कोटद्वार: जिले में गुलदार के लगातार बढ़ रहे हमलों से लोगों में दहशत का माहौल है. अगर एक माह के आंकड़ों की बात करें तो गुलदार ने महिला समेत चार लोगों को हमला कर मौत के घाट उतारा है. इसके बावजूद सरकारी सिस्टम पुख्ता उपाय करने के बजाय पिंजरे लगाने तक सिमटा हुआ है.
आपको बता दें कि, बीती 10 जून से आज तक जिले के अंदर चार लोगों को गुलदार ने निवाला बनाया है. जबकि, चार लोगों पर हमला कर घायल किया. साथ ही अलग-अलग गांव में कई मवेशियों को गुलदार मार चुका है. इस दौरान एक गुलदार शिकारी की गोली का निशाना बना, जबकि एक गुलदार पिंजरे में कैद हुआ है.
पहाड़ी क्षेत्रों में गुलदार के बढ़ रहे हमले
दरअसल, बरसात के मौसम में झाड़िया बढ़ जाती है, और गुलदार को गांव के आसपास छिपने को बेहतर जगह मिल जाती है. पहाड़ों में पलायन के चलते गांव के गांव खाली हो चुके हैं. गांव में झाड़ियों की सफाई करने के लिए पर्याप्त मद तक नहीं है. ऐसे में गुलदार घर के आंगन तक पहुंच रहे हैं और आए दिन ग्रामीण गुलदार के निवाला बन रहे हैं.
पिछले एक माह में गुलदार के हमले का विवरण
बता दें कि, गुलदार ने 10 जून को चौबट्टाखाल तहसील के ग्राम डबरा निवासी गोदावरी देवी को निवाला बनाया था और 22 जून थलीसैंण तहसील के अंतर्गत भैसोड़ा निवासी दिनेश चंद्र को निवाला बनाया था. जिसके बाद 8 जून को गुलदार के हमले में बीरोंखाल ब्लॉक निवासी रामप्रसाद बाल-बाल बचे थे. वहीं, 1 जुलाई को द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम बागी निवासी पृथिवी चंद्र को निवाला बनाया था.
गुलदार ने 3 जुलाई को पाबौ ब्लाक के ग्राम सभा तिमलखाल के तोकग्राम चुपडियूं निवासी बालमति देवी को निवाला बनाया था और 4 जुलाई श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत पर हमला किया था. जिसके बाद 4 जुलाई श्रीनगर निवासी पूर्णी देवी गुलदार के हमले में घायल हुई थी. वहीं, 6 जुलाई को द्वारीखाल ब्लॉक में 32 साल के नेपाली मूल के मजदूर बीर बहादुर पर हमला कर घायल किया था.
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लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दीपक सिंह ने बताया कि जो गुलदार बूढ़ा हो जाता है, उसको जंगल में शक्तिशाली गुलदार मार देते हैं, और वह अपनी जान बचाकर किसी तरह भाग कर जंगल से गांव के आस पास आकर बैठ जाते है. यही वह गुलदार होते हैं जो की गांव के आसपास गांव वासियों पर हमला करते है. बीते दिन जिस गुलदार ने नेपाली मूल के मजदूर पर हमला किया था वह काफी बूढ़ा था.
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ग्राम प्रधान सलमान अहमद अंसारी ने कहा कि जंगलों में छोटे जानवरों के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है जो कि कुछ मनुष्यों ने नष्ट कर दिया तो कुछ आग लगने से नष्ट हो गया है. जिस कारण छोटे जानवर भोजन की तलाश में ऊंची पहाड़ियों पर चले गए. गुलदार हिरन, काकड़, घुरड़, लंगूर, बंदर व अन्य जानवरों को निवाला बना लेता है. जब जंगलों में गुलदार के लिए पर्याप्त भोजन नहीं रहा तो वह आबादी को रुख करने लग गए हैं. जो गुलदार अधिक उम्र का हो जाता वह शिकार के लिए आबादी के आस पास आकर बैठ जाता है और आबादी में लोगों पर जानलेवा हमला कर देता है.