रामनगरः दो बरस गुजर गए, लेकिन रामनगर में अभी तक बस पोर्ट नहीं बन पाया है. आलम ये है कि अभी तक भूमि ही वन विभाग से परिवहन विभाग को ट्रांसफर नहीं हुई है. जैसे-तैसे चारदीवारी और वर्कशॉप निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन वो भी बजट के अभाव में अधर में लटक गया. अब गैरसैंण में होने जा रहे विधानसभा सत्र से ही बजट स्वीकृति का इंतजार है.
गौर हो कि बीते कई सालों से स्थानीय लोग बधाल रामनगर बस अड्डे की मांग कर रहे थे. जिस पर 2 साल पहले 22 करोड़ की लागत से केंद्र सरकार से रामनगर रोडवेज बस अड्डे को बस पोर्ट बनाने को लेकर हरी झंडी मिली थी. ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि रामनगर में बस पोर्ट का कार्य जल्द पूरा होगा, लेकिन दो साल बाद भी पोर्ट का कार्य पूरा नहीं हो पाया है. यह उत्तराखंड का पहला बस पोर्ट है. जो रामनगर में तैयार किया जाना है.
बजट के अभाव में रूका कामः दो साल पहले राज्य सरकार ने बस कोर्ट की वर्कशॉप व चारदीवारी को लेकर 2 करोड़ 21 लाख रुपए स्वीकृत किए थे. जिसके बाद रामनगर परिवहन विभाग की ओर से चारदीवारी व वर्कशॉप का निर्माण कार्य शुरू कर दिया था, लेकिन अब बजट के अभाव में यह कार्य भी रूक गया है.
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वहीं, मामले में रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट (Ramnagar MLA Diwan Singh Bisht) का कहना है कि उत्तर प्रदेश के समय से रामनगर बस अड्डे को बनाने को लेकर स्थानीय लोग मांग कर रहे थे. इसका कई बार शिलान्यास भी हुआ. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने इसका काम शुरू भी किया और 2 करोड़ 21 लाख रुपए स्वीकृत भी किए. इस बजट से जितना काम हो सकता था, उतना काम हुआ.
उन्होंने कहा कि बस पोर्ट के माध्यम से भी इसमें पैसा आना था, लेकिन उसमें कुछ दिक्कतें आने की वजह से जैसे वन विभाग से परिवहन विभाग को लैंड ट्रांसफर होनी थी, वो नहीं हो पाई, उसकी वजह से भी पैसा रिलीज नहीं हुआ. विधायक बिष्ट ने बताया कि बस पोर्ट के लिए राज्य सरकार ने तीन करोड़ रुपए इस बजट सत्र में स्वीकृति करने की बात कही जा रही है. विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने कहा कि बजट सत्र में 3 करोड रुपए स्वीकृत होने के बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
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बता दें कि रामनगर में बन रहे बस अड्डे में यात्रियों के लिए कड़ी धूप में न ही रुकने के लिए कक्ष है. न ही शौचालय. जिससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, 2 साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी यह बस पोर्ट अधर (Ramnagar Roadways Bus Port) में लटका है. जिससे इसका लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है.