हल्द्वानी: मैग्सेसे अवार्ड विजेता जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने चिंता जताई है कि वर्तमान में स्वच्छ पर्यावरण पाना विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि भारत का प्रकृति से गहरा नाता रहा है. इस समय के हालात यह है कि भारत का प्रकृति से नाता टूटता जा रहा है. क्योंकि पानी को लेकर जिस तरह की दिक्कतें सामने आ रही है. उसे देखकर लगता है कि हम तीसरे विश्वयुद्ध के बिल्कुल सामने खड़े हैं. यह विश्व युद्ध पानी और पर्यावरण को लेकर होगा.
जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि क्योंकि हम अभी 21वीं शताब्दी में हैं और हमने विस्थापन को अपना रास्ता बना लिया है. विस्थापन में हमेशा विकृति होती है, जो केवल विनाश तक जाती है. इसलिए अगर हमें विनाश से बचना है तो हमें अपनी मूल ज्ञान तंत्र को जानना होगा.
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उत्तराखंड में बनने वाले पंचेश्वर और जमरानी डैम को लेकर भी राजेंद्र सिंह ने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि बड़े बांधों को बनाए जाना हमेशा विनाशकारी होता है. उसका सबसे बड़ा गहरा झटका उन लोगों को लगता है, जो उस इलाके के आस-पास रह रहे होते हैं. डैम से होने वाले नुकसान और विस्थापन के बारे में सोचना ही अपने आप में बहुत बड़ा नुकसान है. बड़े बांधों को बनाए जाने से पहले उत्तराखंड को टिहरी से सीख लेनी चाहिए कि टिहरी में हमारे साथ क्या हुआ?.
राजेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड को बड़े प्रोजेक्ट की जरूरत नहीं है, बल्कि ऐसे बांधों की जगह छोटे-छोटे चेक डैम या छोटे-छोटे प्रोजेक्ट तैयार किए जाने चाहिए. जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले और पहाड़ से होने वाले विस्थापन और पलायन को रोका जा सके. क्योंकि पहाड़ में जिस तरह की तबाही पिछले वर्षों में हुई हैं. उसे देखते हुए ऐसे बांध को बनाए जाने से पहले ऐसे हादसों से हमें सबक लेना होगा.