रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से धाम के लिए रवाना हुई. आज सुबह पांच बजे डोली रवाना होने के बाद प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंची.
डोली के साथ प्रशासन की ओर से नियुक्त देवस्थानम बोर्ड व हक-हकूकधारी सिर्फ सात लोग शामिल हैं. रावल भीमाशंकर लिंग ने परंपरा के अनुसार मंगोलचारी तक डोली की अगुवाई की. जिसके बाद इतिहास में पहली बार भगवान मद्महेश्वर की डोली मंगोलचारी से रांसी तक वाहन के जरिए पहुंचायी गयी.
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भगवान मद्महेश्वर के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना की गयी. जिसके बाद आरती उतारकर भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव भोग मूर्तियों को डोली में विराजमान कर डोली का भव्य श्रृंगार किया गया.
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रावल भीमाशंकर लिंग ने मद्महेश्वर धाम के प्रधान पुजारी टी गंगाधर लिंग को छह महीने के लिये धाम में पूजा करने का संकल्प दिलाया. जिसके बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ने ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा की और सुबह पांच बजे डोली को धाम के लिए रवाना किया गया. इस दौरान लॉकडाउन के कारण आम श्रद्धालु भगवान की डोली विदाई में शामिल नहीं हो सके.
मंगोलचारी से रांसी तक भगवान मद्महेश्वर की डोली को पहली बार वाहन के जरिये पहुंचाया गया. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचने पर ग्रामीणों ने परंपरानुसार अर्घ्य अर्पित कर आगामी यात्रा सुगम संपंन होने की कामना की. वहीं, रविवार को डोली अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी.