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HC में मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के मामले पर सुनवाई, सरकार से मांगा दो महीने में पूरा ब्यौरा

उत्तराखंड हाईकोर्ट में मानव और वन्यजीव संघर्ष रोकने के मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार को निर्देश दिए कि उत्तराखंड के लिए बेहतर टाइगर कंजर्वेशन बनाएं. साथ ही रिपोर्ट दो महीने में पेश करने के लिए कहा है.

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उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Aug 17, 2023, 6:14 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानव और वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के नेशनल पार्कों से अच्छे प्लान बनाकर उत्तराखंड के लिए बेहतर टाइगर कंजर्वेशन तैयार करें. कोर्ट ने मानव और वन्यजीव संघर्ष का रियल टाइम डेटा वन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ-साथ राज्य में पौराणिक काल से चले आ रहे वन्यजीव कॉरिडोर का वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट दो माह में पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 दिसंबर की तिथि नियत की है.

मामले के मुताबिक, देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नवंबर 2022 में इस मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे कि वह मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करें. इस मामले पर पूर्व में तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल द्वारा दाखिल शपथ पत्र में केवल कागजी कार्रवाई का उल्लेख था और धरातल पर मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने का कुछ उल्लेख नहीं था. कुछ वर्षों से मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि मानव और वन्यजीव संघर्ष पर रोक लगाई जाए और पूर्व में कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन कराया जाए.
ये भी पढ़ेंः कोटद्वार में क्षतिग्रस्त पुलों के मामले पर सख्त हुआ हाईकोर्ट, अवैध खनन पर लगाई रोक, 4 हफ्ते में मांगा जवाब

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मानव और वन्यजीव संघर्ष को नियंत्रित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका में सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु के नेशनल पार्कों से अच्छे प्लान बनाकर उत्तराखंड के लिए बेहतर टाइगर कंजर्वेशन तैयार करें. कोर्ट ने मानव और वन्यजीव संघर्ष का रियल टाइम डेटा वन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ-साथ राज्य में पौराणिक काल से चले आ रहे वन्यजीव कॉरिडोर का वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट दो माह में पेश करने को कहा है. मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 दिसंबर की तिथि नियत की है.

मामले के मुताबिक, देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नवंबर 2022 में इस मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे कि वह मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करें. इस मामले पर पूर्व में तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल द्वारा दाखिल शपथ पत्र में केवल कागजी कार्रवाई का उल्लेख था और धरातल पर मानव और वन्यजीव संघर्ष को रोकने का कुछ उल्लेख नहीं था. कुछ वर्षों से मानव और वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि मानव और वन्यजीव संघर्ष पर रोक लगाई जाए और पूर्व में कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन कराया जाए.
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