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रुद्रप्रयाग के माल्टा को नहीं मिल रहा उचित दाम, किसानों ने मांगी पेड़ों को काटने की अनुमति

सरकार की बेरूखी से परेशान किसान ने माल्टा के पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी है. दरअसल, किसानों को माल्टे का सही दाम नहीं मिलने पर उन्हें ए और बी ग्रेड के माल्टे को सी ग्रेड में बेचना पड़ रहा है. जिनमें औरिंग गांव के पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी भी हैं. जिन्होंने माल्टा के 200 पेड़ लगाएं हैं. उनके पेड़ों पर फल पक कर तैयार हैं, लेकिन उचित दाम न मिलने पर तोड़ नहीं पा रहे हैं.

Malta fruit in Rudraprayag
रुद्रप्रयाग के माल्टा
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Published : Dec 26, 2022, 3:52 PM IST

रुद्रप्रयागः इनदिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में माल्टे के पेड़ (Malta in Uttarakhand) फलों से लकदक नजर आ रहे हैं, लेकिन किसानों को माल्टा का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. रुद्रप्रयाग जिले में सबसे ज्यादा माल्टा उत्पादन करने वाले औरिंग गांव के 90 वर्षीय बुजुर्ग पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी भी मायूस हैं. उन्हें माल्टे का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा, उन्होंने सीएम धामी से माल्टे का उचित मूल्य तय करने की मांग की है. साथ ही उचित मूल्य न देने पर माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति भी मांगी है.

बता दें कि पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी (Ex Serviceman Ajit Singh Kandari) ने उद्यान विभाग की योजना से कुछ साल पहले अपनी नाप भूमि में माल्टा के 200 पेड़ (Malta farming in Rudraprayag) लगाए थे, जो अब फल देने लगे हैं. वर्तमान में उनके पास 40 से 50 क्विंटल तक अच्छी गुणवत्ता का माल्टा तैयार है, लेकिन सही मूल्य नहीं मिलने से उनका माल्टा पेड़ों पर ही है. पिछले साल भी उनका माल्टा बिना बिके ही रह गया था और उन्होंने सरकार से पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी, लेकिन तत्कालीन केदारनाथ विधायक मनोज रावत के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी मांग वापस ली थी.

तत्कालीन विधायक मनोज रावत (Former Kedarnath MLA Manoj Rawat) के प्रयासों के बाद उनके माल्टे का कुछ हिस्सा अच्छी कीमत पर निकल गया था. इस बार फिर से उनका माल्टा पेड़ पर ही रह गया है. इस बार भी सरकार की ओर से केवल सी ग्रेड के माल्टा (C Grade Malta) का ही समर्थन मूल्य घोषित (MSP of Malta) किया गया है. वो भी मात्र 8 रुपए प्रति किलोग्राम. किसान कंडारी ने बताया कि उनके पास A और B ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है. ऐसे ही कई काश्तकार और होंगे, जिनके पास ए और बी ग्रेड का माल्टा होगा, लेकिन वो भी सी ग्रेड के ही भाव बिक रहा है.

ऐसे में काश्तकार को उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है. इससे बेहतर है कि वो अपने माल्टे को खेत में ही सड़ने दें और माल्टे के सभी पेड़ों को काटकर कुछ नया करें. अन्यथा चाय की दुकान खोले, जो कम से कम 10 रुपए प्रति कप बिक रहा है. अजीत सिंह कंडारी का कहना (Malta farmer Ajit Singh Kandari) है कि पहाड़ में एक माल्टा ही ऐसा फल है, जिसका न केवल फल बल्कि बीज एवं छिलका भी काम (Malta Fruit Benifits) आता है. जो काश्तकार की आर्थिकी में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन सरकार की अनदेखी से काश्तकारों का माल्टा बर्बाद हो रहा है.

बाहर के किन्नू से घेरा बाजार, माल्टे को नहीं मिल रहा कीमतः उनका कहना है कि पूरा बाजार बाहर से आने वाले किन्नू से भरा पड़ा है. इसके बावजूद सरकार मौन बैठी है. उन्होंने सीएम धामी को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि या तो सरकार उनके माल्टे को उचित मूल्य पर उठवाएं या उन्हें उनके माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान करे. क्योंकि, उनके पास ए व बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है और वे अपनी फसल का अवमूल्यन नहीं कर सकते हैं. वे सरकार की अनदेखी से व्यथित हैं.
ये भी पढ़ेंः पहाड़ी फलों का राजा माल्टा अब अन्य राज्यों में भी बना रहा पहचान

रुद्रप्रयागः इनदिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में माल्टे के पेड़ (Malta in Uttarakhand) फलों से लकदक नजर आ रहे हैं, लेकिन किसानों को माल्टा का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. रुद्रप्रयाग जिले में सबसे ज्यादा माल्टा उत्पादन करने वाले औरिंग गांव के 90 वर्षीय बुजुर्ग पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी भी मायूस हैं. उन्हें माल्टे का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा, उन्होंने सीएम धामी से माल्टे का उचित मूल्य तय करने की मांग की है. साथ ही उचित मूल्य न देने पर माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति भी मांगी है.

बता दें कि पूर्व सैनिक अजीत सिंह कंडारी (Ex Serviceman Ajit Singh Kandari) ने उद्यान विभाग की योजना से कुछ साल पहले अपनी नाप भूमि में माल्टा के 200 पेड़ (Malta farming in Rudraprayag) लगाए थे, जो अब फल देने लगे हैं. वर्तमान में उनके पास 40 से 50 क्विंटल तक अच्छी गुणवत्ता का माल्टा तैयार है, लेकिन सही मूल्य नहीं मिलने से उनका माल्टा पेड़ों पर ही है. पिछले साल भी उनका माल्टा बिना बिके ही रह गया था और उन्होंने सरकार से पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी, लेकिन तत्कालीन केदारनाथ विधायक मनोज रावत के आश्वासन के बाद उन्होंने अपनी मांग वापस ली थी.

तत्कालीन विधायक मनोज रावत (Former Kedarnath MLA Manoj Rawat) के प्रयासों के बाद उनके माल्टे का कुछ हिस्सा अच्छी कीमत पर निकल गया था. इस बार फिर से उनका माल्टा पेड़ पर ही रह गया है. इस बार भी सरकार की ओर से केवल सी ग्रेड के माल्टा (C Grade Malta) का ही समर्थन मूल्य घोषित (MSP of Malta) किया गया है. वो भी मात्र 8 रुपए प्रति किलोग्राम. किसान कंडारी ने बताया कि उनके पास A और B ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है. ऐसे ही कई काश्तकार और होंगे, जिनके पास ए और बी ग्रेड का माल्टा होगा, लेकिन वो भी सी ग्रेड के ही भाव बिक रहा है.

ऐसे में काश्तकार को उसकी लागत भी नहीं मिल पा रही है. इससे बेहतर है कि वो अपने माल्टे को खेत में ही सड़ने दें और माल्टे के सभी पेड़ों को काटकर कुछ नया करें. अन्यथा चाय की दुकान खोले, जो कम से कम 10 रुपए प्रति कप बिक रहा है. अजीत सिंह कंडारी का कहना (Malta farmer Ajit Singh Kandari) है कि पहाड़ में एक माल्टा ही ऐसा फल है, जिसका न केवल फल बल्कि बीज एवं छिलका भी काम (Malta Fruit Benifits) आता है. जो काश्तकार की आर्थिकी में मददगार साबित हो सकता है, लेकिन सरकार की अनदेखी से काश्तकारों का माल्टा बर्बाद हो रहा है.

बाहर के किन्नू से घेरा बाजार, माल्टे को नहीं मिल रहा कीमतः उनका कहना है कि पूरा बाजार बाहर से आने वाले किन्नू से भरा पड़ा है. इसके बावजूद सरकार मौन बैठी है. उन्होंने सीएम धामी को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि या तो सरकार उनके माल्टे को उचित मूल्य पर उठवाएं या उन्हें उनके माल्टे के पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान करे. क्योंकि, उनके पास ए व बी ग्रेड का माल्टा उपलब्ध है और वे अपनी फसल का अवमूल्यन नहीं कर सकते हैं. वे सरकार की अनदेखी से व्यथित हैं.
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