पौड़ी: पूर्व की हरीश रावत सरकार में संचालित जिले के इंदिरा अम्मा कैंटीन को खाली करने के लिए डीआरडीए ने नोटिस जारी किया है. डीआरडीए के फरमान के बाद कैंटीन का संचालन कर रही महिला समूह के आगे आर्थिक संकट गहराने लगा है. वहीं महिलाओं का कहना है कि डीआरडीए के इस कदम से उनकी आजीविका उपार्जन का साधन खत्म हो जाएगा. गौर हो कि पौड़ी जिले में नवंबर 2015 से कैंटीन का संचालन हो रहा है.
दरअसल नवंबर 2015 से बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की ओर से इंदिरा अम्मा भोजनालय की शुरुआत की गई थी. उस वक्त उन्हें इस कैंटीन की समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी. 4 साल तक लगातार महिलाओं के समूह ने यहां मेहनत कर कैंटीन को अपनी आजीविका का सहारा बना लिया था. लेकिन अब जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के नोटिस के बाद उनके समक्ष आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
हरीश रावत सरकार में मिली थी स्वीकृति
पूर्व की हरीश रावत सरकार के दौरान नवंबर 2015 में बदरीनाथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कैंटीन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. शासनादेश के अनुसार कैंटीन का संचालन 2 साल के लिए रखा गया है और इस समूह को 2 साल अतिरिक्त दिए गए थे. लेकिन अब स्वयं सहायता समूह को डीआरडीए की ओर से कैंटीन को खाली करने का नोटिस थमाया गया है. जिससे महिलाओं के आगे अब रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.
महिलाओं को सता रही रोजी-रोटी की समस्या
वहीं सहायता समूह की अध्यक्ष सीमा देवी ने बताया कि साल 2015 से वो इस भोजनालय को चला रही हैं. कैंटीन की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें समय सीमा की जानकारी नहीं दी गई थी, वरना वह इस कैंटीन की शुरुआत करती ही नहीं. कैंटीन के काम के चलते चार साल से उन्होंने अपने घर का काम खेतीबाड़ी आदि छोड़ दिया है. अब उनके घर में आय का कोई दूसरा श्रोत भी नहीं है. जिसके चलते उन्हें परिवार चलाने की चिंता सता रही है.
वहीं स्थानीय निवासी त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि साल 2015 से महिलाएं इंदिरा अम्मा कैंटीन का संचालन कर रही हैं. यहां पर खाने की गुणवत्ता और साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है जिसके चलते यहां पर प्रत्येक व्यक्ति भोजन ग्रहण करने पहुंचता है.
क्या कह रहे अधिकारी
डीआरडीए के परियोजना निदेशक एसएस शर्मा ने बताया कि पूर्व से ही यह शासनादेश चलता आ रहा है कि कैंटीन का संचालन मात्र 2 साल के लिए ही रखा गया है. उन्होंने कहा कि शासन के नियमानुसार ही समूह को कैंटीन खाली करने के निर्देश दिए गए हैं.