पौड़ी: जिला मुख्यालय पौड़ी की वाल्मीकि बस्ती में अज्ञात बीमारी से सुअरों की मौत का मामला सामने आया है. जिसके बाद इन सुअरों की मौत की जांच की गई. आईवीआरआई बरेली से प्राप्त रिपोर्ट अनुसार सुअरों में संक्रामक रोग अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) की पुष्टि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वायरस कंट्रोल नहीं हुआ तो सुअरों की मौत का ग्राफ शत प्रतिशत तक हो सकता है.
बता दें कि पौड़ी शहर की वाल्मीकि बस्ती में पिछले 15 दिनों से सुअरों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. अभी तक करीब 35 से अधिक सुअरों के मरने की पुष्टि हुई है. मामले में बीआरएम विद्यालय के प्रधानाचार्य डीपी ममगाई ने बीते 24 जून को स्कूल के समीप मृत सुअरों को दफनाने और गदेरे में फेंके जाने से गंभीर संक्रामक बीमारी फैलने की शिकायत डीएम से की थी.
शिकायत पर डीएम डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने नगर पालिका और पशुपालन विभाग की एक संयुक्त टीम बनाकर निरीक्षण के लिए भेजा था. पशुपालन विभाग के चिकित्साधिकारी डॉ अशोक कुमार ने बताया कि 29 जून को सुअरों के सैंपल लिए गए. जिन्हें 30 जून को भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली भेजा गया. सोमवार को सैंपल की जांच रिपोर्ट आ गई. जिसमें सुअरों की मृत्यु का कारण अफ्रीकन स्वाइन फीवर बताया गया है.
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क्या है अफ्रीकन स्वाइन फीवर: अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएसएफ) की खोज 1921 में अफ्रीकी देश केन्या में हुई थी. यह घरेलू और जंगली सुअरों में होने वाला एक बेहद ही संक्रामक वायरल होने वाला रोग है. इस रोग से सुअरों की कुछ ही घंटों में मौत हो जाती है. सुअर को तेज बुखार, लड़खड़ा कर चलना, सफेद सुअर के शरीर पर चकते होना और खाना-पीना छोड़ देना इस वायरस के लक्षण हैं. सुअरों में यह रोग संचारी है और इससे मृत्यु दर शत प्रतिशत है. गनीमत है कि यह वायरस इंसानों को प्रभावित नहीं करता है.