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नेपाल ने चीन सीमा तक पैदल मार्ग किया तैयार, भारत पर निर्भरता कम करने का प्रयास

सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट ने 87 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग का उद्घाटन किया. पैदल मार्ग बनने से ब्यास गांव पालिका के सीमांत गांव छांगरु और तिंकर के ग्रामीणों को राहत मिलेगी.

नेपाली सेना
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Published : Oct 6, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Oct 6, 2020, 4:57 PM IST

पिथौरागढ़: नेपाल की सेना ने चीन सीमा को जोड़ने वाले दार्चुला-तिंकर पैदल मार्ग का निर्माण कर आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम आगे बढ़ाया है. सोमवार को नेपाल के दार्चुला में सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट ने 87 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग का उद्घाटन किया. इस मौके पर सीएम त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि पैदल मार्ग बनने से ब्यास गांव पालिका के सीमांत गांव छांगरु और तिंकर के ग्रामीणों को राहत मिलेगी. इससे पहले छांगरु और तिंकर के 200 नेपाली परिवार भारतीय क्षेत्र धारचुला से होकर माइग्रेशन किया करते थे.

नेपाल सेना ने चीन सीमा पर स्थित अपने अंतिम गांव छांगरु और तिंकर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग तैयार कर लिया है. सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट ने 1 करोड़ 8 लाख की लागत से बने पैदल मार्ग का उद्घाटन कर जनता को सुपुर्द किया है. मार्ग के बनने से नेपाल के सीमांत क्षेत्र के लोगों के साथ ही नेपाली सेना को भी सहूलियत मिलेगी.

पढ़ेंः कोरोना का खौफ: सचिवालय में होने वाली बैठकों में वर्चुअली जुड़ेंगे अधिकारी

बता दें कि ये मार्ग 40 साल पहले महाकाली नदी के तेज बहाव से अवरुद्ध हो गया था. जिसके चलते छांगरु और तिंकर क्षेत्र के ग्रामीण माइग्रेशन के लिए पूरी तरह भारत पर निर्भर थे. भारत सरकार द्वारा छियालेख सड़क के उद्घाटन के बाद दोनों देशों के बीच उपजे सीमा विवाद के बावजूद इस साल भी भारत ने दरियादिली दिखाते हुए छांगरु और तिंकर के ग्रामीणों को लॉकडाउन के दौरान भारत से माइग्रेशन करने की अनुमति दी थी. हालांकि अब नेपाल ने माइग्रेशन को लेकर भारत पर निर्भरता खत्म कर दी है.

पिथौरागढ़: नेपाल की सेना ने चीन सीमा को जोड़ने वाले दार्चुला-तिंकर पैदल मार्ग का निर्माण कर आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम आगे बढ़ाया है. सोमवार को नेपाल के दार्चुला में सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट ने 87 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग का उद्घाटन किया. इस मौके पर सीएम त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि पैदल मार्ग बनने से ब्यास गांव पालिका के सीमांत गांव छांगरु और तिंकर के ग्रामीणों को राहत मिलेगी. इससे पहले छांगरु और तिंकर के 200 नेपाली परिवार भारतीय क्षेत्र धारचुला से होकर माइग्रेशन किया करते थे.

नेपाल सेना ने चीन सीमा पर स्थित अपने अंतिम गांव छांगरु और तिंकर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग तैयार कर लिया है. सुदूर पश्चिम प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिलोचन भट्ट ने 1 करोड़ 8 लाख की लागत से बने पैदल मार्ग का उद्घाटन कर जनता को सुपुर्द किया है. मार्ग के बनने से नेपाल के सीमांत क्षेत्र के लोगों के साथ ही नेपाली सेना को भी सहूलियत मिलेगी.

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बता दें कि ये मार्ग 40 साल पहले महाकाली नदी के तेज बहाव से अवरुद्ध हो गया था. जिसके चलते छांगरु और तिंकर क्षेत्र के ग्रामीण माइग्रेशन के लिए पूरी तरह भारत पर निर्भर थे. भारत सरकार द्वारा छियालेख सड़क के उद्घाटन के बाद दोनों देशों के बीच उपजे सीमा विवाद के बावजूद इस साल भी भारत ने दरियादिली दिखाते हुए छांगरु और तिंकर के ग्रामीणों को लॉकडाउन के दौरान भारत से माइग्रेशन करने की अनुमति दी थी. हालांकि अब नेपाल ने माइग्रेशन को लेकर भारत पर निर्भरता खत्म कर दी है.

Last Updated : Oct 6, 2020, 4:57 PM IST
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