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केदारनाथ यात्रा की लाइफ लाइन हैं घोड़ा-खच्चर, 2018 में की थी 45 करोड़ रुपये की कमाई - Rudrprayag

गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की कुल दूरी 19 किमी है. यहां घोड़े-खच्चर किसी संजीवनी से कम नहीं हैं.

Kedarnath Yatra
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Published : May 3, 2019, 7:22 PM IST

रूद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. इस यात्रा से कई लोगों का रोजगार भी जुड़ा होता है. लिहाजा, श्रद्धालुओं के अलावा यात्रा से रोजी-रोटी कमाने वालों को भी हर साल इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है. जहां यात्रामार्ग पर पड़ने वाले होटल, लॉज और ढाबे यात्रा के दिनों में गुलजार रहते हैं. वहीं, बाबा केदार की यात्रा में डंडी कंडी और घोड़ा खच्चरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

बता दें कि गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की कुल दूरी 19 किमी है. जो श्रद्धालु ये दूरी पैदल तय नहीं कर पाते, उनके लिए ये घोड़े-खच्चर किसी संजीवनी से कम नहीं हैं. इन घोड़े-खच्चरों के बूते ही श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर पाते है. वहीं, इन घोड़े-खच्चरों के संचालन से स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी राज्यों से आए लोग अपनी आजीविका को मजबूत करते हैं और हर साल इस यात्रा से उन्हें करोड़ों का मुनाफा होता है.

केदारनाथ यात्रा की लाइफ लाइन है घोड़ा-खच्चर

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जानकारी के मुताबिक, पिछले यात्रा सीजन में 7 लाख 53 हजार तीर्थयात्री बाबा केदार के दरबार में पहुंचे थे. जिनमें 2 लाख 25 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने घोड़े-खच्चरों से यात्रा की और संचालकों ने 45 करोड़ से अधिक की कमाई की. इससे सरकार को भी 3.50 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था.

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केदारनाथ यात्रा में उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी जिले के अलावा अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और हिमाचल से भी घोड़ा-खच्चर संचालक यात्रा के दौरान रोजगार के लिए केदारघाटी आते हैं और कई महीने तक चलने वाली इस यात्रा में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.

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वहीं, इन घोड़े-खच्चरों की देखभाल के लिए जगह-जगह पर पशु चिकित्सकों की टीमें भी मौजूद रहती है. जो यात्रा के दौरान चोटिल हुए पशुओं का इलाज करती है. क्योंकि घोड़ा-खच्चरों को अचानक मौसम में हुए बदलाव के कारण निमोनिया का ज्यादा खतरा रहता है. जो एक संक्रामक बीमारी का रूप धारण कर लेती है और अन्य पशुओं के लिए एक मुसीबत बन जाती है. जबकि, इस बार जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने अलग-अलग जगहों से आने वाले घोड़ा खच्चरों के चेकअप व रजिस्ट्रेशन के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए हैं.

रूद्रप्रयाग: केदारनाथ यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. इस यात्रा से कई लोगों का रोजगार भी जुड़ा होता है. लिहाजा, श्रद्धालुओं के अलावा यात्रा से रोजी-रोटी कमाने वालों को भी हर साल इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार रहता है. जहां यात्रामार्ग पर पड़ने वाले होटल, लॉज और ढाबे यात्रा के दिनों में गुलजार रहते हैं. वहीं, बाबा केदार की यात्रा में डंडी कंडी और घोड़ा खच्चरों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

बता दें कि गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की कुल दूरी 19 किमी है. जो श्रद्धालु ये दूरी पैदल तय नहीं कर पाते, उनके लिए ये घोड़े-खच्चर किसी संजीवनी से कम नहीं हैं. इन घोड़े-खच्चरों के बूते ही श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर पाते है. वहीं, इन घोड़े-खच्चरों के संचालन से स्थानीय लोगों के अलावा बाहरी राज्यों से आए लोग अपनी आजीविका को मजबूत करते हैं और हर साल इस यात्रा से उन्हें करोड़ों का मुनाफा होता है.

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जानकारी के मुताबिक, पिछले यात्रा सीजन में 7 लाख 53 हजार तीर्थयात्री बाबा केदार के दरबार में पहुंचे थे. जिनमें 2 लाख 25 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने घोड़े-खच्चरों से यात्रा की और संचालकों ने 45 करोड़ से अधिक की कमाई की. इससे सरकार को भी 3.50 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था.

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केदारनाथ यात्रा में उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी जिले के अलावा अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और हिमाचल से भी घोड़ा-खच्चर संचालक यात्रा के दौरान रोजगार के लिए केदारघाटी आते हैं और कई महीने तक चलने वाली इस यात्रा में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.

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वहीं, इन घोड़े-खच्चरों की देखभाल के लिए जगह-जगह पर पशु चिकित्सकों की टीमें भी मौजूद रहती है. जो यात्रा के दौरान चोटिल हुए पशुओं का इलाज करती है. क्योंकि घोड़ा-खच्चरों को अचानक मौसम में हुए बदलाव के कारण निमोनिया का ज्यादा खतरा रहता है. जो एक संक्रामक बीमारी का रूप धारण कर लेती है और अन्य पशुओं के लिए एक मुसीबत बन जाती है. जबकि, इस बार जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने अलग-अलग जगहों से आने वाले घोड़ा खच्चरों के चेकअप व रजिस्ट्रेशन के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए हैं.




केदार यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं घोड़े-खच्चर 
संचालन से होती है करोड़ों की आमदनी 
केदार यात्रा में घोड़े-खच्चरों का संचालन मुनाफे का सौदा 
केदारनाथ यात्रा की अहम रीढ़ हंैं घोड़ा-खच्चर 
विभिन्न राज्यों से पहुंचते हैं घोड़ा-खच्चर संचालक 
उत्तराखण्ड डेस्क
स्लग - केदार यात्रा घोड़ा-खच्चर
रिपोर्ट - रोहित डिमरी/03 मई 2019/रुद्रप्रयाग/एवीबी
एंकर - क्या आपको मालूम है कि केदारनाथ यात्रा में किसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अगर आपको नहीं मालूम है तो इस रिपोर्ट को देखिए। आपको यह समझ आ जायेगा कि इनकी बदौलत ही पूरी केदारयात्रा का संचालन होता है और इससे रोजगार के साथ ही करोड़ों की आमदनी भी होती है। 
वीओ 1 - दरअसल, केदारनाथ धाम की यात्रा से हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। हर देश-विदेश के लोग केदारयात्रा शुरू होने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। केदार यात्रा में होटल, ढ़ाबा, लाॅज की आवश्यकता तो होती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जिनकी रहती है वह हैं घोड़े-खच्चर। इन घोड़े-खच्चरों से ही केदार यात्रा का संचालन होता है। गौरीकंुड से केदारनाथ धाम तक 19 किमी पैदल सफर तय न करने वालों के लिए यह घोड़े-खच्चर किसी संजीवनी से कम नहीं हैं और इनके संचालन से करोड़ों का भी मुनाफा होता है। जिस व्यक्ति दो घोड़े-खच्चर भी हैं, तो वह भी लाखों की कमाई कर लेता है। घोड़े-खच्चर के जरिये स्थानीय लोगों के साथ ही बाहरी राज्यों से आये लोग अपनी आजीविका को मजबूत करते हैं। पिछले यात्रा सीजन में 7 लाख 53 हजार तीर्थ यात्री बाबा केदार के दरबार में पहुंचे थे, जिनमें दो लाख 25 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने घोड़े-खच्चरों से यात्रा की और संचालकों ने 40 करोड़ से अधिक की कमाई की। इससे सरकार को भी चार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। 
बाइट - प्रशान्त गोस्वामी, व्यापारी गौरीकुंड 
बाइट - मायाराम गोस्वामी, निवासी गौरीकुण्ड
वीओ 2 - केदारघाटी के अधिकतर ग्रामीण लोग घोड़ा .खच्चरों का केदारनाथ यात्रा में संचालन करते हैं। अपनी आजीविका के साथ अपने परिवार का भरण पोषण के साथ अपनी दिनचर्या को आगे बढाते हैं। केदारनाथ यात्रा में उत्तराखण्ड के चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी जिले के अलावा अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और हिमाचल के घोेड़ा खच्चर मालिक भी रोजगार के लिए केदारघाटी आते है और 6 माह तक चलने वाली यात्रा में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग के सहयेाग से समय .समय पर घोड़ा खच्चरांे की देख भाल के लिए जगह-जगह पर डाक्टरों की टीम को रखा गया है। जो केदारनाथ यात्रा के दौरान जांच करते रहते हैं। क्यांेकि घोड़ा खच्चरों को ठंड और गर्म के कारण निमोनिया का ज्यादा खतरा रहता है। जो एक संक्रमण बीमारी का रूप धारण कर देती है और घोड़ा खच्चर मालिको के लिए एक मुसीबत बन जाती है। 
बाइट- डाॅ रमेश नितवाल मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी 
वीओ फाइनल - इस बार जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग ने अलग अलग जगहों से आने वाले घोड़ा खच्चरों के चैकप व रजिस्ट्रेशन के लिए जिले के कई स्थानों पर रजिस्ट्रेशन काउंटर और चैकप काउंटर बनाये हंै। साथ ही केदारनाथ यात्रा पड़ाव के लिनचोली और सोनप्रयाग में एमआरपी लगाई है, जहां डाक्टरों की टीम परीक्षण करती रहेगी। 


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