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हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के पीपीपी मोड पर संचालन को लेकर छात्रों में उबाल, मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी कांग्रेस - HARIDWAR MEDICAL COLLEGE PPP MODE

राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार को पीपीपी मोड पर संचालित किए जाने को लेकर छात्रों का प्रदर्शन, निकाय चुनाव के बीच गरमाई सियासत,कांग्रेस को मिला मुद्दा

Haridwar Medical College on PPP Mode
राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार के छात्र (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 18 hours ago

Updated : 15 hours ago

हरिद्वार: राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार को पीपीपी मोड पर संचालित करने से जुड़ा एक पत्र सामने आने के बाद छात्रों में उबाल देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में छात्रों ने कॉलेज को निजी हाथों में सौंपे जाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया, जिससे मामला गरमा गया है. इधर, स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने मामले में स्थिति स्पष्ट की है तो उधर निकाय चुनाव सिर पर हैं तो कांग्रेस भी इस मुद्दे को भुनाने में जुट गई है.

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक पत्र से मचा बवाल: दरअसल, करीब 640 करोड़ की लागत से हरिद्वार नगर निगम की जमीन पर जगजीतपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही कॉलेज में एमबीबीएस का पहला बैच भी चल रहा है, लेकिन इसी बीच चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का एक पत्र सामने आया है. इसमें हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर संचालित करने की बात कही गई है.

पीपीपी मोड पर संचालन को लेकर छात्रों में उबाल (वीडियो- ETV Bharat)

मेडिकल छात्रों ने की तालाबंदी: इतना ही नहीं ई-निविदा के तहत वित्तीय बिड में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले एक संस्थान को देने की बात भी लिखी गई है. ऐसे में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को निजी हाथों में सौंपने का विरोध शुरू हो गया है. आज मामले को लेकर मेडिकल के छात्र खुलकर विरोध में उतर आए. उन्होंने तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया.

Haridwar Medical College on PPP Mode
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का पत्र (फोटो- Health Department)

छात्रों का आरोप है कि जब उन्हें इस कॉलेज में एडमिशन दिया गया था, तब उन्हें कहा गया था कि वो एक राजकीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने परीक्षा भी दी है, तब जाकर उनका यहां पर प्रवेश हो पाया. उनका कहना है कि अब कॉलेज को पीपीपी मोड में दिए जाने की बात सामने आ रही है.

छात्रों का साफ कहना है कि अगर राजकीय मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड में संचालित किया जाता है, तो उनके ऊपर भी एक प्राइवेट कॉलेज का टैग लग जाएगा. उनका कहना है कि वो मामले को लेकर विरोध करते रहेंगे. वो किसी भी सूरत में कॉलेज को पीपीपी मोड पर नहीं जाने देंगे.

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हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के छात्रों का प्रदर्शन (फोटो- ETV Bharat)

मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी कांग्रेस: नगर निगम चुनाव के बीच सामने आए इस आदेश को लेकर राजनीति भी गरमा गई है. इस आदेश को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. विपक्ष का आरोप है कि इस फैसले से गरीबों और वंचितों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और भी मुश्किल हो जाएगी.

मामले को लेकर जनता के बीच जाएगी कांग्रेस: कांग्रेस नेता अमन गर्ग ने इसे गरीबों और युवाओं के साथ धोखा बताया. साथ ही सरकार पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज के लिए मुफ्त में जमीन दी गई, लेकिन अब ऐसा करना जनता के विश्वास का मजाक है. वो मामले को जनता के बीच लेकर जाएंगे.

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कांग्रेसियों ने मामले पर सरकार को घेरा (फोटो- ETV Bharat)

पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने बताया शर्मनाक: वहीं, हरिद्वार की पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने इस कदम को शर्मनाक और हितों के खिलाफ बताया. साथ ही कहा कि यह हरिद्वार के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा. फिलहाल, मामले को लेकर सियासत जारी है. जबकि, छात्र असमंजस की स्थिति में है. उधर, मामले में स्वास्थ्य सचिव ने स्थिति स्पष्ट की है.

क्या बोले स्वास्थ्य सचिव? वहीं, स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कुछ लोगों की ओर से छात्रों को गलत जानकारी दी जा रही रही है. अगर बात हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर चलाने की करें, तो इसकी प्रक्रिया कई महीने पहले ही शुरू की जा चुकी थी. जो छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके बातचीत कर ली गई है.

उनका कहना है कि छात्रों को लग रहा है कि उन्हें प्राइवेट कॉलेज के अनुसार फीस देनी पड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं है. इस बैच यानी मौजूदा समय में जो छात्र एडमिशन ले चुके हैं या अध्ययनरत हैं, उन्हें सरकारी नॉम्स के अनुसार ही फीस देनी होगी. इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज का नाम राजकीय मेडिकल कॉलेज ही होगा. हालांकि, स्वास्थ्य सचिव ने किसी भी तरह के राजनीतिक विरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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छात्रों का विरोध (फोटो- ETV Bharat)

छात्रों की नहीं बढ़ेगी फीस: निदेशक कित्सा शिक्षा आशुतोष सयाना ने बताया कि हरिद्वार स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के संचालन को पीपीपी मोड पर दिए जाने से अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढ़ेगी. साथ ही छात्रों को अन्य सभी सुविधाएं सरकारी भी मेडिकल कॉलेज के समान ही मिलती रहेंगी.

डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि इसी सत्र से राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार में 100 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है. अब यहां विधिवत पढाई भी शुरु हो गई है. इसी कड़ी में मेडिकल कॉलेज के बेहतर संचालन और मरीजों को अच्छी सुविधाएं देने के लिए कॉलेज को पीपीपी मोड पर दिए जाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन पीपीपी की शर्त में स्पष्ट किया गया है कि इससे अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढेगी.

भर्ती मरीजों को भी आयुष्मान और सीजीएचएस की दरों के अनुसार मिलेगा उपचार: साथ ही छात्रों को मिलने वाले सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र और डिग्रियों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार ही दर्ज रहेगा. इसी तरह भर्ती होने वाले मरीजों को उनके कार्ड के अनुसार आयुष्मान कार्ड या सीजीएचएस की दरों पर ही उपचार दिया जाएगा.

डॉ. सयाना ने कहा कि पीपीपी मोड में दिए जाने मकसद सिर्फ अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है. ताकि, छात्रों और मरीजों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके. इसलिए छात्रों या आम जन मानस को इस विषय में भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है.

संस्था करेगी 750 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट: उन्होंने बताया कि अगले पांच सालों में 750 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट संस्था करेगी. एक वर्ल्ड क्लास एम्स जैसा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाएगा और हेली एंबुलेंस रखेगा. ताकि, सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों से मरीजों को इलाज के लिए लाया जा सके.

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चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक पत्र से मचा बवाल: दरअसल, करीब 640 करोड़ की लागत से हरिद्वार नगर निगम की जमीन पर जगजीतपुर में राजकीय मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है. इसके साथ ही कॉलेज में एमबीबीएस का पहला बैच भी चल रहा है, लेकिन इसी बीच चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का एक पत्र सामने आया है. इसमें हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर संचालित करने की बात कही गई है.

पीपीपी मोड पर संचालन को लेकर छात्रों में उबाल (वीडियो- ETV Bharat)

मेडिकल छात्रों ने की तालाबंदी: इतना ही नहीं ई-निविदा के तहत वित्तीय बिड में सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले एक संस्थान को देने की बात भी लिखी गई है. ऐसे में हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को निजी हाथों में सौंपने का विरोध शुरू हो गया है. आज मामले को लेकर मेडिकल के छात्र खुलकर विरोध में उतर आए. उन्होंने तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया.

Haridwar Medical College on PPP Mode
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग का पत्र (फोटो- Health Department)

छात्रों का आरोप है कि जब उन्हें इस कॉलेज में एडमिशन दिया गया था, तब उन्हें कहा गया था कि वो एक राजकीय मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने परीक्षा भी दी है, तब जाकर उनका यहां पर प्रवेश हो पाया. उनका कहना है कि अब कॉलेज को पीपीपी मोड में दिए जाने की बात सामने आ रही है.

छात्रों का साफ कहना है कि अगर राजकीय मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड में संचालित किया जाता है, तो उनके ऊपर भी एक प्राइवेट कॉलेज का टैग लग जाएगा. उनका कहना है कि वो मामले को लेकर विरोध करते रहेंगे. वो किसी भी सूरत में कॉलेज को पीपीपी मोड पर नहीं जाने देंगे.

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हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के छात्रों का प्रदर्शन (फोटो- ETV Bharat)

मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी कांग्रेस: नगर निगम चुनाव के बीच सामने आए इस आदेश को लेकर राजनीति भी गरमा गई है. इस आदेश को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. विपक्ष का आरोप है कि इस फैसले से गरीबों और वंचितों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और भी मुश्किल हो जाएगी.

मामले को लेकर जनता के बीच जाएगी कांग्रेस: कांग्रेस नेता अमन गर्ग ने इसे गरीबों और युवाओं के साथ धोखा बताया. साथ ही सरकार पर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज के लिए मुफ्त में जमीन दी गई, लेकिन अब ऐसा करना जनता के विश्वास का मजाक है. वो मामले को जनता के बीच लेकर जाएंगे.

Haridwar Medical College on PPP Mode
कांग्रेसियों ने मामले पर सरकार को घेरा (फोटो- ETV Bharat)

पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने बताया शर्मनाक: वहीं, हरिद्वार की पूर्व महापौर अनीता शर्मा ने इस कदम को शर्मनाक और हितों के खिलाफ बताया. साथ ही कहा कि यह हरिद्वार के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा. फिलहाल, मामले को लेकर सियासत जारी है. जबकि, छात्र असमंजस की स्थिति में है. उधर, मामले में स्वास्थ्य सचिव ने स्थिति स्पष्ट की है.

क्या बोले स्वास्थ्य सचिव? वहीं, स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कुछ लोगों की ओर से छात्रों को गलत जानकारी दी जा रही रही है. अगर बात हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर चलाने की करें, तो इसकी प्रक्रिया कई महीने पहले ही शुरू की जा चुकी थी. जो छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके बातचीत कर ली गई है.

उनका कहना है कि छात्रों को लग रहा है कि उन्हें प्राइवेट कॉलेज के अनुसार फीस देनी पड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं है. इस बैच यानी मौजूदा समय में जो छात्र एडमिशन ले चुके हैं या अध्ययनरत हैं, उन्हें सरकारी नॉम्स के अनुसार ही फीस देनी होगी. इतना ही नहीं मेडिकल कॉलेज का नाम राजकीय मेडिकल कॉलेज ही होगा. हालांकि, स्वास्थ्य सचिव ने किसी भी तरह के राजनीतिक विरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

Haridwar Medical College on PPP Mode
छात्रों का विरोध (फोटो- ETV Bharat)

छात्रों की नहीं बढ़ेगी फीस: निदेशक कित्सा शिक्षा आशुतोष सयाना ने बताया कि हरिद्वार स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के संचालन को पीपीपी मोड पर दिए जाने से अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढ़ेगी. साथ ही छात्रों को अन्य सभी सुविधाएं सरकारी भी मेडिकल कॉलेज के समान ही मिलती रहेंगी.

डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि इसी सत्र से राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार में 100 एमबीबीएस सीटों की मंजूरी मिली है. अब यहां विधिवत पढाई भी शुरु हो गई है. इसी कड़ी में मेडिकल कॉलेज के बेहतर संचालन और मरीजों को अच्छी सुविधाएं देने के लिए कॉलेज को पीपीपी मोड पर दिए जाने का निर्णय लिया गया है, लेकिन पीपीपी की शर्त में स्पष्ट किया गया है कि इससे अध्ययनरत छात्रों की फीस नहीं बढेगी.

भर्ती मरीजों को भी आयुष्मान और सीजीएचएस की दरों के अनुसार मिलेगा उपचार: साथ ही छात्रों को मिलने वाले सभी शैक्षिक प्रमाणपत्र और डिग्रियों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज हरिद्वार ही दर्ज रहेगा. इसी तरह भर्ती होने वाले मरीजों को उनके कार्ड के अनुसार आयुष्मान कार्ड या सीजीएचएस की दरों पर ही उपचार दिया जाएगा.

डॉ. सयाना ने कहा कि पीपीपी मोड में दिए जाने मकसद सिर्फ अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है. ताकि, छात्रों और मरीजों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके. इसलिए छात्रों या आम जन मानस को इस विषय में भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है.

संस्था करेगी 750 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट: उन्होंने बताया कि अगले पांच सालों में 750 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट संस्था करेगी. एक वर्ल्ड क्लास एम्स जैसा मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाएगा और हेली एंबुलेंस रखेगा. ताकि, सुदूरवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों से मरीजों को इलाज के लिए लाया जा सके.

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