रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय स्थित गुलाबराय में दशकों पुराना जल स्रोत रेल परियोजना की भेंट चढ़ चुका है. ऐसे में स्थानीय लोगों के साथ-साथ शहरवासी भी काफी परेशान हैं. इस जल स्रोत से दूर-दराज से लोग पानी भरने को आते थे. गर्मियों के समय में जब नगर क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति बाधित हो जाती है तो सभी लोग इसी जल स्रोत से पानी भरते थे. मगर अब यह भी खत्म हो चुका है, जिस कारण लोगों को भविष्य की चिंता भी सताते लगी है.
बता दें कि, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के तहत रैंतोली बाईपास के पास निर्माणाधीन सुंरग के कारण गुलाबराय स्थित वर्षों पुराना प्राकृतिक जल स्रोत सूख गया है. जल स्रोत के सूखने से नगर क्षेत्र की जलापूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है. एक माह से प्राकृतिक स्रोत पर पानी नहीं आ रहा है और लोगों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं. अभी तो जल संस्थान की पेयजल लाइन से आपूर्ति हो रही है, जिस पर गर्मियों के सीजन में पानी की सप्लाई बंद हो जाती है और प्राकृतिक जल स्रोत के जरिये प्यास बुझाई जाती थी. मगर अब ऐसे हालात लोगों के सामने आ गये हैं कि वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
ग्रीष्मकाल में रुद्रप्रयाग मुख्य बाजार, सुविधानगर, भाणाधर, पुनाड़, बेलणी सहित अन्य जगहों के लोग भी इस स्रोत पर निर्भर थे. रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र की जनसंख्या करीब 15 हजार है और यह स्रोत नगरवासियों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं था. रेल परियोजना के कार्यों के दौरान ये सूख चुका है. ऑलवेदर परियोजना के तहत बदरीनाथ हाईवे चौड़ीकरण के समय भी प्राकृतिक जल धरोहर को बचाने का पूरा प्रयास किया गया. लेकिन रेल निर्माण के तहत रैंतोली में सुरंग बनने से इसका अस्तित्व ही खत्म हो चुका है.
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स्थानीय निवासी सरस्वती देवी, संजय देवली, लज्जावती देवी ने बताया कि सात पीढ़ियों से गुलाबराय स्थित जल स्रोत से पानी की आपूर्ति हो रही है. मगर रेलमार्ग निर्माण के दौरान पानी पहले धीरे-धीरे कम होता गया और फिर अचानक से पूरा ही बंद हो गया है. एक माह से स्रोत पर पानी नहीं आ रहा है. स्रोत के लगभग एक किमी पीछे सुरंग बन रही है, जिस कारण पानी का स्रोत ही सूख चुका है. जहां सुरंग का निर्माण हो रहा है, वहां पानी निकल रहा है. इससे साफ है कि सुरंग निर्माण के कारण गुलाबराय स्थित प्राकृतिक जल स्रोत पर पानी बंद हुआ है. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि जल्द से जल्द भूगर्भ वैज्ञानिकों से प्राकृतिक जल स्रोत का सर्वेक्षण कराया जाए, जिससे जल स्रोत पुनर्जीवित हो सके और गर्मियों में होने वाली समस्या से स्थानीय लोगों को राहत मिल सके.