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डॉ. आभास सिंह ने फिर संभाला मसूरी स्वास्थ्य अधिकारी का चार्ज, ADM के आदेश को HC ने किया रद्द - CITY HEALTH OFFICER ABHAS SINGH

मसूरी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह ने आज अपना कार्यभार संभाल लिया है.

CITY HEALTH OFFICER ABHAS SINGH
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 23 hours ago

मसूरी: नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह को एडीएम द्वारा कार्यमुक्त किये जाने के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह ने मंगलवार को कार्यभार संभाल लिया है.

उप जिलाधिकारी ने आभास सिंह की कार्यशैली पर उठाए थे सवाल: नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं. लोगों को परेशान करने और निकाय चुनाव के दौरान अधिकारियों के बीच कार्य विभाजन में बाधा उत्पन्न करने के आरोप भी लगाए गए थे. मसूरी में वर्ष 2021 से बिना पद सृजन के नियमों के विरुद्ध यह अधिकारी तैनात थे. नगर पालिका परिषद मसूरी के प्रशासक एवं उप जिलाधिकारी ने भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे.

हाईकोर्ट ने एडीएम के आदेश को किया रद्द: जिसको लेकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आभास सिंह ने एडीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट द्वारा एडीएम के मसूरी स्वास्थ्य अधिकारी को कार्यमुक्त और मूल तैनाती में जाने के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है, जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास ने मंगलवार को नगर पालिका परिषद मसूरी पहुंचकर कार्यभार संभाला.

आभास सिंह बोले गलत तथ्य पेश कर हुई शिकायत: नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ जिलाधिकारी को गलत तथ्य पेश कर शिकायत की गई थी, जबकि शासन से उनकी मूल पद पर ही मसूरी में तैनाती दी थी. यहां उनकी कोई संबंद्धता नहीं है. उन्होंने कहा कि 12 जून 2015 के शासनादेश संख्या 756 और 758 जो कि प्रदेश के नगर पालिका परिषद में पालिका केन्द्रीयित सेवा/पालिका अकेंद्रित सेवा के पदों के संरचनात्मक ढांचे के पुनर्गठन एवं पदों के सृजन हेतु श्रेणीवार मानकों के निर्धारण के संबंध में था.

शासनादेश का गलत प्रस्तुतिकरण होने पर परेशानी: जिसमें उल्लेखित कर्मचारियों का वेतन निकाय द्वारा आहरित किया जाता है, जबकि मेरी तैनाती उत्तर प्रदेश म्युनिस्पिल एक्ट 1916 की धारा 57 भाग-2 के तहत की गई है. जिसमें बताया गया कि जिस नगर पालिका की आय 50 हजार से ऊपर होती है. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तैनाती की जाती है एवं उनका वेतन भी स्वास्थ्य विभाग राज्य सरकार द्वारा आहरित किया जाता है. उपरोक्त शासनादेश का गलत प्रस्तुतिकरण होने के कारण यह परेशानी हुई है.

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मसूरी: नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह को एडीएम द्वारा कार्यमुक्त किये जाने के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है. जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह ने मंगलवार को कार्यभार संभाल लिया है.

उप जिलाधिकारी ने आभास सिंह की कार्यशैली पर उठाए थे सवाल: नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं. लोगों को परेशान करने और निकाय चुनाव के दौरान अधिकारियों के बीच कार्य विभाजन में बाधा उत्पन्न करने के आरोप भी लगाए गए थे. मसूरी में वर्ष 2021 से बिना पद सृजन के नियमों के विरुद्ध यह अधिकारी तैनात थे. नगर पालिका परिषद मसूरी के प्रशासक एवं उप जिलाधिकारी ने भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे.

हाईकोर्ट ने एडीएम के आदेश को किया रद्द: जिसको लेकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आभास सिंह ने एडीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट द्वारा एडीएम के मसूरी स्वास्थ्य अधिकारी को कार्यमुक्त और मूल तैनाती में जाने के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है, जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास ने मंगलवार को नगर पालिका परिषद मसूरी पहुंचकर कार्यभार संभाला.

आभास सिंह बोले गलत तथ्य पेश कर हुई शिकायत: नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आभास सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ जिलाधिकारी को गलत तथ्य पेश कर शिकायत की गई थी, जबकि शासन से उनकी मूल पद पर ही मसूरी में तैनाती दी थी. यहां उनकी कोई संबंद्धता नहीं है. उन्होंने कहा कि 12 जून 2015 के शासनादेश संख्या 756 और 758 जो कि प्रदेश के नगर पालिका परिषद में पालिका केन्द्रीयित सेवा/पालिका अकेंद्रित सेवा के पदों के संरचनात्मक ढांचे के पुनर्गठन एवं पदों के सृजन हेतु श्रेणीवार मानकों के निर्धारण के संबंध में था.

शासनादेश का गलत प्रस्तुतिकरण होने पर परेशानी: जिसमें उल्लेखित कर्मचारियों का वेतन निकाय द्वारा आहरित किया जाता है, जबकि मेरी तैनाती उत्तर प्रदेश म्युनिस्पिल एक्ट 1916 की धारा 57 भाग-2 के तहत की गई है. जिसमें बताया गया कि जिस नगर पालिका की आय 50 हजार से ऊपर होती है. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा नगर स्वास्थ्य अधिकारी की तैनाती की जाती है एवं उनका वेतन भी स्वास्थ्य विभाग राज्य सरकार द्वारा आहरित किया जाता है. उपरोक्त शासनादेश का गलत प्रस्तुतिकरण होने के कारण यह परेशानी हुई है.

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