रुद्रप्रयाग: मदमहेश्वर घाटी में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण सीमांत गांव गौंडार को रोशन करने वाली उरेडा विभाग की लघु जल विद्युत परियोजना पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. ऐसे में विद्युत उत्पादन ठप हो जाने से गौंडार गांव में रात के समय अंधेरा छाया हुआ है. वहीं, अकतोली-गौंडार व वनातोली-मदमहेश्वर पैदल मार्ग पर भूस्खलन होने के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे ग्रामीण जनता को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है.
दरअसल, रविवार दोपहर बाद से ही मद्महेश्वर घाटी में तेज बारिश शुरू हो गई थी, जो देर रात तक होती रही. इस दौरान रात में लगभग साढ़े दस बजे गांव के पौंडारी तोक में जंगल की तरफ से हुए भारी भूस्खलन से उरेडा विभाग की लघु जल विद्युत परियोजना का पावर हाउस का पिछला हिस्सा ध्वस्त हो गया, जिस कारण वहां 50-50 किलोवाट विद्युत उत्पादन क्षमता की टरबाइन मलबे की भेंट चढ़ गई.
वहीं, मुरकंडा नदी के तेज बहाव में परियोजना की पाइप लाइन भी बह गई, इसके अलवा भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र से मलबे के सैलाब ने द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के लिए जाने वाला पैदल रास्ते के बीस मीटर से अधिक हिस्से को भी पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया. स्थिति यह है कि गौंडार गांव के पौंडारी तोक भूस्खलन की जद में आने से अति संवेदनशील हो गया है.
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ग्राम प्रधान वीर सिंह पंवार ने बताया कि लघु जल विद्युत परियोजना के क्षतिग्रस्त होने से बिजली सप्लाई भी ठप हो गई है, उन्होंने बताया कि 8 घंटे से अधिक समय तक हुई मूसलाधार बारिश से गांव के 75 परिवार भयभीत हैं और गांव का द्वितीय केदार से भी संपर्क कट गया है. इसके अलवा पैदल रास्ता रांसी से गौंडार होते हुए मद्महेश्वर के बीच कई जगहों पर बुरी तरह से टूट चुका है. ग्राम प्रधान ने प्रशासन और उरेडा के अधिकारियों से गांव में अतिवृष्टि से हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण करने की मांग की है.
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वहीं, उरेड़ा के परियोजना अधिकारी संदीप कुमार सैनी ने बताया कि अतिवृष्टि से रविवार रात को गौंडार में लघु जल विद्युत परियोजना के नुकसान की सूचना मिली है. जेई के नेतृत्व में बुधवार को एक टीम गांव में भेजी जाएगी, जो वहां हुए नुकसान का आकलन कर अपनी रिपोर्ट देगी.