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श्रीनगर: बे मौसम बारिश से बर्बाद हुई तैयार फसलें, किसानों को भारी नुकसान

श्रीनगर के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बे मौसम बारिश ने किसानों की तैयार फसलों को चौपट कर दिया है. वहीं, इस बारिश को लेकर हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार किसानों को काफी नुकसान होगा.

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Published : May 11, 2020, 4:57 PM IST

srinagar crops ruined
बे मौसम हुई बारिश से बर्बाद हुई तैयार फसलें

श्रीनगर: जिले में हुई बे मौसम बारिश और ओलावृष्टी ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है. इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान आम, गेहूं, आड़ू, सेब को हुआ है. इसको लेकर हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश और ओलावृष्टि का सबसे ज्यादा असर फसलों की हार्वेस्टिंग पर पड़ेगा, जिससे काश्तकारों को काफी नुकसान होगा.

पर्वतीय क्षेत्रों में गेहूं की फसल कट कर खेतों में पड़ी हुई है, लेकिन बारिश की वजह से किसानों को फसल सुखाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. साथ ही ये समय आम ओर लीची की हार्वेस्टिंग के लिए उपयुक्त समय माना जाता है, लेकिन ओले पड़ने के कारण आम और लीची पेड़ों से गिर कर बर्बाद हो गए, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, आड़ू, पोलम, सेब की खेती भी चौपट हो रही है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली-गुड़गांव बस स्टैंड पर उत्तराखंड रोडवेज बस से उतारे गये युवा, ये है VIRAL VIDEO का सच

वहीं, हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के निदेशक एसआर नौटियाल का कहना है कि इस बार समय से पहले हो रही बारिश, ग्लोबल वॉर्मिग का परिणाम है, जो किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है. बे मौसम बारिश इस समय तैयार फसलों के लिए काफी हानिकारक है. इससे किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.

श्रीनगर: जिले में हुई बे मौसम बारिश और ओलावृष्टी ने किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया है. इस बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान आम, गेहूं, आड़ू, सेब को हुआ है. इसको लेकर हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश और ओलावृष्टि का सबसे ज्यादा असर फसलों की हार्वेस्टिंग पर पड़ेगा, जिससे काश्तकारों को काफी नुकसान होगा.

पर्वतीय क्षेत्रों में गेहूं की फसल कट कर खेतों में पड़ी हुई है, लेकिन बारिश की वजह से किसानों को फसल सुखाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. साथ ही ये समय आम ओर लीची की हार्वेस्टिंग के लिए उपयुक्त समय माना जाता है, लेकिन ओले पड़ने के कारण आम और लीची पेड़ों से गिर कर बर्बाद हो गए, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, आड़ू, पोलम, सेब की खेती भी चौपट हो रही है.

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वहीं, हेमवंती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विवि के उच्च शिखरीय पादप शोध संस्थान के निदेशक एसआर नौटियाल का कहना है कि इस बार समय से पहले हो रही बारिश, ग्लोबल वॉर्मिग का परिणाम है, जो किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है. बे मौसम बारिश इस समय तैयार फसलों के लिए काफी हानिकारक है. इससे किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा.

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