पौड़ी: प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामित डाक्यूमेंट्री फिल्म के सूत्रधार डा. विद्यादत्त शर्मा ने गांधीवादी तरीके से आंदोलन शुरू कर दिया है. विद्यादत्त शर्मा आंदोलन किसी सत्ता परिवर्तन या भ्रष्टाचार के लिए नहीं बल्कि अपने क्षेत्र सांगुड़ा गांव को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए कर रहे हैं.
करीब 85 साल के बुजुर्ग को अपने ही सिस्टम से अब किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं है. बुजुर्ग विद्यादत्त शर्मा ने कहा बंदरों ने गांव व आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों मेंभयानक स्थिति पैदा कर दी है. बंदर खेतों की फसल तबाह कर रहे हैं. साथ ही वे ग्रामीणों के घर के अंदर घुसकर भी खाने पीने का सामान उड़ा रहे हैं.
कल्जीखाल ब्लॉक के मोतीबाग सांगुडा निवासी बुजुर्ग काश्तकार डा. विद्यादत्त शर्मा ने कलक्ट्रेट परिसर के सामने स्व. एचएन बहुगुणा मूर्तिस्थल के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है. बुजुर्ग काश्तकार डा. शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रशासन की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों की समस्या पर कोई ठोस समाधान नहीं निकाला जा रहा है. आलम यह है कि बंदरों ने गांवों में लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. बंदर आए दिन फसलों को नष्ट कर रहे हैं. घरों में घुसकर खाने पीने का सामान भी उड़ा रहे हैं. जिससे लोग काफी परेशान हो गए हैं. आलम यह है कि काश्तकार बंदरों के चलते खेती छोड़ने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कई बार बंदरों के आतंक से निजात दिलाए जाने को लेकर शासन से लेकर प्रशासन तक गुहार लगाई गई, लेकिन नतीजा सिफर ही निकला. जिसके कारण अब उन्होंने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है.
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बता दें विद्यादत्त शर्मा ने उत्तराखंड के पौड़ी जिले के सांगुडा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने पारिवारिक खेती की देखभाल के लिए पांच दशक पहले सरकारी नौकरी छोड़ दी थी. विद्यादत्त शर्मा आज भी खेती से जुड़े हुए हैं, जबकि उनके कई पड़ोसियों ने खेती छोड़ दी है. मोतीबाग डॉक्यूमेंट्री उन्ही के जीवन पर आधारित है. जिसे आस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया था