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पौड़ी: खुदाई में मिले मुगलकालीन सिक्के, पुरातत्वविद् ने जांच की उठाई मांग

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Published : Feb 9, 2020, 12:03 PM IST

Updated : Feb 9, 2020, 1:21 PM IST

साल 2018 में कठूड़ गांव के मंदिर में मिले चांदी के प्राचीन सिक्कों की जांच के लिए पुरात्वत्वविद् ने जिला प्रशासन से मांग की है.

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प्राचीन सिक्कों की जांच

पौड़ी: जिले के खिर्सू ब्लॉक के कठूड़ गांव में साल 2018 को मंदिर में मिले चांदी के सिक्कों की जांच के लिए पुरातत्वविद् डॉ. यशवंत ने जिला प्रशासन से मांग की है. जानकारी के अनुसार, गांव में भैरव मंदिर निर्माण के दौरान साल 2018 में एक घड़े के अंदर 300 से अधिक चांदी के सिक्के मिले थे. जिनके एक दिवसीय अध्ययन के बाद पता लगा कि इन सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल चौकोर व आयताकार है.

ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की सहमति से गांव के पास ही भैरवनाथ मंदिर निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था. मंदिर के पास खुदाई के दौरान 300 से अधिक चांदी के सिक्के मिलने के बाद ग्राम प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने मिलकर इसकी सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी थी. जिला प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर सभी सिक्कों को अपने कब्जे में लेकर इनकी जानकारी जुटाने का प्रयास किया.

प्राचीन सिक्कों की जांच की मांग

वहीं, ग्रामीणों की ओर से मांग की गई कि इन सभी सिक्कों का अध्ययन कर पूरी जानकारी जुटाई जाए. साथ ही गांव के आसपास अन्य पुरातत्व वस्तुओं के होने की संभावना है. इसके लिए भी विभाग क्षेत्र में आकर अध्ययन किया जाए. इतिहासकार व पुरातत्वविद् डॉ. यशवंत ने जिला प्रशासन से अध्ययन की अनुमति मांगी थी. इसके बाद हुए एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि और आकार को लेकर जानकारी सामने आई कि इन सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है.

ये भी पढ़ें: हल्द्वानी से हरिद्वार के लिए नहीं शुरू हो पाई हेलीकॉप्टर सेवा, यात्री हुए निराश

जिला प्रशासन की ओर से एक अध्ययन समिति का गठन कर उन्हें एक दिन के अध्ययन की अनुमति दी. जिसमें सिक्कों की लिपि और आकार की ही जानकारी सामने आ पाई. वहीं, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि शुरुआती अध्ययन में कुछ सिक्के चांदी और कुछ ताम्र के हैं. बताया जा रहा है कि सिक्के मुगलकालीन प्रतीत हो रहे हैं. इनमें कुछ सिक्के पंवार राजाओं के भी हो सकते हैं.

डॉ. जयजीत बर्तवाल ने कहा कि एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि और आकार को लेकर जो जानकारी सामने आई है. इनमें सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है. उन्होंने कहा कि एक दिन में सिक्कों का पूरी तरह से अध्ययन कर जानकारी जुटा पाना संभव नहीं था. सिक्कों के रहस्य को पूरी तरह जानने के लिए करीब 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए.

पौड़ी: जिले के खिर्सू ब्लॉक के कठूड़ गांव में साल 2018 को मंदिर में मिले चांदी के सिक्कों की जांच के लिए पुरातत्वविद् डॉ. यशवंत ने जिला प्रशासन से मांग की है. जानकारी के अनुसार, गांव में भैरव मंदिर निर्माण के दौरान साल 2018 में एक घड़े के अंदर 300 से अधिक चांदी के सिक्के मिले थे. जिनके एक दिवसीय अध्ययन के बाद पता लगा कि इन सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल चौकोर व आयताकार है.

ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की सहमति से गांव के पास ही भैरवनाथ मंदिर निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था. मंदिर के पास खुदाई के दौरान 300 से अधिक चांदी के सिक्के मिलने के बाद ग्राम प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने मिलकर इसकी सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी थी. जिला प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर सभी सिक्कों को अपने कब्जे में लेकर इनकी जानकारी जुटाने का प्रयास किया.

प्राचीन सिक्कों की जांच की मांग

वहीं, ग्रामीणों की ओर से मांग की गई कि इन सभी सिक्कों का अध्ययन कर पूरी जानकारी जुटाई जाए. साथ ही गांव के आसपास अन्य पुरातत्व वस्तुओं के होने की संभावना है. इसके लिए भी विभाग क्षेत्र में आकर अध्ययन किया जाए. इतिहासकार व पुरातत्वविद् डॉ. यशवंत ने जिला प्रशासन से अध्ययन की अनुमति मांगी थी. इसके बाद हुए एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि और आकार को लेकर जानकारी सामने आई कि इन सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है.

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जिला प्रशासन की ओर से एक अध्ययन समिति का गठन कर उन्हें एक दिन के अध्ययन की अनुमति दी. जिसमें सिक्कों की लिपि और आकार की ही जानकारी सामने आ पाई. वहीं, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी आशीष कुमार ने बताया कि शुरुआती अध्ययन में कुछ सिक्के चांदी और कुछ ताम्र के हैं. बताया जा रहा है कि सिक्के मुगलकालीन प्रतीत हो रहे हैं. इनमें कुछ सिक्के पंवार राजाओं के भी हो सकते हैं.

डॉ. जयजीत बर्तवाल ने कहा कि एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि और आकार को लेकर जो जानकारी सामने आई है. इनमें सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है. उन्होंने कहा कि एक दिन में सिक्कों का पूरी तरह से अध्ययन कर जानकारी जुटा पाना संभव नहीं था. सिक्कों के रहस्य को पूरी तरह जानने के लिए करीब 10 दिन का समय दिया जाना चाहिए.

Intro:खिर्सू ब्लॉक के कठूड़ गांव में साल 2018 में ग्रामीणों की सहमति से गांव के पास ही भैरवनाथ मंदिर निर्माण कार्य शुरु करवाया जा रहा था मंदिर के पास खुदाई के दौरान 300 से अधिक चांदी के सिक्के एक घड़े के मिले थे इसके बाद गांव के ग्राम प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने मिलकर इसकी सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी थी। जिला प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर सभी सिक्कों को अपने कब्जे में लेकर इनकी जानकारी जुटाने का प्रयास किया। प्रथम दृष्टि से यह सभी सिक्के चांदी के प्रतीत हो रहे थे वही सभी सिक्कों को सुरक्षा की दृष्टि से ट्रेजरी में सुरक्षित रखा गया है। वहीं ग्रामीणों की ओर से भी मांग की गई थी कि इन सभी सिक्कों का अध्ययन कर पूरी जानकारी जुटाई जाए और गांव के आसपास अन्य पुरातत्व वस्तुओं की होने की संभावना है इसके लिए भी विभाग क्षेत्र में आकर अध्ययन करें। इतिहासकार व पुरातत्वविद् डा. यशवंत ने जिला प्रशासन से अध्ययन की अनुमति मांगी थी एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि व आकार को लेकर जानकारी सामने आई है। इन सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है।Body:जनपद पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक के कठूड़ गांव में साल 2018 को भैरवनाथ मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान ग्रामीणों को खुदाई में तीन सौ से अधिक चांदी के सिक्के मिले थे। ग्रामीणों ने इन सभी सिक्कों को जिला प्रशासन को सौंप दिया था जिसके बाद सुरक्षा के दृष्टि से इन सिक्कों को ट्रेजरी के लॉक में रखा गया है। लेकिन सिक्कों का रहस्य अभी भी अनसुलझा ही है। जिसको देखते हुए इतिहासकार व पुरातत्वविद् डा. यशवंत कठोच ने जिला प्रशासन से अध्ययन की अनुमति मांगी थी। जिला प्रशासन की ओर से एक अध्ययन समिति का गठन कर उन्हें एक दिन के अध्ययन की अनुमति दी। जिसमें सिक्कों की लिपि व आकार की ही जानकारी सामने आ पाई है। वही क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारीआशीष कुमार ने बताया कि शुरुआती अध्ययन में कुछ सिक्के चांदी व कुछ ताम्र के हैं बताया कि सिक्के मुगलकालीन प्रतीत होते हैं, इनमें कुछ सिक्के पंवार राजाओं के भी हो सकते हैं। डॉ जयजीत बर्तवाल ने कहा कि एक दिवसीय अध्ययन में सिक्कों पर उकेरी लिपि व आकार को लेकर जो जानकारी सामने आई है इनमें सिक्कों की लिपि फारसी, आकार गोल, चौकोर व आयताकार है। उन्होंने कहा कि एक दिन में सिक्कों का पूरी तरह से अध्ययन कर जानकारी जुटा पाना संभव नहीं था। सिक्कों के रहस्य को पूरी तरह जानने के लिए करीब दस दिन का समय दिया जाना चाहिए।
बाईट-आशीष कुमार(क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी)
बाईट-डॉ.जयजीत बर्तवाल(इतिहास विभागाध्यक्ष गढ़वाल विवि)Conclusion:
Last Updated : Feb 9, 2020, 1:21 PM IST
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