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कवायद: रुद्रप्रयाग में जल संरक्षण के लिए 2700 चाल-खाल का निर्माण

जिले के जल संकटग्रस्त स्त्रोतों पर जल संरक्षण का कार्य महाभियान के रूप में किया गया. अभियान के पहले दिन में समस्त 27 गांवों में कुल 2700 चाल-खाल का निर्माण कार्य किया गया.

जल संरक्षण अभियान चलाकर लोगों को किया जागरुक.
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Published : Jul 13, 2019, 11:08 AM IST

रुद्रप्रयाग: जिले के 27 गांव में जल संरक्षण, संर्वद्धन और संचय के लिए तैनात नोडल अधिकारियों की अध्यक्षता में स्त्रोत सुधारीकरण का कार्य किया गया. अभियान के पहले दिन में समस्त 27 गांवों में कुल 2700 चाल-खाल का निर्माण कार्य किया गया. कल से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किया जाएगा. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पानी की कमी को पूरा करने के लिए जल स्त्रोत का निर्माण करना है.

जल संरक्षण अभियान चलाकर लोगों को किया जागरुक.

चाल-खाल का मानक एक मीटर गहरी और एक मीटर चौड़ी तय किया गया. जिले के जल संकटग्रस्त स्त्रोतों पर जल संरक्षण का कार्य महाभियान के रूप में किया गया. इससे आगामी गर्मी के सीजन में जनपदवासियों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पडेगा.

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के नेतृत्व में ग्राम भीमली-बन्दरतोली के स्त्रोत पर जल स्त्रोत को पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया. प्रत्येक व्यक्ति को पांच-पांच चाल-खाल बनाने का लक्ष्य जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया, जिसे स्त्रोत पर उपस्थित समस्त ग्रामीण, छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल द्वारा पूरा किया गया. इन खन्तियों के निर्माण से वर्षा का जल चाल-खाल में संचित होगा, जिससे भूमिगत जल में वृद्वि होगी.

ये भी पढ़ें: विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल हुआ 'कमजोर', जानें 90 सालों का इतिहास

जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है. गर्मी का सीजन आते ही ग्रामीणों को पानी की समस्या शुरू हो जाती है, जिस कारण बहुधा विभागों के चक्कर काटने पडते हैं. गांव मे पुराने, परम्परागत जल स्त्रोत के सूख जाने पर ग्रामीणों की विभागों से मांग होती है कि किसी अन्य स्त्रोत से उन्हें पानी दिया जाए.
इस मांग को पूरा करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. ग्रामीणों की सहभागिता से यह कार्य पूरा होना है तब जाकर आने वाले वर्षों में पानी की समस्या नहीं होगी.

इस अवसर पर पौड़ी की संस्था गढ़लोक कला मंच ने जल संरक्षण के महत्व को नुक्कड नाटक के माध्यम से समझाया. साथ ही उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के साथ-साथ वनों के संरक्षण और जल के दुरूपयोग पर भी ध्यान दिया जाए. कई बार लोग अपने घरेलू और अन्य कार्यो में व्यस्त हो जाते है कि नल खुला हुआ छोड़ देते हैं.

रुद्रप्रयाग: जिले के 27 गांव में जल संरक्षण, संर्वद्धन और संचय के लिए तैनात नोडल अधिकारियों की अध्यक्षता में स्त्रोत सुधारीकरण का कार्य किया गया. अभियान के पहले दिन में समस्त 27 गांवों में कुल 2700 चाल-खाल का निर्माण कार्य किया गया. कल से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किया जाएगा. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पानी की कमी को पूरा करने के लिए जल स्त्रोत का निर्माण करना है.

जल संरक्षण अभियान चलाकर लोगों को किया जागरुक.

चाल-खाल का मानक एक मीटर गहरी और एक मीटर चौड़ी तय किया गया. जिले के जल संकटग्रस्त स्त्रोतों पर जल संरक्षण का कार्य महाभियान के रूप में किया गया. इससे आगामी गर्मी के सीजन में जनपदवासियों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पडेगा.

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के नेतृत्व में ग्राम भीमली-बन्दरतोली के स्त्रोत पर जल स्त्रोत को पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया. प्रत्येक व्यक्ति को पांच-पांच चाल-खाल बनाने का लक्ष्य जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया, जिसे स्त्रोत पर उपस्थित समस्त ग्रामीण, छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल द्वारा पूरा किया गया. इन खन्तियों के निर्माण से वर्षा का जल चाल-खाल में संचित होगा, जिससे भूमिगत जल में वृद्वि होगी.

ये भी पढ़ें: विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल हुआ 'कमजोर', जानें 90 सालों का इतिहास

जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है. गर्मी का सीजन आते ही ग्रामीणों को पानी की समस्या शुरू हो जाती है, जिस कारण बहुधा विभागों के चक्कर काटने पडते हैं. गांव मे पुराने, परम्परागत जल स्त्रोत के सूख जाने पर ग्रामीणों की विभागों से मांग होती है कि किसी अन्य स्त्रोत से उन्हें पानी दिया जाए.
इस मांग को पूरा करने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है. ग्रामीणों की सहभागिता से यह कार्य पूरा होना है तब जाकर आने वाले वर्षों में पानी की समस्या नहीं होगी.

इस अवसर पर पौड़ी की संस्था गढ़लोक कला मंच ने जल संरक्षण के महत्व को नुक्कड नाटक के माध्यम से समझाया. साथ ही उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के साथ-साथ वनों के संरक्षण और जल के दुरूपयोग पर भी ध्यान दिया जाए. कई बार लोग अपने घरेलू और अन्य कार्यो में व्यस्त हो जाते है कि नल खुला हुआ छोड़ देते हैं.

Intro:रूद्रप्रयाग -
जनपद की 27 गांव में जल संरक्षण, संर्वद्धन व संचय के लिए गांव में तैनात नोडल अधिकारियों की अध्यक्षता व तकनीकी सहायक, एनएसएस के छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल व समस्त ग्रामवासियों के सहयोग से स्त्रोत सुधारीकरण का कार्य किया गया। आज अभियान के प्रथम दिवस को श्रमदान के रूप में समस्त 27 गांवों के स्त्रोत के ढालों पर लगभग कुल 2700 खन्तियां, चाल,-खाल का निर्माण कार्य किया गया। कल से इन गांवों में यह कार्य मनरेगा के माध्यम से किए जाएगंे। एक खन्ती का मानक एक मीटर गहरी व एक मीटर चैडे के अनुसार खन्तियों का निर्माण किया गया। जनपद के जल संकटग्रस्त स्त्रोतों पर जल संरक्षण का कार्य महा अभियान के रूप में किया गया। इससे आगामी ग्रीष्म काल में जनपदवासियों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पडेगा।Body:रूद्रप्रयाग -

जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल के नेतृत्व में ग्राम भीमली-बन्दरतोली के स्त्रोत पर जल स्त्रोत को पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया जो कि गांव से लगभग दो किमी की चढाई पर स्थित है। प्रत्येक व्यक्ति को पांच-पंाच खन्ती बनाने का लक्ष्य जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया जिसे स्त्रोत पर उपस्थित समस्त ग्रामीण, छात्र-छात्राओं, महिला मंगल दल द्वारा पूरा किया गया। इन खन्तियों के निर्माण से वर्षा का जल खन्तियों में जमा होगा व भूमिगत जल में वृद्वि होगी।
इसके पश्चात गांव के चैक में सभी लोग एकत्रित हुए। जिलाधिकारी ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जल की महत्ता को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। ग्रीष्म ऋतु आते ही ग्रामीणों की पानी की समस्या शुरू हो जाती है जिस कारण बहुधा विभागों के चक्कर काटने पडते है। गंाव मे पुराने , परम्परागत जल स्त्रोता के सूख जाने पर ग्रामीणों की विभागों से मांग होती है कि किसी अन्य स्त्रोत से उन्हें पानी दिया जाए। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहेगी कि आज इस स्त्रोत से पानी मिले, कल किसी अन्य स्त्रोत से पानी की तलाश की जाएगी। इससे बेहतर है हम अपने परम्परागत जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करे। इसके लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। आज अभियान शुरू हो गया है अब ग्रामीणों की सहभागिता से यह कार्य पूरा होना है तभी जाकर आने वाले वर्षो में पानी की समस्या नही होगी। अन्यथा वह समय दूर नहीं जब पानी के लिए लोगों को तरसना पडेगा। हाल ही में पर्यटक स्थल शिमला, चैन्नई में पानी की समस्या के कारण वहां कि सरकारों द्वारा पर्यटकों पर रोक लगाई गई।
इस अवसर पर पौडी की संस्था गढ लोक कला मंच द्वारा जल संरक्षण के महत्व को नुक्कड नाटक के माध्यम से समझाया गया। उन्होंने बताया कि जल संरक्षण के साथ-साथ वनों के संरक्षण व जल के दुरूपयोग पर भी ध्यान दिया जाए। कई बार लोग अपने घरेलू व अन्य कार्यो में व्यस्त हो जाते है तथा भूल जाते है कि नल खुला छोड दिया है। इसके पश्चात समस्त लोगों को महिला मंगल दल द्वारा मालू के पत्तों से निर्मित पत्तल व दोने में खाना खिलाया गया।Conclusion:
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