श्रीनगरः राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस अस्पताल में एक अविवाहिता अपने नवजात को अस्पताल के एक कमचारी को देकर चली गई. नवजात की एनआईसीयू (शिशु गहन देखभाल इकाई) में मौत हो गई. हैरत की बात है कि अस्पताल के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग ने प्रसूता को डिलीवरी के दो घंटे के अंदर ही छुट्टी भी दे दी. जबकि नियमानुसार 48 घंटे तक जच्चा-बच्चा डॉक्टरों की निगरानी में रहते हैं. वार्ड से तत्काल छुट्टी और नवजात के किसी अन्य के पास मौजूद होने की घटना को संदिग्ध देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने जच्चा-बच्चा से संबंधित रिकॉर्ड को सील कर दिया है. वहीं, कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, इस मामले में जांच कमेटी बैठाकर तहकीकात की जाएगी.
दरअसल, 9 जुलाई की शाम चार बजे बेस अस्पताल के प्रसूता वार्ड में 21 वर्षीय गर्भवती अविवाहित युवती को भर्ती कराया गया. अगले दिन यानि कि 10 जुलाई सुबह 11 बजे उसने एक शिशु को जन्म दिया. शिशु प्री-मैच्योर (समय से पूर्व) था. डिलीवरी के दो घंटे बाद ही प्रसूता को डिस्चार्ज कर दिया गया. जबकि उसे कम से कम 48 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रखा जाना था. बताया जा रहा है कि प्रसूता के परिजन नवजात को वार्ड के एक कर्मचारी के हवाले कर चले गए. इसके बाद उक्त कर्मचारी नवजात को एनआईसीयू वार्ड में ले गया.
माता-पिता के बजाय किसी अन्य द्वारा बच्चे को वार्ड में लाए जाने पर बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रोफेसर व्यास कुमार राठौर को मामला संदिग्ध लगा. उन्होंने इसकी सूचना अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आरएस बिष्ट को दी. इसके अलावा मामले को संदिग्ध देख इसकी सूचना पुलिस चौकी में दी गई. इसके अगले दिन 11 जुलाई को नवजात की मौत हो गई.
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पूरे मामले के संदिग्ध होने और बिना कानूनी प्रक्रिया के बच्चे को गोद देने का मामला प्रतीत होने पर अस्पताल प्रशासन ने एमआरडी (मेडिकल रिकॉर्ड विभाग) में उपलब्ध जच्चा-बच्चा की फाइल सील कर दी. साथ ही कॉलेज के प्राचार्य को भी सूचना दे दी गई.
संदेह के घेरे में स्त्री रोग विभाग की भूमिकाः प्रसूता की 2 घंटे के अंदर ही वार्ड से छुट्टी और नवजात को किसी अन्य को सौंपने के मामले में स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है. बताया जा रहा है कि प्रसूता ने यह भी लिखकर दिया है कि वह अपनी मर्जी से नवजात को वार्ड के एक कर्मचारी को देकर जा रही है, जबकि यह गैरकानूनी है. बच्चे की गोद लेने के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया करनी पड़ती है.
मामले पर बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक आरएस बिष्ट का कहना है कि बच्चा किसी अन्य को देना और दो घंटे के अंदर प्रसूता की छुट्टी करना मामले को संदिग्ध बना रहा है. इसीलिए जैसे ही मामला संज्ञान में आया, तत्काल रिकॉर्ड सील कर दिए गए. ताकि कागजातों के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो. प्राचार्य के निर्देश मिलने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी.