हल्द्वानी: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand election) की तारीख का ऐलान हो चुका है. अब इंतजार केवल प्रत्याशियों के नामों के ऐलान का है. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं समेत अन्य पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. अगर हम बात करें नैनीताल जिले के कालाढूंगी विधानसभा सीट की, तो कालाढूंगी सीट भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. यहां से वर्तमान कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत विधायक हैं. तो आइये जानते हैं विधायक को लेकर क्या सोचती है यहां की जनता?
बता दें कि, बंशीधर भगत उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड बनने तक 7 बार विधायक बन चुके हैं. यूपी सरकार के मंत्री भी रह चुके हैं. वर्तमान समय में उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री हैं. बंशीधर भगत बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हैं. उनकी जनता में अच्छी पकड़ होने के चलते पिछले 7 बार से वह विधायक बनते रहे हैं. यही कारण है कि कालाढूंगी की जनता फिर से बंशीधर भगत को विधायक के रूप में देखना चाहती है.
बंशीधर भगत हल्द्वानी से भी कई बार विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2012 में हल्द्वानी विधानसभा सीट से अलग होकर कालाढूंगी विधानसभा सीट अस्तित्व में आयी. फिर उनका आवास कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में जा पहुंचा. जिसके बाद उन्होंने 2012 में भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी को हराया था. 2017 में भी भारी मतों से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे. तब उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री का भी दर्जा मिला.
माना जाता है बीजेपी का गढ़: कालाढूंगी विधानसभा सीट की भौगोलिक परिस्थितियां पहाड़ के साथ-साथ तराई के क्षेत्र से भी लगी हुई हैं. जहां-जहां सबसे ज्यादा मतदाता तराई के क्षेत्रों में हैं, कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का वहां गढ़ माना जाता है. यहां पर अधिकतर लोग सर्विस क्लास या रिटायर्ड कर्मचारी निवास करते हैं. यही नतीजा है कि यहां के लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं. आम जनता की मानें तो विधायक बंशीधर भगत ने अपने विधानसभा क्षेत्र में काफी विकास किया है. उनका विधानसभा क्षेत्र हल्द्वानी नगर निगम से लगा हुआ है. ऐसे में शहरी विकास मंत्री होने का भी उनको काफी फायदा मिला. जिसके कारण उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र में सड़कें और स्ट्रीट लाइटों का जाल बिछाया इसके अलावा जल जीवन मिशन के तहत पेयजल संकट से लोगों को मुक्ति दिलाई.
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2017 में कालाढूंगी सीट से बंशीधर भगत का मुकाबला कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश जोशी से था. वहीं निर्दलीय के तौर पर महेश शर्मा ने बंशीधर भगत को टक्कर दी थी. जहां बंशीधर भगत ने 45,704 वोट पाकर जीत हासिल की थी.
बंशीधर भगत की इस बार मुश्किलें बढ़ीं: बंशीधर भगत के इस बार चुनाव में उनके ही पार्टी के लोग रोड़ा बन रहे हैं. कुछ जगह पर विकास नहीं होने से जहां लोगों में नाराजगी है तो वहीं उन्हीं के पार्टी के लोग अब उम्र का तकाजा देते हुए संरक्षक के रूप में काम करने और युवाओं को पार्टी में मौका देने की मांग कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी से कालाढूंगी विधानसभा सीट से आधा दर्जन से अधिक लोगों ने अपनी दावेदारी की है.
सीट एक दावेदार कई: कालाढूंगी विधानसभा सीट से इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए राह आसान नहीं है. बंशीधर भगत जहां वर्तमान विधायक हैं वहीं बीजेपी से आधा दर्जन अन्य लोग भी इस सीट से दावेदारी कर चुके हैं. जिसमें से मुख्य रूप से बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट, जो आरएसएस के सबसे करीबी नेता माने जाते हैं और हरियाणा के पूर्व संगठन मंत्री रह चुके हैं, इसके अलावा पूर्व मंडी परिषद के अध्यक्ष गजराज बिष्ट, बीजेपी के पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी सुरेश तिवारी, वर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष आनंद सिंह दरमवाल सहित कई अन्य लोगों ने दावेदारी की है. लेकिन सबसे ज्यादा मजबूत बीजेपी प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट को माना जा रहा है. ऐसे में इस बार बंशीधर भगत के लिए टिकट पाना टेढ़ी खीर साबित होगा.
कालाढूंगी विधानसभा में 2017 के विधानसभा चुनाव में बंशीधर भगत को 45,704 वोट मिले. वहीं, कांग्रेस के प्रकाश जोशी को 25,107 वोट मिले. निर्दलीय महेश शर्मा को 20,214 वोट मिले थे, जहां बंशीधर भगत ने जीत हासिल की थी.
नैनीताल जिले का गणित: कालाढूंगी विधानसभा सीट नैनीताल जिले की सबसे अधिक मतदाता वाली विधानसभा सीट है. जहां पर 1,72,000 मतदाता हैं. यहां 88,532 पुरुष जबकि 83,641 महिला जबकि 10 मतदाता तृतीय लिंग के मतदाता इस बार मतदान करेंगे. बता दें कि, निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इन राज्यों में आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है और साथ ही 7 चरणों में चुनाव कार्यक्रम भी घोषित हो चुके हैं. उत्तराखंड में एक चरण में विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे. जिसके बाद 14 फरवरी को सभी 70 विधानसभा में मतदान होगा और 10 मार्च को सभी राज्यों के चुनाव नतीजे घोषित कर दिये जाएंगे.
वहीं, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तहत 10 फरवरी से लेकर सात मार्च तक सात चरणों में मतदान होगा, वहीं पंजाब और गोवा में एक ही चरण में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा और इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च को होगी.