रुद्रप्रयागः रानीगढ़ पट्टी के जसोली गांव स्थित सिद्धपीठ हरियाली देवी की ऐतिहासिक कांठा यात्रा दीपावली से एक दिन पूर्व रात्रि को निकाली गई. इस अवसर पर हरियाली देवी की डोली को फूल-मालाओं से सजाया गया. रजत प्रतिमा के साथ बीती शाम मां हरियाली देवी जसोली मंदिर से अपने मायके (हरियाल पर्वत) की ओर रवाना हुई और सुबह पर्वत पर पहुंची. ये यात्रा रात के समय की जाती है, इस यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए.
जसोली गांव की स्थानीय महिलाओं ने मांगलिक गायनों के साथ हरियाली देवी की डोली को नम आखों से हरियाल पर्वत की ओर विदा किया. ढोल-नगाड़ों और हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जसोली गांव से हरियाली देवी की डोली रवाना हुई. हरियाल पर्वत मां हरियाली देवी का मूल उत्पत्ति स्थान है, जिसको देवी का मायका माना जाता है.
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वहीं, मूल मायका होने के कारण साल में एक बार दीपावली पर्व पर मां हरियाली की डोली को हरियाल पर्वत ले जाने की यह पौराणिक परंपरा है. जिसको हरियाली देवी कांठा यात्रा का स्वरूप दिया गया है. यात्रा के दौरान देवी के धर्म भाई हीत और लाटू के प्रतीकों ने हरियाली देवी डोली की अगुआई की.
देश की यह एक मात्र ऐतिहासिक देव यात्रा है जो रात के पहर में की जाती है. जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने मां हरियाली की डोली के साथ जसोली गांव से दस किलोमीटर पैदल चलकर हरियाली के घने वनों के बीच से होकर सुबह पांच बजे हरियाल पर्वत देवी के मायके मूल मंदिर में पहुंचे.
इस दौरान देवी के मायके पाबो गांव के लोगों ने डोली का भव्य स्वागत कर देवी को हरियाल पर्वत मंदिर में विराजमान किया. जिसके पश्चात देवी के पुरोहितों द्वारा वेद मंत्रो के साथ पूजा-अर्चना की गई और गाय के दूध से निर्मित खीर से देवी को भोग लगाया गया. पूजा अर्चना समाप्त होने के पश्चात् देवी के हवन कुण्ड में भव्य हवन का आयोजन किया गया.