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इंदिरा अम्मा कैंटीन को बंद करने का नोटिस, हरीश सरकार ने शुरू की थी योजना

पौड़ी जिले में नवंबर 2015 से कैंटीन का  संचालन होता रहा है.  दरअसल नवंबर 2015 से बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह  की ओर से इंदिरा अम्मा भोजनालय कैंटीन की शुरुआत की गई थी. उस वक्त उन्हें इस कैंटीन की समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी

इंदिरा अम्मा कैंटीन को डीआरडीए ने दिया नोटिस.
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Published : May 16, 2019, 3:05 PM IST

पौड़ी: पूर्व की हरीश रावत सरकार में संचालित जिले के इंदिरा अम्मा कैंटीन को खाली करने के लिए डीआरडीए ने नोटिस जारी किया है. डीआरडीए के फरमान के बाद कैंटीन का संचालन कर रही महिला समूह के आगे आर्थिक संकट गहराने लगा है. वहीं महिलाओं का कहना है कि डीआरडीए के इस कदम से उनकी आजीविका उपार्जन का साधन खत्म हो जाएगा. गौर हो कि पौड़ी जिले में नवंबर 2015 से कैंटीन का संचालन हो रहा है.

दरअसल नवंबर 2015 से बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की ओर से इंदिरा अम्मा भोजनालय की शुरुआत की गई थी. उस वक्त उन्हें इस कैंटीन की समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी. 4 साल तक लगातार महिलाओं के समूह ने यहां मेहनत कर कैंटीन को अपनी आजीविका का सहारा बना लिया था. लेकिन अब जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के नोटिस के बाद उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

हरीश रावत सरकार में मिली थी स्वीकृति

पूर्व की हरीश रावत सरकार के दौरान नवंबर 2015 में बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कैंटीन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शासनादेश के अनुसार कैंटीन का संचालन 2 साल के लिए रखा गया है और इस समूह को 2 साल अतिरिक्त दिए गए थे. लेकिन अब स्वयं सहायता समूह को डीआरडीए की ओर से कैंटीन को खाली करने का नोटिस थमाया गया है. जिससे महिलाओं के आगे अब रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

इंदिरा अम्मा कैंटीन को दिया नोटिस.

महिलाओं को सता रही रोजी-रोटी की समस्या

वहीं सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा देवी ने बताया कि साल 2015 से वो इस भोजनालय को चला रही हैं. कैंटीन की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी, वरना वह इस कैंटीन की शुरुआत करती ही नहीं. कैंटीन के काम के चलते चार साल से उन्होंने अपने घर का काम खेतीबाड़ी आदि छोड़ दिया है. अब उनके घर में आय का कोई दूसरा श्रोत भी नहीं है. जिसके चलते उन्हें परिवार चलाने की चिंता सता रही है.

वहीं स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि साल 2015 से महिलाएं इंदिरा अम्मा कैंटीन का संचालन कर रही हैं. यहां पर खाने की गुणवत्ता और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है जिसके चलते यहां पर प्रत्येक व्यक्ति भोजन ग्रहण करने पहुंचता है.

क्या कह रहे अधिकारी

डीआरडीए के परियोजना निदेशक एसएस शर्मा ने बताया कि पूर्व से ही यह शासनादेश चलता आ रहा है कि कैंटीन का संचालन मात्र 2 साल के लिए ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि शासन के नियमानुसार ही समूह को कैंटीन खाली करने के निर्देश दिए गए हैं.

पौड़ी: पूर्व की हरीश रावत सरकार में संचालित जिले के इंदिरा अम्मा कैंटीन को खाली करने के लिए डीआरडीए ने नोटिस जारी किया है. डीआरडीए के फरमान के बाद कैंटीन का संचालन कर रही महिला समूह के आगे आर्थिक संकट गहराने लगा है. वहीं महिलाओं का कहना है कि डीआरडीए के इस कदम से उनकी आजीविका उपार्जन का साधन खत्म हो जाएगा. गौर हो कि पौड़ी जिले में नवंबर 2015 से कैंटीन का संचालन हो रहा है.

दरअसल नवंबर 2015 से बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की ओर से इंदिरा अम्मा भोजनालय की शुरुआत की गई थी. उस वक्त उन्हें इस कैंटीन की समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी. 4 साल तक लगातार महिलाओं के समूह ने यहां मेहनत कर कैंटीन को अपनी आजीविका का सहारा बना लिया था. लेकिन अब जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के नोटिस के बाद उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

हरीश रावत सरकार में मिली थी स्वीकृति

पूर्व की हरीश रावत सरकार के दौरान नवंबर 2015 में बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कैंटीन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शासनादेश के अनुसार कैंटीन का संचालन 2 साल के लिए रखा गया है और इस समूह को 2 साल अतिरिक्त दिए गए थे. लेकिन अब स्वयं सहायता समूह को डीआरडीए की ओर से कैंटीन को खाली करने का नोटिस थमाया गया है. जिससे महिलाओं के आगे अब रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

इंदिरा अम्मा कैंटीन को दिया नोटिस.

महिलाओं को सता रही रोजी-रोटी की समस्या

वहीं सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा देवी ने बताया कि साल 2015 से वो इस भोजनालय को चला रही हैं. कैंटीन की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी, वरना वह इस कैंटीन की शुरुआत करती ही नहीं. कैंटीन के काम के चलते चार साल से उन्होंने अपने घर का काम खेतीबाड़ी आदि छोड़ दिया है. अब उनके घर में आय का कोई दूसरा श्रोत भी नहीं है. जिसके चलते उन्हें परिवार चलाने की चिंता सता रही है.

वहीं स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि साल 2015 से महिलाएं इंदिरा अम्मा कैंटीन का संचालन कर रही हैं. यहां पर खाने की गुणवत्ता और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है जिसके चलते यहां पर प्रत्येक व्यक्ति भोजन ग्रहण करने पहुंचता है.

क्या कह रहे अधिकारी

डीआरडीए के परियोजना निदेशक एसएस शर्मा ने बताया कि पूर्व से ही यह शासनादेश चलता आ रहा है कि कैंटीन का संचालन मात्र 2 साल के लिए ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि शासन के नियमानुसार ही समूह को कैंटीन खाली करने के निर्देश दिए गए हैं.

Intro:पौड़ी में स्थित इंदिरा अम्मा भोजनालय कैंटीन को खाली करने के लिए डीआरडीए ने नोटिस जारी कर दिए हैं। नवंबर 2015 से कैंटीन का  संचालन कर रही महिलाओं के समूह के समक्ष आर्थिक संकट  गहराने लग गया है दरअसल नवंबर 2015 से बद्रीनाथ स्वयं सहायता समूह  की ओर से इंदिरा अम्मा भोजनालय कैंटीन की शुरुआत की गई थी उस वक्त उन्हें इस कैंटीन की समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी और 4 साल तक लगातार इन महिलाओं के समूह ने यहां मेहनत कर अपनी आजीविका का सहारा बना लिया था लेकिन अब डीआरडीए के नोटिस के बाद उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।


Body:हरीश रावत सरकार के दौरान  नवंबर 2015 में  बद्रीनाथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कैंटीन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन उस दौरान उन्हें  समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी जिसके चलते महिलाएं पूरी मेहनत के साथ इस भोजनालय का संचालन कर रही थी।  शासनादेश के अनुसार कैंटीन का संचालन 2 साल के लिए रखा गया है और  इस समूह को 2 साल अतिरिक्त  दिए गए थे लेकिन अब  जब  स्वयं सहायता समूह को डीआरडीए की ओर से कैंटीन को खाली करने के  नोटिस दिए गए तो उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा देवी ने बताया कि  साल 2015 से वह इस भोजनालय को चला रहे हैं। कैंटीन की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी वरना वह इस कैंटीन की शुरुआत करते ही नहीं। कैंटीन के काम के चलते चार साल से उन्होंने अपने घर का काम खेती आदि छोड़ दी है और उनके घर में आय का कोई दूसरा श्रोत भी नहीं है जिसके चलते उनके समक्ष कहीं न कहीं आर्थिक संकट पैदा हो गया है ।

बाईट-सीमा देवी(अध्यक्ष सहायता समूह)


Conclusion:स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि साल 2015 से महिलाओं का समूह इंदिरा अम्मा कैंटीन का संचालन कर रहे हैं यहां पर खाने की गुणवत्ता और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है जिसके चलते यहां पर प्रत्येक व्यक्ति भोजन ग्रहण करने पहुंचता है कम कीमत में अच्छा भोजन देने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस कैंटीन की शुरुआत की गयी थी लेकिन शासनादेश के अनुसार 2 साल की जो समय सीमा रखी गई है उससे महिलाओं के समक्ष आजीविका का संकट पैदा हो गया है वही डीआरडीए के परियोजना निदेशक एसएस शर्मा ने बताया कि पूर्व से ही यह शासनादेश चलता आ रहा है कि कैंटीन का संचालन मात्र 2 साल के लिए ही रखा गया है और शासन के नियमानुसार ही समूह को कैंटीन खाली करने के निर्देश दिए गए हैं।

बाईट-त्रिभुवन उनियाल(स्थानिय निवासी)
बाईट-एसएस शर्मा(परियोजना निदेशक)
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