देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा विश्व विख्यात चारधाम समेत प्रदेश के अन्य 51 मंदिरों को एक एक्ट के अधीन लाने को लेकर बनाए गए चारधाम देवस्थानम बोर्ड को राजभवन ने मंजूरी दे दी है. लिहाजा अब चारधाम एक्ट बनने का रास्ता साफ हो गया है.
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हालांकि, इससे पहले ही पिछले साल हुए विधानसभा सत्र में 2019 -20 के अनुपूरक बजट में 10 लाख रुपये देवस्थानम एक्ट की सहायता राशि के रूप में रखी गई थी. गौर हो कि चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने को लेकर चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया गया है.
गौर हो कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड में केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित प्रदेश के 51 सहयोगी मंदिरों को शामिल किया जायेगा. यही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष, धर्मस्व मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष और सम्बंधित क्षेत्रों के सांसद, विधायक और प्रमुख दानकर्ता को बोर्ड के सदस्य के रूप में शामिल किया जायेगा. इसके साथ ही चारों धामों के पुजारी व वंशागत पुजारी का प्रतिनिधित्व भी बोर्ड में होगा. इस बोर्ड के का सीईओ शासन के वरिष्ठ आइएएस अधिकारी को बनाया जायेगा. यही नहीं, प्रदेश का मुख्यमंत्री मुस्लिम होने पर हिंदू, वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष चुना जायेगा.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अहम बिंदु-
- बोर्ड की बैठक साल में एक बार होना अनिवार्य होगी.
- बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अखिल भारतीय सेवा के सचिव स्तर के उच्च अधिकारी बनाए जाएंगे. ये लोग सामान्य प्रबंधन व्यवस्था देखेंगे और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध अपील बोर्ड में की जा सकेगी.
- बोर्ड का काम मुख्य रूप से नीति बनाना, बजट आवंटन करना, प्रबंधन के लिये मुख्य कार्यकारी अधिकारी को दिशा-निर्देश, प्रबंधन तंत्र का आधुनिकरण और चारधाम स्थित मंदिर और परिसर का विकास करना होगा.
- श्री बदरी-केदार मंदिर समिति के समस्त कार्यरत कर्मचारी बोर्ड के कर्मचारी माने जाएंगे और अन्य पदों का भी सृजन किया जाएगा.
- बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के पुजारियों, रावल, नायक रावल व पंडों के परंपरागत अधिकार संरक्षित रहेंगे. इनकी नियुक्ति और अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बदरी-केदार मंदिर समिति के समस्त प्रधानों को बोर्ड में शामिल किया जाएगा.
- सभी हक-हकूकों के संरक्षण के लिए बोर्ड एक समिति का गठन करेगा, जो समस्त परंपरागत से संबंधित विवाद का निस्तारण भी करेगी और अपीलीय अधिकारी बोर्ड में ही निहित होगा.
- चारधाम के मंदिरों एवं परिसर के विकास और रख-रखाव के लिए चारधाम निधि का गठन भी किया जाएगा.