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उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के सामने अब रोजगार की चुनौती

बड़ी संख्या में प्रवासी विभिन्न राज्यों से उत्तराखंड लौट तो आए हैं लेकिन अब उनके सामने यहां रोजगार की चुनौती है. जो जमा पूंजी थी वो लॉकडाउन के इन महीनों में खर्च हो चुकी है.

पिथौरागढ़
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Published : Jun 16, 2020, 3:50 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 3:31 PM IST

पिथौरागढ़: लॉकडाउन के बाद सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में अबतक 36 हजार से अधिक प्रवासी वापस आ चुके हैं. घर वापसी करने वालों में सबसे अधिक तादाद युवाओं की है. वापसी करने वालों में सबसे अधिक वो युवा हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में छोटी-मोटी नौकरी कर परिवार का पेट पालते थे, लेकिन कोरोना के कहर ने इनका सबकुछ छीन लिया.

रोजगार तो इनका रहा नहीं और जो जमा पूंजी थी वो भी बेरोजगारी में खर्च हो गयी है. ऐसे में अब इनके सामने सबसे बड़ा संकट दो जून की रोटी का है. इन युवाओं के वापस लौटने से गांव भले ही आबाद हो गए हों, लेकिन गांव में ही रोजगार के अवसर तलाशना बड़ी चुनौती बन गया है.

प्रवासियों के सामने अब रोजगार की चुनौती

पढ़ें- प्रवासियों को रोजगार के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने दिए 110 करोड़ रुपये

लॉकडाउन के बाद से ही पिथौरागढ़ में घर वापसी का दौर बदस्तूर जारी है. हर रोज बाहरी प्रदेशों से सैकड़ों की संख्या में युवा घर वापसी कर रहे हैं. पिथौरागढ़ में सबसे अधिक होटल इंडस्ट्री से जुड़े युवाओं ने घर वापसी की है. इनमें से कई तो ऐसे भी हैं जो दशकों से परिवार के साथ गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और मुम्बई में रह रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद बंद हुए होटल कारोबार ने इन्हें लौटने को मजबूर कर दिया. सालों बाद ये युवा अपनी जड़ों को लौट तो आए हैं, लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि आखिर यहां ये करेंगे क्या?

दरअसल, पहाड़ों में इन दिनों बागवानी और खेती के लिए जंगली जानवर बड़ा खतरा बन चुके हैं. हालांकि प्रशासन का कहना है कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन और अन्य रोजगार परक उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

पिथौरागढ़: लॉकडाउन के बाद सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में अबतक 36 हजार से अधिक प्रवासी वापस आ चुके हैं. घर वापसी करने वालों में सबसे अधिक तादाद युवाओं की है. वापसी करने वालों में सबसे अधिक वो युवा हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में छोटी-मोटी नौकरी कर परिवार का पेट पालते थे, लेकिन कोरोना के कहर ने इनका सबकुछ छीन लिया.

रोजगार तो इनका रहा नहीं और जो जमा पूंजी थी वो भी बेरोजगारी में खर्च हो गयी है. ऐसे में अब इनके सामने सबसे बड़ा संकट दो जून की रोटी का है. इन युवाओं के वापस लौटने से गांव भले ही आबाद हो गए हों, लेकिन गांव में ही रोजगार के अवसर तलाशना बड़ी चुनौती बन गया है.

प्रवासियों के सामने अब रोजगार की चुनौती

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लॉकडाउन के बाद से ही पिथौरागढ़ में घर वापसी का दौर बदस्तूर जारी है. हर रोज बाहरी प्रदेशों से सैकड़ों की संख्या में युवा घर वापसी कर रहे हैं. पिथौरागढ़ में सबसे अधिक होटल इंडस्ट्री से जुड़े युवाओं ने घर वापसी की है. इनमें से कई तो ऐसे भी हैं जो दशकों से परिवार के साथ गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और मुम्बई में रह रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद बंद हुए होटल कारोबार ने इन्हें लौटने को मजबूर कर दिया. सालों बाद ये युवा अपनी जड़ों को लौट तो आए हैं, लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि आखिर यहां ये करेंगे क्या?

दरअसल, पहाड़ों में इन दिनों बागवानी और खेती के लिए जंगली जानवर बड़ा खतरा बन चुके हैं. हालांकि प्रशासन का कहना है कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन और अन्य रोजगार परक उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

Last Updated : Jul 17, 2020, 3:31 PM IST
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