नैनीताल: उत्तराखंड पुलिस सेवा नियमावली 2018 का 2019 में किए गए संशोधन का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है.
मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रमोशन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी. मामले की अगली सुनवाई अब 17 मार्च को होगी.
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बता दें कि पुलिसकर्मी सत्येंद्र कुमार व अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पुलिस सेवा नियमावली 2018 का 2019 में संशोधन किया गया है. जिसमें आम पुलिस कांस्टेबल को प्रमोशन के ज्यादा मौके दिए गए हैं, जबकि सिविल और इंटेलिजेंस कॉन्स्टेबल को प्रमोशन के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ रहा है. वहीं, उप निरीक्षक से निरीक्षक व अन्य उच्च पदों पर प्रमोशन तय समय पर केवल डीपीसी व वरिष्ठता/ कनिष्ठता के आधार पर होते हैं.
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सिपाहियों को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. प्रमोशन को निश्चित समय अवधि निर्धारण न होने से तमाम सिपाही बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो जाते हैं. जिस समस्या के लिए कई बार उच्चाधिकारियों से कहा गया लेकिन उच्च अधिकारियों के द्वारा कभी भी सिपाहियों की इस समस्या की तरफ ध्यान नहीं दिया गया.
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हाईकोर्ट पहुंचे याचिका कर्ताओं का कहना है कि ये समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है. आज मामले में सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मामले में जवाब पेश करने को कहा है. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी प्रमोशन याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे. मामले की अगली सुनवाई अब 17 मार्च को होगी.