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सुंदरखाल में जंगली जानवरों का आतंक, ग्रामीणों ने छोड़ी खेती बाड़ी - Corbett tiger reserve

रामनगर वन प्रभाग में बसे सुंदरखाल गांव की सीमा कॉर्बेट पार्क से मिलती है. साल 1948 के समय बसे इस गांव में लगभग सौ से अधिक अनुसूचित जनजाति के परिवार निवासरत है. ये लोग रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर रामनगर आए थे.

रामनगर
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Published : Feb 26, 2019, 5:46 PM IST

रामनगर: आजादी के समय से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और वन प्रभाग रामनगर में बसे सुंदरखाल गांव की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है. यहां सालों पहले जो खेत फसलों से लहलहाते थे आज वे बंजर पड़े हैं. कड़े वन कानून और जंगली जानवरों की धमक के चलते ग्रामीणों का मोह अब खेती से भंग हो गया है.

साल 1948 में बसा था सुंदरखाल गांव.

बता दें कि रामनगर वन प्रभाग में बसे सुंदरखाल गांव की सीमा कॉर्बेट पार्क से मिलती है. साल 1948 के समय बसे इस गांव में लगभग सौ से अधिक अनुसूचित जनजाति के परिवार निवासरत है. ये लोग रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर रामनगर आए थे. जहां वन विभाग के कड़े कानून के चलते धीरे-धीरे इनका रोजगार खत्म हो गया. वहीं, अब ग्रामीणों ने खेती से भी मुंह मोड़ लिया है.

पढ़ें-बिना रजिस्ट्रेशन फेरी वालों पर पुलिस की नकेल, 32 के खिलाफ की कार्रवाई

ग्रामीणों का कहना है कि आजीविका के लिए वे खेती करते थे लेकिन जंगली जानवरों की वजह से उन्होंने खेती करना भी छोड़ दिया. जिसके चलते आज उनके खेत बजंर पड़े हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि जंगली जानवरों द्वारा उनकी फसल नष्ट करने वनविभाग द्वारा उन्हें फसल का मुआवजा तक नहीं मिलता. लिहाजा उन्होंने खेती ही छोड़ दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि वन्यजीवों के चलते उन्होंने खेती छोड़ी है. जिसके चलते आज उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. महिलाओं की माने तो एक समय में सुन्दरखाल में बहुतअच्छी खेती हुआ करती थी. रोजमर्रा की आवश्यकता का अनाज उन्हें खेतों से ही मिल जाया करता था. लेकिन आज खेती चौपट होने से उन्हें बाज़ार का रुख करना पड़ रहा है.

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रामनगर: आजादी के समय से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और वन प्रभाग रामनगर में बसे सुंदरखाल गांव की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है. यहां सालों पहले जो खेत फसलों से लहलहाते थे आज वे बंजर पड़े हैं. कड़े वन कानून और जंगली जानवरों की धमक के चलते ग्रामीणों का मोह अब खेती से भंग हो गया है.

साल 1948 में बसा था सुंदरखाल गांव.

बता दें कि रामनगर वन प्रभाग में बसे सुंदरखाल गांव की सीमा कॉर्बेट पार्क से मिलती है. साल 1948 के समय बसे इस गांव में लगभग सौ से अधिक अनुसूचित जनजाति के परिवार निवासरत है. ये लोग रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर रामनगर आए थे. जहां वन विभाग के कड़े कानून के चलते धीरे-धीरे इनका रोजगार खत्म हो गया. वहीं, अब ग्रामीणों ने खेती से भी मुंह मोड़ लिया है.

पढ़ें-बिना रजिस्ट्रेशन फेरी वालों पर पुलिस की नकेल, 32 के खिलाफ की कार्रवाई

ग्रामीणों का कहना है कि आजीविका के लिए वे खेती करते थे लेकिन जंगली जानवरों की वजह से उन्होंने खेती करना भी छोड़ दिया. जिसके चलते आज उनके खेत बजंर पड़े हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि जंगली जानवरों द्वारा उनकी फसल नष्ट करने वनविभाग द्वारा उन्हें फसल का मुआवजा तक नहीं मिलता. लिहाजा उन्होंने खेती ही छोड़ दी है.

ग्रामीणों का कहना है कि वन्यजीवों के चलते उन्होंने खेती छोड़ी है. जिसके चलते आज उनके समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. महिलाओं की माने तो एक समय में सुन्दरखाल में बहुतअच्छी खेती हुआ करती थी. रोजमर्रा की आवश्यकता का अनाज उन्हें खेतों से ही मिल जाया करता था. लेकिन आज खेती चौपट होने से उन्हें बाज़ार का रुख करना पड़ रहा है.

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Intro:एंकर-रामनगर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और वन प्रभाग रामनगर की सीमा के अन्दर आजादी के समय का बसा गाँव सुंदरखाल समस्याओ से घिरा है। बरसो से यहां के खेत सूखे पड़े है और खेती की ज़मीन बंजर पड़ी है।इसका मुख्य कारण वन्यजीवों को बताया जा रहा।


Body:वीओ-1-रामनगर वन प्रभाग की सीमा के अन्दर बसा सुन्दरखाल गाँव जिससे कॉर्बेट पार्क की सीमा भी मिलती है।1948 के समय का बसा हुआ यह वन ग्राम सुंदरखाल के नाम से जाना जाता है।इस गांव में लगभग सौ से अधिक अनुसूचित जनजाति के परिवार रहते है।बताया जाता है कि आज़ादी के समय से यह लोग पहाड़ो में अपने पैतृक गाँवो को छोड़ कर रोजगार की तलाश में यहाँ आये थे। तब से लेकर आज तक यह लोग मुश्किलो से जूझते आ रहा है। जंगल पर आश्रित इनका रोजगार धीरे धीरे वन विभाग की सख्ती के कारण खत्म तो हो ही गया।साथ ही इनकी ज़मीनों पर कभी लहलहाती खेती हुआ करती होती थी।हरेभरे खेत फसलो से भरे होते थे।बावजूद इसके आज यहाँ के खेत कई वर्षों से बंजर पड़े है।स्थानीय ग्रामीणों की माने तो इन खेतो को बंजर होने का मुख्य कारण वन्यजीवों का आतंक है।जंगली हाथी,सांभर,हिरन, बन्दरो का झुण्ड सारी खेती को चौपट कर देता है।ग्रामीणों की सारी मेहनत वन्य जीव चट कर जाते है।और वन ग्राम होने के कारण नुकसान हुई फसलो का हर्ज़ाना भी इन ग्रामीणों को नही मिल पाता है।अन्त में मजबूर होकर ग्रामीणों ने खेती ही करना बंद कर दिया। ग्रामीणों की माने तो दूसरी इसकी वजह यह भी है कि वन विभाग ने जंगलो से लकडियॉ लाने पर रोक लगा दी है जिस कारण वह वन्य जीवों से खेती को बचाने के लिए खेत किनारे लकड़ियों की बाढ़ भी नही लगा सकते है।

बाइट-1-चंदन राम(स्थानीय ग्रामीण)

वीओ-2-वनविभाग की सख्ती और वन्यजीवों का आतंक इस गाँव को बर्बादी की और ले गया।स्थानीय ग्रामीण महिलाओं की माने तो एक समय मे सुन्दरखाल में बहुत अच्छी खेती हुआ करती थी।उन्हें उस समय कभी बाज़ार से सब्जी अनाज लाने की आवश्यकता कभी नही पड़ी।बावजूद इसके खेती चौपट होने से आज उन्हें बाज़ार का रुख करना पड़ रहा है।जिससे बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।कोई भी सरकारी मदद उन्हें नही मिलने से बहुत समस्या होती है।

बाइट-2-गौरा देवी(स्थानीय ग्रामीण महिला)

पीटूसी-नसीम खान(संवाददाता,रामनगर)


Conclusion:
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