कोटद्वार: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए पूरे देश को 3 मई तक लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में सरकार ने एलान किया था कि श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को आर्थिक सहायता के रूप में ₹1000 की धनराशि दी जाएगी. लॉकडाउन के तीन सप्ताह बीत जाने के बाद अभी तक सिर्फ कुछ श्रमिकों के खाते में रुपए पहुंचे हैं, जबकि 7 अप्रैल को कोटद्वार में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा था कि उन्होंने डीपीटी के माध्यम से सभी श्रमिकों के खाते में ₹1000 डालने का काम किया है.
महिला श्रमिक का कहना है कि लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हो गया है, लेकिन सरकार ने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है. उनको अभी तक सरकार की आर्थिक सहायता के ₹1000 नहीं मिले हैं. जिससे लॉकडाउन के समय श्रमिकों को घर चलाना मुश्किल हो रहा है.
वहीं, इस मामले में श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश में श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक 3 लाख 12 करीब हैं. रावत के मुताबिक अभी तक 1,44,600 श्रमिकों के खाते में ₹1000 की सहायता धनराशि भेजी गई है. हालांकि, डेढ़ लाख से अधिक श्रमिकों को अभी आर्थिक सहायता नहीं मिली है.
पढ़ें- नाबार्ड, सिडबी और नेशनल हाउसिंग बैंक को 50,000 करोड़ की मदद: आरबीआई गवर्नर
आर्थिक सहायता न मिलने की ये है वजह
श्रम मंत्री ने बताया कि उन श्रमिकों को अभी तक सहायता नहीं मिली है कि जिनके खातों में कोई त्रुटि (IFSC कोड, खाता नंबर और कार्ड रिन्यूवल) है. ऐसे श्रमिकों को सरकार ने खाते को ठीक कराने के लिए 6 महीने (31 दिसंबर 2020) का समय दिया है. उन्होंने कहा कि जैसे ही श्रमिकों को खाते ठीक हो जाएंगे, तत्काल उनके खाते में पैसे भेज दिए जाएंगे.