रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम के अलावा रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी कार्यालय और जिले के कई हिस्सों की हजारों की आबादी को जोड़ने वाली अलकनंदा नदी पर बना मोटरपुल जर्जर हालत में है. यह मोटरपुल कभी भी धराशायी हो सकता है. भारी वाहनों की आवाजाही के चलते यह पुल जर्जर हो चुका है. जर्जर हो चुके बेलनी पुल के स्थान पर अब नए पुल का निर्माण करने की कार्ययोजना है. राष्ट्रीय राजमार्ग खंड लोनिवि विभाग इस पर कार्य कर रहा है. जिस स्थान पर अभी पुल है, उससे 25 मीटर दूर लगभग 70 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा.
दरअसल, साल 2013 की आपदा के वक्त अलकनंदा नदी के उफान पर आने से इस पुल की बुनियाद तक हिल गई थी. हालांकि पुल पर संकेत में लिखा गए है कि एक साथ में एक ही वाहन की आवाजाही होगी, लेकिन पुल के ऊपर हर समय कई वाहनों की आवाजाही हर समय होती रहती है. ऐसे में पुल पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी पुल के ऊपर केदारनाथ हाईवे पर लगभग 63 मीटर लंबा पुल 1960 के दशक का बना है. तब से लेकर अब तक पुल का मरम्मत नहीं हो पाई. पुल के ऊपर लैंको, एलएंडटी सहित अन्य कंपनियों के भारी वाहन चलने से पुल की हालत काफी नाजुक हो चुकी है. इसके अलावा केदारनाथ आपदा के समय अलकनन्दा नदी का पानी पुल के ऊपर से बह रहा था, जिस कारण यह पुल बुनियाद से ही हिल गया.
केदारनाथ हाईवे पर बना यह पुल केदारनाथ धाम के साथ ही रुद्रप्रयाग डीएम कार्यालय के अलावा जिले के अधिकांश हिस्सों की हजारों की आबादी को जोड़ता है. जनता लंबे समय से पुल के मरम्मत की मांग की जा रही है. लेकिन विभाग ने पुल पर यह लिखकर इतिश्री कर दी कि पुल की हालत काफी नाजुक है और एक साथ में एक ही वाहन आवाजाही हो. लेकिन यहां एक साथ कई वाहनों की आवाजाही हो रही है. जर्जर हो चुके इस पुल के स्थान पर अब नए पुल का निर्माण करने की कार्ययोजना पर कार्य चल रहा है. जिस स्थान पर अभी पुल है, उससे 25 मीटर दूर लगभग 70 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया जाएगा.
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एनएच के अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार त्रिपाठी का कहना है कि भारत सरकार से इस संबंध में लगातार वार्ता की जा रही है. भारत सरकार ने इसे अपनी वार्षिक योजना में अनुमोदित किया है, अब यहां पर डबल लाइन का पुल बनेगा.