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करीब 60 करोड़ की लकड़ियों को चट कर रहे दीमक, कुछ नहीं कर रहा वन विभाग

दरअसल, कुमाऊं मंडल के पांच वन डिवीजनों में करीब दस हजार घन मीटर जैसे साल, शीशम, खैर और सागौन सहित कई बेशकीमती लकड़ियां पिछले कई दशकों से खुले आसमान में धूप और बरसात में खराब हो रही हैं. वहीं कई लकड़ियों को दीमक चाट गये हैं.

60 करोड़ लागत की बेशकीमती लकड़ियां सालों से बर्बाद हो रही हैं.
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Published : Apr 18, 2019, 11:14 AM IST

Updated : Apr 18, 2019, 11:24 AM IST

हल्द्वानी: वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते करीब 60 करोड़ लागत की बेशकीमती लकड़ियां सालों से बर्बाद हो रही हैं. कई सालों से बिना देखरेख के इन लकड़ियों में दीमक लग चुके हैं. वहीं विभाग आचार संहिता के बाद इनकी नीलामी करने की बात कह रहा है.

दरअसल, कुमाऊं मंडल के पांच वन डिवीजनों में करीब दस हजार घन मीटर जैसे साल, शीशम, खैर और सागौन सहित कई बेशकीमती लकड़ियां पिछले कई दशकों से खुले आसमान में धूप और बरसात में खराब हो रही हैं. वहीं कई लकड़ियों को दीमक चाट गये हैं.

लेकिन सालों से डंप पड़ी लकड़ियों की वन विभाग नीलामी नहीं करवा रहा है. जिसके चलते करीब 60 करोड़ की बेशकीमती लकड़ी बर्बादी के कगार पर है. अगर समय रहते वन विभाग इन लकड़ियों की नीलामी कर देता है तो सरकार को लगभग 60 करोड़ के राजस्व का इजाफा होता.

बता दें कि सभी बेशकीमती लकड़ियां जंगल से अवैध रूप में काटी गई हैं. जिनको वन तस्करों के पास से बरामद किया गया है. ये बेशकीमती लकड़ियां करीब 30 से 40 साल से यूं ही पड़ी हुई हैं. अधिकतर लकड़ियों के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं.

पूरे मामले में वन विभाग के पश्चिमी वृत्त वन संरक्षक डॉ पराग मधुकर कहते हैं कि इस मामले को लेकर वन विभाग संजीदा है. इस समय चुनाव आचार संहिता लगी हुई है. आचार संहिता खत्म होते ही बेशकीमती लकड़ियों की नीलामी करा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि न्यायालय में विचाराधीन लकड़ियों के संबंध में भी जल्द कार्रवाई की जाएगी.

हल्द्वानी: वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते करीब 60 करोड़ लागत की बेशकीमती लकड़ियां सालों से बर्बाद हो रही हैं. कई सालों से बिना देखरेख के इन लकड़ियों में दीमक लग चुके हैं. वहीं विभाग आचार संहिता के बाद इनकी नीलामी करने की बात कह रहा है.

दरअसल, कुमाऊं मंडल के पांच वन डिवीजनों में करीब दस हजार घन मीटर जैसे साल, शीशम, खैर और सागौन सहित कई बेशकीमती लकड़ियां पिछले कई दशकों से खुले आसमान में धूप और बरसात में खराब हो रही हैं. वहीं कई लकड़ियों को दीमक चाट गये हैं.

लेकिन सालों से डंप पड़ी लकड़ियों की वन विभाग नीलामी नहीं करवा रहा है. जिसके चलते करीब 60 करोड़ की बेशकीमती लकड़ी बर्बादी के कगार पर है. अगर समय रहते वन विभाग इन लकड़ियों की नीलामी कर देता है तो सरकार को लगभग 60 करोड़ के राजस्व का इजाफा होता.

बता दें कि सभी बेशकीमती लकड़ियां जंगल से अवैध रूप में काटी गई हैं. जिनको वन तस्करों के पास से बरामद किया गया है. ये बेशकीमती लकड़ियां करीब 30 से 40 साल से यूं ही पड़ी हुई हैं. अधिकतर लकड़ियों के मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं.

पूरे मामले में वन विभाग के पश्चिमी वृत्त वन संरक्षक डॉ पराग मधुकर कहते हैं कि इस मामले को लेकर वन विभाग संजीदा है. इस समय चुनाव आचार संहिता लगी हुई है. आचार संहिता खत्म होते ही बेशकीमती लकड़ियों की नीलामी करा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि न्यायालय में विचाराधीन लकड़ियों के संबंध में भी जल्द कार्रवाई की जाएगी.

Intro:सलग -वन विभाग की लापरवाही करोड़ों की लकड़ियों को खा रहे हैं दिमाग।
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित/ हल्द्वानी
एंकर- वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता के चलते वन विभाग के कुमाऊँ मंडल के 5 वन डिविजनो में करीब 10000 घन मीटर के 60 करोड़ की लागत की बेशकीमती लकड़ी वर्षों से निगम के अलग अलग कैंप कार्यालय और परिसरों में रखे रखे दीमक खा रहे हैं या बरसात और धूप से खराब हो रहे है लेकिन वन महकमा इस पर ध्यान नहीं दे रहा है ।


Body:दरअसल कुमाऊं मंडल के 5 वन डिवीजनो में अलग-अलग वन परिसर और वन कार्यालय में करीब 10000 घन मीट की बेशकीमती साल ,शीशम, खैर, सागौन सहित कई बेशकीमती लकड़ी पिछले कई दशकों से खुले आसमान में धूप और बरसात से खराब हो रहे हैं ।जबकि अधिकतर लकड़ियों को दीमक खा चुके हैं। लेकिन वर्षों से डंप पड़ी लकड़ीयो को वन विभाग जल्द निस्तारण नहीं कराकर उसकी नीलामी नहीं करवा रहा है जिसके चलते करीब 60 करोड़ की बेशकीमती लकड़ी बर्बादी के कगार पर है। अगर समय रहते वन विभाग इन लकड़ियों को निस्तारण कर नीलामी कर देता हैं तो सरकार को भी 60 करोड़ के राजस्व का इजाफा होता।
दरअसल यह सभी बेशकीमती लकड़ी जंगल से अवैध रूप से काटे गए लकड़ी हैं। जिनको वन तस्कर वनों से तस्करी करके ले जा रहे थे या तो काट कर मौके पर ही छोड़ गए जिनको वन विभाग ने जप्त कर अपने वन परिसरों में खुले आसमान में छोड़ रखा है कई ऐसी बेशकीमती लकड़ी है जो करीब 30 साल से 40 साल से पड़ी हुई है। अधिकतर लकड़ियों के मामले न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि करोड़ों की बेश कीमती लकड़ी विभाग ने ऐसे ही खराब होने के छोड़ रखा है।


Conclusion: इस पूरे मामले में वन विभाग के पश्चिमी वृत्त वन संरक्षक डॉ पराग मधुकर धक्काते का कहना है कि इस मामले को लेकर विभाग संजीदा है । इस समय चुनाव आचार संहिता लगा हुआ है आचार संहिता खत्म होते हैं बेशकीमती लकड़ियों का नीलामी कर दिया जाएगा ।न्यायालय में विचाराधीन लकड़ियों के संबंध में भी जल्द कार्रवाई की जाएगी जिससे कि सरकार को भी राजस्व का इजाफा हो सके।

बाइट-पराग मधुकर धक्काते वन संरक्षक पश्चिमी ब्रिज
Last Updated : Apr 18, 2019, 11:24 AM IST
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