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आधारभूत सुविधाओं के बिना ऑनलाइन पढ़ाई बढ़ा रही टेंशन, शिक्षक बोले- क्लास का विकल्प नहीं

कोरोना संक्रमण के चलते छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. कोरोनाकाल की वजह से प्रशासन द्वारा विद्यालयों को न खोलने का निर्णय लिया है. शिक्षा विभाग ऑनलाइन क्लासेस के संचालन में जुटा हुआ है.

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पौड़ी
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Published : Sep 17, 2020, 1:04 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. वहीं कोरोना के चलते प्रशासन द्वारा विद्यालयों को न खोलने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा विभाग ऑनलाइन क्लासेस के संचालन में जुटा हुआ है. जिससे बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सकें.

शिक्षकों का कहना है कि कक्षा का विकल्प ऑनलाइन शिक्षा कभी भी नहीं हो सकती है. शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और नेटवर्क की समस्या को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सबसे बढ़ा अवरोध बताया है. 50 से 55 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ पा रहे हैं. लेकिन नेटवर्क न होने के चलते बच्चों से सही से संवाद भी नहीं हो पा रहा है.

क्लास का विकल्प नहीं ऑनलाइन पढ़ाई.

जीआईसी पौड़ी की शिक्षिका शुभांगी भट्ट ने बताया कि भले ही लंबे समय से बच्चों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. लेकिन क्लास रूम का कोई विकल्प नहीं हो सकता है. क्लास रूम में पढ़ाते समय शिक्षकों द्वारा छात्रों के चेहरे देख कर ही पता लगा लेते है कि उसे समझ आ रहा है या नहीं, जो ऑनलाइन कक्षाओं में संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि, पहाड़ी इलाकों में रहने वाले छात्रों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और नेटवर्क की समस्या ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक सबसे बड़ी समस्या बन रही है.

शिक्षक अनुसूया प्रसाद गोदियाल का कहना है कि, सभी छात्रों के पास एनराइड फोन नहीं हैं. जिससे कि कक्षा के सभी बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रही है. विषयों के लिए छात्रों के ग्रुप बनाए गए हैं. जिनमें वीडियो के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है, छात्रों को सभी महत्वपूर्ण पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराए जाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

राजकीय इंटर कालेज पौड़ी के प्रधानाचार्य विमल चंद्र बहुगुणा ने बताया कि करीब 50 से 55 फीसदी छात्र ही ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपलब्ध हो पा रहे हैं. अभिभावकों की ओर से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जो मोबाइल दिया जा रहा है. बच्चे उस मोबाइल की मदद से पढ़ाई कम और अन्य चीजों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसकी शिकायत भी अभिभावकों की ओर से ही की जा रही है. पहले बच्चों को मोबाइल से दूर रहकर पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा जाता था. लेकिन आज अभिभावकों की मजबूरी हो गई है कि वह अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्हें मोबाइल का प्रयोग करने को कह रहे हैं. जिसका बच्चे दुरूपयोग कर रहे हैं.

पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा के लिए मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है. जनपद पौड़ी में 1,446 बेसिक स्कूल हैं. जिनमें करीब 29 हजार छात्र अध्ययनरत हैं. इन स्कूलों में करीब 2,200 शिक्षक कार्यरत हैं. इसके अलावा 256 जूनियर स्कूल हैं. जिनमें 6,500 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 302 है. जहां 40 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. मुख्य शिक्षाधिकारी मदन सिंह रावत ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा की मॉनिटरिंग के लिए कमेटी गठित की गई है, जो शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में है.

पौड़ी: उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते छात्र-छात्राओं को शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. वहीं कोरोना के चलते प्रशासन द्वारा विद्यालयों को न खोलने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा विभाग ऑनलाइन क्लासेस के संचालन में जुटा हुआ है. जिससे बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सकें.

शिक्षकों का कहना है कि कक्षा का विकल्प ऑनलाइन शिक्षा कभी भी नहीं हो सकती है. शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और नेटवर्क की समस्या को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए सबसे बढ़ा अवरोध बताया है. 50 से 55 फीसदी बच्चे ही ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ पा रहे हैं. लेकिन नेटवर्क न होने के चलते बच्चों से सही से संवाद भी नहीं हो पा रहा है.

क्लास का विकल्प नहीं ऑनलाइन पढ़ाई.

जीआईसी पौड़ी की शिक्षिका शुभांगी भट्ट ने बताया कि भले ही लंबे समय से बच्चों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. लेकिन क्लास रूम का कोई विकल्प नहीं हो सकता है. क्लास रूम में पढ़ाते समय शिक्षकों द्वारा छात्रों के चेहरे देख कर ही पता लगा लेते है कि उसे समझ आ रहा है या नहीं, जो ऑनलाइन कक्षाओं में संभव नहीं है. उन्होंने बताया कि, पहाड़ी इलाकों में रहने वाले छात्रों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और नेटवर्क की समस्या ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एक सबसे बड़ी समस्या बन रही है.

शिक्षक अनुसूया प्रसाद गोदियाल का कहना है कि, सभी छात्रों के पास एनराइड फोन नहीं हैं. जिससे कि कक्षा के सभी बच्चे ऑनलाइन शिक्षा के लिए उपलब्ध नहीं हो पा रही है. विषयों के लिए छात्रों के ग्रुप बनाए गए हैं. जिनमें वीडियो के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है, छात्रों को सभी महत्वपूर्ण पठन-पाठन सामग्री उपलब्ध कराए जाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

राजकीय इंटर कालेज पौड़ी के प्रधानाचार्य विमल चंद्र बहुगुणा ने बताया कि करीब 50 से 55 फीसदी छात्र ही ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपलब्ध हो पा रहे हैं. अभिभावकों की ओर से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए जो मोबाइल दिया जा रहा है. बच्चे उस मोबाइल की मदद से पढ़ाई कम और अन्य चीजों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसकी शिकायत भी अभिभावकों की ओर से ही की जा रही है. पहले बच्चों को मोबाइल से दूर रहकर पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा जाता था. लेकिन आज अभिभावकों की मजबूरी हो गई है कि वह अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्हें मोबाइल का प्रयोग करने को कह रहे हैं. जिसका बच्चे दुरूपयोग कर रहे हैं.

पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा के लिए मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है. जनपद पौड़ी में 1,446 बेसिक स्कूल हैं. जिनमें करीब 29 हजार छात्र अध्ययनरत हैं. इन स्कूलों में करीब 2,200 शिक्षक कार्यरत हैं. इसके अलावा 256 जूनियर स्कूल हैं. जिनमें 6,500 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 302 है. जहां 40 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. मुख्य शिक्षाधिकारी मदन सिंह रावत ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा की मॉनिटरिंग के लिए कमेटी गठित की गई है, जो शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में है.

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