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आपदा के बाद पटरी पर नहीं लौटी जिंदगी, टेंट में रहने को मजबूर ग्रामीण - आपदा के बाद पटरी पर नहीं लौटी जिंदगी

ग्रामीणों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. उन्होंने सरकार और प्रशासन से स्थायी तौर पर विस्थापित करने की मांग की है.

berinag Disaster
आपदा के जख्म.
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Published : Sep 6, 2020, 10:05 PM IST

बेरीनाग: उत्तराखंड में इस साल मॉनसून ने जमकर कहर बरसाया है. सबसे ज्यादा नुकसान पिथौरागढ़ जिले को हुआ है. जहां बेरीनाग तहसील के कई गांव ने आपदा की मार झेली थी. यहां आपदा को आए करीब एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन लोगों का जीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है. हालात ये है कि आपदाग्रस्त क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा परिवार महीनों बाद भी जंगलों के बीच टेंट में रहने को मजबूर हैं.

पिछले महीने पांखू क्षेत्र के कई गांवों में भारी बारिश कहर बनकर टूटी थी. भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कई घर जमींदोज हो गए थे. वहीं, कुछ मलबे की चपेट में आने क्षतिग्रस्त हो गए थे. हालांकि इन घरों में रहने वाले लोगों की किस्मत अच्छी थी कि समय रहते उनकी जान बच गई थी, लेकिन अभीतक इन लोगों को रहने के लिए आसरा नहीं मिला है. कूडी गांव में प्रशासन ने कुछ परिवारों को तो स्कूल में तो कुछ परिवारों को टेंट में शिफ्ट कर दिया था. टेंट में रह रहे इन परिवारों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है.

पढ़ें- आपदा की मार: खतरे की जद में कई परिवार, जंगलों के बीच टेंट में रहने को मजबूर लोग

आपदा पीड़ित ग्रामीण दीवान राम ने बताया कि दो दशक पहले भी इस गांव में भारी आपदा आई थी, लेकिन इस आपदा में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया. गांव के अधिकाश घर खतरे में जद में है. ऐसे में ग्रामीणों ने स्थायी तौर पर विस्थापित करने की मांग की है. स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने भी गांव में जाकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना और उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही उन्हें स्थायी विस्थापन का इंतजाम किया जाएगा.

बेरीनाग: उत्तराखंड में इस साल मॉनसून ने जमकर कहर बरसाया है. सबसे ज्यादा नुकसान पिथौरागढ़ जिले को हुआ है. जहां बेरीनाग तहसील के कई गांव ने आपदा की मार झेली थी. यहां आपदा को आए करीब एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन लोगों का जीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है. हालात ये है कि आपदाग्रस्त क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा परिवार महीनों बाद भी जंगलों के बीच टेंट में रहने को मजबूर हैं.

पिछले महीने पांखू क्षेत्र के कई गांवों में भारी बारिश कहर बनकर टूटी थी. भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कई घर जमींदोज हो गए थे. वहीं, कुछ मलबे की चपेट में आने क्षतिग्रस्त हो गए थे. हालांकि इन घरों में रहने वाले लोगों की किस्मत अच्छी थी कि समय रहते उनकी जान बच गई थी, लेकिन अभीतक इन लोगों को रहने के लिए आसरा नहीं मिला है. कूडी गांव में प्रशासन ने कुछ परिवारों को तो स्कूल में तो कुछ परिवारों को टेंट में शिफ्ट कर दिया था. टेंट में रह रहे इन परिवारों को अब अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है.

पढ़ें- आपदा की मार: खतरे की जद में कई परिवार, जंगलों के बीच टेंट में रहने को मजबूर लोग

आपदा पीड़ित ग्रामीण दीवान राम ने बताया कि दो दशक पहले भी इस गांव में भारी आपदा आई थी, लेकिन इस आपदा में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया. गांव के अधिकाश घर खतरे में जद में है. ऐसे में ग्रामीणों ने स्थायी तौर पर विस्थापित करने की मांग की है. स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने भी गांव में जाकर आपदा पीड़ितों का हाल जाना और उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही उन्हें स्थायी विस्थापन का इंतजाम किया जाएगा.

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