हल्द्वानी: कुमाऊं की सबसे अधिक कैदियों वाली हल्द्वानी जेल (Haldwani Jail) में दो बंदियों (Prisoners Naeem and Salim) ने अपने हुनर और कला से हल्द्वानी जेल की सूरत बदल दी (decorated walls of Haldwani Jail) है. इन दोनों बंदियों ने अपने कला के माध्यम से जेल की दीवारों को पेंटिंग के माध्यम से चार चांद लगाने का काम किया (paintings on Haldwani Jail by Prisoners) है. जेल के सभी दीवारों पर इन बंदियों ने अपने कला के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति को बखूबी दर्शाया है, जहां कुमाऊंनी वेशभूषा में सजी महिलाओं और नंदा राजजात यात्रा की सुंदर पेंटिंग के अलावा कई धार्मिक सांस्कृतिक पेंटिंग बनाकर उत्तराखंड की संस्कृति सभ्यता और कला को बचाने के संदेश दे रहे हैं.
हल्द्वानी जेल के अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि नईम और सलीम नाम के उधमसिंह नगर निवासी दो बंदी धारा 304-बी के तहत अंडर ट्रायल पर जेल में बंद हैं. इन कैदियों ने पेंटिंग सीखने की इच्छा जताई थी, जहां पूर्व में अनुपम नाम के एक बंदी ने इनको पेंटिंग बनाने के हुनर को सिखाया था. अनुपम ने 10 बंदियों को पेंटिंग का हुनर सिखाया था, लेकिन सलीम और नईम नाम के दोनों बंदियों ने इस हुनर को और बेहतर करते हुए पेंटिंग करने का काम शुरू किया, जहां जेल प्रशासन ने भी उनका पूरा सहयोग देते हुए उनको पेंट करने की सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई और आज यह दोनों बंदी कुशल पेंटर हैं.
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अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि अपने कला के माध्यम से जेल की सभी दीवारों को पेंटिंग के माध्यम से चार चांद लगाने का काम किया है. बंदियों ने जेल की सभी दीवारों पर उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े चित्रकारी को दर्शाया है. अपने पेंटिंग के माध्यम से जेल की सभी दीवारों को खूबसूरत बना दिया है. दोनों ने जेल के मंदिर परिसर को भी अपनी चित्रकारी से सजा दिया है.
जेल अधीक्षक सतीश सुखीजा ने बताया कि जेल के अंदर कैदियों को हुनरमंद बनाने के लिए कई तरह के प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिसके तहत बंदी आत्मनिर्भर बन रहे हैं. इन कैदियों को आत्मनिर्भर इसलिए बनाया जा रहा है कि जेल से छूटने के बाद वह फिर से अपराध कि दुनिया में ना जा सके. फिलहाल नईम और सलीम की इन बेहतरीन पेंटिंग की हर कोई सराहना कर रहा है. जेल की दीवारों पर बनी उत्तराखंड संस्कृति पर आधारित पेंटिंग लोगों को उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए संदेश भी दे रहा है.