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जल संरक्षण पर DM ने ब्लॉक को दी शाबाशी, पर्यटकों से लेकर काश्तकारों को मिलेगा फायदा

पौड़ी डीएम विजय कुमार जोगदंडे ने कोटसाड़ा गांव में ब्लॉक द्वारा जल संरक्षण के कार्य की सराहना की है. डीएम ने कहा कि समस्त विकासखंडों में भी इस तरह की कार्ययोजना तैयार की जाएगी तथा उसमें जल संवर्द्धन का कार्य तेजी से किया जाएगा. पर्यटन की दृष्टि से भी जल संवर्द्धन का कार्य किया जाना जरूरी है.

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Published : Apr 1, 2022, 5:17 PM IST

Updated : Apr 1, 2022, 5:27 PM IST

water conservation in kotsada village
कोटसाड़ा गांव में जल संरक्षण

पौड़ीः जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन के तहत विकासखंड कोट के कोटसाड़ा गांव ने उत्कृष्ट कार्य किया है. 15वें वित्त योजना के अंतर्गत प्राकृतिक जल स्रोत का जीर्णोद्धार विकासखंड कार्यालय कोट द्वारा किया गया. जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने अपने स्थलीय भ्रमण के दौरान जल स्रोत का निरीक्षण किया तो डीएम उसकी तारीफ करने से अपने आप को रोक ना सके. डीएम ने ना सिर्फ संबंधित विभाग की सराहना की बल्कि दूसरे विभाग को भी अन्य स्थानों पर इस तरह के कार्य करने के लिए कहा. जिससे स्थानीय लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल तथा कृषि के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा. उन्होंने कहा कि समस्त विकासखंडों में भी इस तरह की कार्ययोजना तैयार की जाएगी तथा उसमें जल संवर्द्धन का कार्य तेजी से किया जाएगा.

जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि जिले में ऐसे प्राकृतिक स्रोतों का जीर्णोद्धार कर उन्हें एक नये रूप में विकसित किया जाएगा. जिससे स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से भी जल संवर्द्धन का कार्य किया जा रहा है तथा उस स्थान में पेयजल के साथ ही पौधों का रोपण भी किया जाएगा. इससे स्थानीय लोग तथा बाहर से आने वाले पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे. उन्होंने कहा कि जिले के समस्त विकासखंड में प्राकृतिक जल स्रोतों का संवर्द्धन व संरक्षण के लिए जीआईएस मैपिंग तथा उसके बाद कार्ययोजना तैयार कर कार्य किया जाएगा. इससे स्थानीय लोग अपने खेतों में भी सिंचाई कर सकेंगे.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी: कूड़ा निस्तारण के लिए एजेंसी से अनुबंध, स्थान का भी जल्द होगा चयन

कनिष्ठ अभियंता लघु सिंचाई अनिल कुमार ने बताया कि 15वें वित्त योजना के अंतर्गत लगभग 1 लाख 65 हजार की लागत से जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन का कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि कोट ब्लॉक के कोटसाड़ा गांव में पिछले लंबे समय से प्राकृतिक स्रोत का पानी धीरे-धीरे कम होता जा रहा था. इसी बीच उस पेयजल स्रोत का जीर्णोद्धार करने के लिए कार्य योजना बनाई गई. अनिल कुमार ने कहा कि पानी को संरक्षित करने के लिए टैंक बनाया गया, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी एकत्रित होता है. इससे कोटसाड़ा गांव व आस-पास के गांवों को भी काफी फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि ऐसे प्राकृतिक स्रोतों का चयन किया जा रहा है तथा उन पर भी इसी रूप में कार्य किया जाएगा, जिससे पानी बर्बाद होने से बच सकेगा तथा लोगों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

पौड़ीः जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन के तहत विकासखंड कोट के कोटसाड़ा गांव ने उत्कृष्ट कार्य किया है. 15वें वित्त योजना के अंतर्गत प्राकृतिक जल स्रोत का जीर्णोद्धार विकासखंड कार्यालय कोट द्वारा किया गया. जिलाधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने अपने स्थलीय भ्रमण के दौरान जल स्रोत का निरीक्षण किया तो डीएम उसकी तारीफ करने से अपने आप को रोक ना सके. डीएम ने ना सिर्फ संबंधित विभाग की सराहना की बल्कि दूसरे विभाग को भी अन्य स्थानों पर इस तरह के कार्य करने के लिए कहा. जिससे स्थानीय लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल तथा कृषि के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा. उन्होंने कहा कि समस्त विकासखंडों में भी इस तरह की कार्ययोजना तैयार की जाएगी तथा उसमें जल संवर्द्धन का कार्य तेजी से किया जाएगा.

जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि जिले में ऐसे प्राकृतिक स्रोतों का जीर्णोद्धार कर उन्हें एक नये रूप में विकसित किया जाएगा. जिससे स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से भी जल संवर्द्धन का कार्य किया जा रहा है तथा उस स्थान में पेयजल के साथ ही पौधों का रोपण भी किया जाएगा. इससे स्थानीय लोग तथा बाहर से आने वाले पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे. उन्होंने कहा कि जिले के समस्त विकासखंड में प्राकृतिक जल स्रोतों का संवर्द्धन व संरक्षण के लिए जीआईएस मैपिंग तथा उसके बाद कार्ययोजना तैयार कर कार्य किया जाएगा. इससे स्थानीय लोग अपने खेतों में भी सिंचाई कर सकेंगे.
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कनिष्ठ अभियंता लघु सिंचाई अनिल कुमार ने बताया कि 15वें वित्त योजना के अंतर्गत लगभग 1 लाख 65 हजार की लागत से जल संरक्षण एवं जल संवर्द्धन का कार्य किया गया. उन्होंने कहा कि कोट ब्लॉक के कोटसाड़ा गांव में पिछले लंबे समय से प्राकृतिक स्रोत का पानी धीरे-धीरे कम होता जा रहा था. इसी बीच उस पेयजल स्रोत का जीर्णोद्धार करने के लिए कार्य योजना बनाई गई. अनिल कुमार ने कहा कि पानी को संरक्षित करने के लिए टैंक बनाया गया, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी एकत्रित होता है. इससे कोटसाड़ा गांव व आस-पास के गांवों को भी काफी फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि ऐसे प्राकृतिक स्रोतों का चयन किया जा रहा है तथा उन पर भी इसी रूप में कार्य किया जाएगा, जिससे पानी बर्बाद होने से बच सकेगा तथा लोगों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

Last Updated : Apr 1, 2022, 5:27 PM IST
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