ETV Bharat / state

सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा, मांगों को लेकर किया कार्य बहिष्कार

आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नैनीताल में आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया.

सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
author img

By

Published : Aug 27, 2019, 11:38 AM IST

नैनीतालः प्रदेश में लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. जिसके तहत मंगलवार को आशा कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर प्रदर्शन किया. साथ ही नैनीताल के डीएम समीर बंसल को ज्ञापन सौंपा. जिसमें आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन, मानदेय या राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलने की बात कही गई है. आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करे ताकि वे प्रदेश में पहले की तरह काम कर सकें.

विरोध प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वो स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी बन चुकी हैं. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार के तमाम अभियान और सर्वे आशाओं के दम पर ही संचालित हो रहे हैं. आशा वर्कर्स का कार्य आकस्मिक सेवा का है. चाहे रात हो या दिन वो काम में लगी रहती हैं वहीं वो गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान हर हाल में अस्पताल पहुंचती हैं. इसके बाद भी उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है और ना ही न्यूनतम मासिक वेतन.

सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

पढ़ेः गर्भवती महिला को पति ने दिया तीन तलाक, मारपीट का भी आरोप

प्रदर्शन के दौरान आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि नियुक्ति के बाद से मातृ शिशु मृत्यु दर कम हुई है और सरकार की रिपोर्ट इसका प्रमाण है. आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत के बाद सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि देना बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. जिससे आशा कार्यकर्ताओं को मजबूरन कार्य बहिष्कार कर विरोध करना पड़ रहा है.

नैनीतालः प्रदेश में लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए आशा कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. जिसके तहत मंगलवार को आशा कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर प्रदर्शन किया. साथ ही नैनीताल के डीएम समीर बंसल को ज्ञापन सौंपा. जिसमें आशा कार्यकर्ताओं को न्यूनतम वेतन, मानदेय या राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलने की बात कही गई है. आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करे ताकि वे प्रदेश में पहले की तरह काम कर सकें.

विरोध प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वो स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी बन चुकी हैं. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार के तमाम अभियान और सर्वे आशाओं के दम पर ही संचालित हो रहे हैं. आशा वर्कर्स का कार्य आकस्मिक सेवा का है. चाहे रात हो या दिन वो काम में लगी रहती हैं वहीं वो गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान हर हाल में अस्पताल पहुंचती हैं. इसके बाद भी उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है और ना ही न्यूनतम मासिक वेतन.

सरकार के खिलाफ आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

पढ़ेः गर्भवती महिला को पति ने दिया तीन तलाक, मारपीट का भी आरोप

प्रदर्शन के दौरान आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि नियुक्ति के बाद से मातृ शिशु मृत्यु दर कम हुई है और सरकार की रिपोर्ट इसका प्रमाण है. आशा कार्यकर्ताओं की मेहनत के बाद सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि देना बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. जिससे आशा कार्यकर्ताओं को मजबूरन कार्य बहिष्कार कर विरोध करना पड़ रहा है.

Intro:Summry नैनीताल में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राज्य सरकार से नाराज हुई आशा कार्यकर्ताओं ने निकाला जुलूस। Intro पिछले लंबे समय से उत्तराखंड में अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने को लेकर आशा कार्यकर्ती विरोध प्रदर्शन कर रही हैं जिसके तहत आज आशा कार्यकर्ताओं ने नैनीताल में जुलूस प्रदर्शन किया और नैनीताल के डीएम समीर बंसल को ज्ञापन दिया, जिसमें राज्य सरकार से मांग की गई है कि राज्य सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन मानदेय या राज्य कर्मचारी का दर्जा, आशाओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करें ताकि आशा कार्यकर्ती प्रदेश में पहले की तरह काम कर सकें।


Body:विरोध प्रदर्शन कर रही आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि आशा कार्यकर्ताओं आज स्वास्थ्य विभाग की रीड़ की हड्डी बन चुकी हैं, स्वास्थ्य विभाग और सरकार के तमाम अभियान और सर्वे आशाओं के दम पर ही संचालित हो रहे हैं, आशा वर्कर्स का कार्य आकस्मिक सेवा की भर्ती है वह रात 12 बजे से लेकर 2 बजे तक करती है और गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान हर हाल में अस्पताल पहुंचती हैं, इसके बावजूद ना तो आशा कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जा रहा है और ना ही न्यूनतम मासिक वेतन दिया जा रहा है जो आशा कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है।


Conclusion:प्रदर्शन के दौरान आशाओं का कहना है कि आशाओं की नियुक्ति के बाद से मातृ शिशु मृत्यु दर कम हुई है और सरकार की रिपोर्ट इसका प्रमाण है, लेकिन आशाओं की मेहनत के बाद सरकार द्वारा उन को प्रोत्साहन देने के बदले राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा बंद कर दी गई है जो गलत है जिसके लिए आशा लंबे समय से मांग करती आई है, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार आशाओं की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है जिससे आशाओं को मजबूरन कार्य बहिष्कार कर विरोध करना पड़ रहा है,आशाओं का कहना है कि राज्य सरकार उनको न्यूनतम वेतन मानदेय दे या राज्य कर्मचारी का दर्जा दे। वही विरोध कर रही आशाओं का कहना है कि अगर सरकार उनको न्यूनतम वेतनमान या राज्य कर्मचारी का दर्जा नहीं देती है तो वह उग्र आंदोलन करेंगी जिसकी जिम्मेदार राज्य सरकार होगी। बाईट- भगवती
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.