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जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्टाफ तैनाती मामला, HC ने सरकार से मांगी प्रगति रिपोर्ट - UTTARAKHAND HIGH COURT

नैनीताल हाईकोर्ट ने जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में स्टाफ की तैनाती के मामले में केंद्र की योजनाओं को लेकर राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी.

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जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में स्टाफ की तैनाती के मामले में केंद्र की योजनाओं को लेकर राज्य सरकार से प्रगति रिपोर्ट मांगी. (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 17 hours ago

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टाफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में आज पूर्व के आदेश पर सचिव स्वास्थ्य, सचिव समाज कल्याण, कमिश्नर गढ़वाल और कमिश्रर कुमाऊं कोर्ट में पेश हुए.

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से 14 फरवरी तक इस मामले में केंद्र सरकार की जो दिव्यांगजनों के लिए योजनाएं हैं, उसे लागू करने के लिए राज्य सरकार ने क्या नीति अपनाई है? उसकी प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

बुधवार को स्वास्थ्य सचिव, सचिव समाज कल्याण समेत कमिश्नर गढ़वाल, कमिश्नर कुमाऊं दीपक रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सचिव स्वास्थ्य ने माना कि दिव्यांगजनों को केंद्र सरकार की ओर से जारी सभी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन्हें लागू करने के लिए सरकार को समय चाहिए. इनको सुनने के बाद कोर्ट ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई हेतु 14 फरवरी की तिथि नियत की है.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है. दिव्यांगों की संख्या भी अधिक है. जबकि इनकी सहायता के लिए केंद्र सरकार की फ्री योजना है. राज्य सरकार को कोई खर्चा नहीं करना है. तब भी राज्य सरकार केंद्र की योजना का लाभ इन्हें नहीं दे रही.

मामले के अनुसार, मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की संस्था 'रोशनी' की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार के फंड से जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं. इन केंद्रों में अलग-अलग श्रेणी के दिव्यांगजनों की मदद के लिए विशेषज्ञ स्टाफ की नियुक्ति और अन्य ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं. जिसका समस्त खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. किंतु टिहरी जिले को छोड़ अन्य जिलों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिस कारण इस अति महत्वपूर्ण सुविधा के लाभ से दिव्यांगजन वंचित हैं.

ये भी पढ़ेंः जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्टाफ तैनाती मामला, हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, जानिये क्या हुआ

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के जिलों में स्थापित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्रों में विशेषज्ञ स्टाफ की तैनाती की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में आज पूर्व के आदेश पर सचिव स्वास्थ्य, सचिव समाज कल्याण, कमिश्नर गढ़वाल और कमिश्रर कुमाऊं कोर्ट में पेश हुए.

मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से 14 फरवरी तक इस मामले में केंद्र सरकार की जो दिव्यांगजनों के लिए योजनाएं हैं, उसे लागू करने के लिए राज्य सरकार ने क्या नीति अपनाई है? उसकी प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

बुधवार को स्वास्थ्य सचिव, सचिव समाज कल्याण समेत कमिश्नर गढ़वाल, कमिश्नर कुमाऊं दीपक रावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए. सचिव स्वास्थ्य ने माना कि दिव्यांगजनों को केंद्र सरकार की ओर से जारी सभी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन्हें लागू करने के लिए सरकार को समय चाहिए. इनको सुनने के बाद कोर्ट ने एक माह का समय देते हुए अगली सुनवाई हेतु 14 फरवरी की तिथि नियत की है.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है. दिव्यांगों की संख्या भी अधिक है. जबकि इनकी सहायता के लिए केंद्र सरकार की फ्री योजना है. राज्य सरकार को कोई खर्चा नहीं करना है. तब भी राज्य सरकार केंद्र की योजना का लाभ इन्हें नहीं दे रही.

मामले के अनुसार, मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों की संस्था 'रोशनी' की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार के फंड से जिलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं. इन केंद्रों में अलग-अलग श्रेणी के दिव्यांगजनों की मदद के लिए विशेषज्ञ स्टाफ की नियुक्ति और अन्य ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं. जिसका समस्त खर्चा केंद्र सरकार वहन करती है. किंतु टिहरी जिले को छोड़ अन्य जिलों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिस कारण इस अति महत्वपूर्ण सुविधा के लाभ से दिव्यांगजन वंचित हैं.

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