवल के आयोजन को सराहनीय पहल बताया. इससे एक ओर वन्य जीव जंतु एवं पक्षियों के संरक्षण होगा. वहीं, समाज से जुडे़ लोग भी नेचर के प्रति जागरूक होंगे.

प्रभागीय वनाधिकारी अभिमन्यु सिंह ने बताया कि वन विभाग की ओर से प्रदर्शनी के माध्यम से अनेक पक्षी पक्षियों से संबंधित जानकारी दी गई. विभिन्न जिलों के अलावा देश के दिल्ली, मुंबई से बर्ड वाचरों का दल चिरबटिया पहुंचा है. जो यहां के पक्षियों को देखकर उनकी जानकारियां जुटाएगा. इस फेस्टिवल को नेशनल एवं इंटरनेशनल लेवल पर पहचान दिलाने के लिए पूरे प्रयास किए जाएंगे.

ईको टूरिज्म के लिए रोडमैप किया जा रहा तैयारः उन्होंने बताया कि चिरबटिया से ट्रेकिंग कर मखमली बुग्याल के लिए विश्व प्रसिद्ध पंवाली बुग्याल आसानी से जाया जा सकता है. रुद्रप्रयाग वन विभाग के डीएफओ अभिमन्यु ने बताया कि चिरबटिया को ईको पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने के लिए वन विभाग बड़ा रोडमैप तैयार कर रहा है.

Last Updated : Mar 12, 2023, 2:45 PM IST
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