रुद्रप्रयाग: द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंच गई है. आज भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली विभिन्न यात्रा पड़ावों से होते हुए धाम पहुंचेगी. जिसके बाद परंपरा अनुसार वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान मद्महेश्वर के कपाट पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे. कोरोना कर्फ्यू के कारण प्रशासन द्वारा निर्धारित देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी और हक-हकूकधारी डोली के साथ चल रहे हैं.
रविवार को भगवती राकेश्वरी मंदिर रांसी में प्रधान पुजारी शिव लिंग ने पंचाग पूजन के तहत 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान करते हुए भगवती राजेश्वरी व भगवान मद्महेश्वर का महाभिषेक कर आरती उतारी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में विराजमान कर डोली का विशेष श्रृंगार करने के बाद डोली ने राकेश्वरी मंदिर की परिक्रमा की. इसके बाद गौंडार गांव के लिए रवाना हुई.
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सोमवार को खुलेंगे मद्महेश्वर धाम के कपाट
भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के गौंडार गांव के ग्रामीणों ने परंपरानुसार सादगी से डोली का स्वागत किया. सोमवार को डोली ब्रह्म बेला पर गौंडार गांव से रवाना होते हुए बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचट्टी होते हुए धाम पहुंचेगी. भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर लग्नानुसार भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोल दिए जाएंगे. तहसीलदार दीवान सिंह राणा ने बताया कि उत्सव डोली के साथ देवस्थानम बोर्ड के 8 और 12 हक-हकूकधारियों द्वारा अगुवाई की जा रही है.