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प्रकाश चंद्र उपाध्याय ने बनाया विश्व का सबसे छोटा गिटार, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज - Prakash Chandra Upadhyay

नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ निवासी प्रकाश चंद्र उपाध्याय का नाम विश्व का सबसे छोटा गिटार बनाने के लिए लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2021 में दर्ज हुआ है. उन्होंने तीन सेंटीमीटर लंबाई का गिटार बनाने का कारनामा कर दिखाया है. प्रकाश उपाध्याय इससे पूर्व विश्व का सबसे छोटा हस्तनिर्मित चरखा बनाकर दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं.

Prakash Chandra Upadhyay
प्रकाश चंद्र उपाध्याय
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Published : Aug 23, 2022, 7:55 AM IST

Updated : Aug 23, 2022, 8:43 AM IST

हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ निवासी प्रकाश चंद्र उपाध्याय (Prakash Chandra Upadhyay) का नाम विश्व का सबसे छोटा गिटार बनाने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड (Limca Book Record) 2021 में दर्ज हुआ है. प्रकाश चंद्र उपाध्याय वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी (Government Medical College Haldwani) में आर्टिस्ट के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने तीन सेंटीमीटर लंबाई का गिटार बनाने का कारनामा कर दिखाया है.

गौर हो कि प्रकाश चंद्र उपाध्याय ने चंदन की लकड़ी, तांबे, एल्युमीनियम के तार और पिन से मात्र तीन सेंटीमीटर लंबाई के गिटार का वर्किंग मॉडल बनाकर सातवां व्यक्तिगत विश्व रिकॉर्ड बनाया है. जिसकी लंबाई मात्र तीन सेंटीमीटर है, जिसकी आवाज को माइक के माध्यम से बड़े अच्छे से सुना जा सकता है. जिसको मात्र 4 घंटे 30 मिनट में 29 अप्रैल 2020 को बनाया. जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड 2021-22 में दर्ज कर लिया गया है. उपाध्याय के रिकॉर्ड को लिम्का बुक ने अपने किताब के बैक कवर में मुख्य स्थान दिया है. जिसके लिए लिम्का बुक के द्वारा उन्हें प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है.

Prakash Chandra Upadhyay
प्रकाश चंद्र उपाध्याय द्वारा बनाया गया गिटार.
पढ़ें-GULLY TALENT: मिलिए देहरादून के जेपी भट्टराई से, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज

पहले भी कर चुके हैं कारनामा: प्रकाश उपाध्याय इससे पूर्व विश्व का सबसे छोटा हस्तनिर्मित चरखा बनाकर दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. उनके द्वारा हस्तनिर्मित चरखा का साइज 5×6× 4 मिलीमीटर था. प्रकाश उपाध्याय ने उत्तराखंड एवं देश के विभिन्न शहरों की चित्रकला प्रदर्शनी व कार्यशाला में प्रतिभाग किया है. इसके अतिरिक्त उनको विभिन्न सम्मान व पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इससे पूर्व उनको उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय चित्रकला प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया.
पढ़ें-मसूरी में 551 किस्म के वड़ों की प्रदर्शनी, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए कसरत

मिल चुके हैं कई पुरस्कार: इनके अतिरिक्त प्रकाश को गोल्ड अवार्ड, एक्सीलेंस अवार्ड 2020, एक्सीलेंस अवार्ड 2021, उत्तराखंड आइकन अवार्ड 2021 , मात्रृका पुरस्कार, नटराज कला रत्न सम्मान, कलाअनन्त सम्मान, कोरोना वॉरियर सम्मान,उत्कृष्टता सम्मान, सहित अनेकों राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा कई स्वर्ण पदक, कांस्य पदक,प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह इत्यादि प्रदान किया गया हैं. इसके अतिरिक्त प्रकाश उपाध्याय ने कोरोनाकाल में 80 से अधिक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता, प्रदर्शनी व कार्यशालाओं में देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रतिभाग किया. जिसके लिए उनको विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरुस्कृत व सम्मानित किया जा चुका है.

इसके अतिरिक्त प्रकाश को कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र व सम्मान मिल चुके हैं. प्रकाश को उत्तराखंड के नारी संघर्ष, पलायन, सामाजिक सरोकारों, वर्तमान परिपेक्ष से जुड़े विषयों पर पेंटिंग बनाना व कलात्मकता पर नये प्रयोग करना अच्छा लगता है. इसके अतिरिक्त प्रकाश के नाम 6 व्यक्तिगत विश्व रिकॉर्ड व तीन सामूहिक, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड जिसको संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रतिष्ठित किताब गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2019 में दर्ज किया है.

हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ निवासी प्रकाश चंद्र उपाध्याय (Prakash Chandra Upadhyay) का नाम विश्व का सबसे छोटा गिटार बनाने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड (Limca Book Record) 2021 में दर्ज हुआ है. प्रकाश चंद्र उपाध्याय वर्तमान में राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी (Government Medical College Haldwani) में आर्टिस्ट के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने तीन सेंटीमीटर लंबाई का गिटार बनाने का कारनामा कर दिखाया है.

गौर हो कि प्रकाश चंद्र उपाध्याय ने चंदन की लकड़ी, तांबे, एल्युमीनियम के तार और पिन से मात्र तीन सेंटीमीटर लंबाई के गिटार का वर्किंग मॉडल बनाकर सातवां व्यक्तिगत विश्व रिकॉर्ड बनाया है. जिसकी लंबाई मात्र तीन सेंटीमीटर है, जिसकी आवाज को माइक के माध्यम से बड़े अच्छे से सुना जा सकता है. जिसको मात्र 4 घंटे 30 मिनट में 29 अप्रैल 2020 को बनाया. जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड 2021-22 में दर्ज कर लिया गया है. उपाध्याय के रिकॉर्ड को लिम्का बुक ने अपने किताब के बैक कवर में मुख्य स्थान दिया है. जिसके लिए लिम्का बुक के द्वारा उन्हें प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया है.

Prakash Chandra Upadhyay
प्रकाश चंद्र उपाध्याय द्वारा बनाया गया गिटार.
पढ़ें-GULLY TALENT: मिलिए देहरादून के जेपी भट्टराई से, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज

पहले भी कर चुके हैं कारनामा: प्रकाश उपाध्याय इससे पूर्व विश्व का सबसे छोटा हस्तनिर्मित चरखा बनाकर दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं. उनके द्वारा हस्तनिर्मित चरखा का साइज 5×6× 4 मिलीमीटर था. प्रकाश उपाध्याय ने उत्तराखंड एवं देश के विभिन्न शहरों की चित्रकला प्रदर्शनी व कार्यशाला में प्रतिभाग किया है. इसके अतिरिक्त उनको विभिन्न सम्मान व पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. इससे पूर्व उनको उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय चित्रकला प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया.
पढ़ें-मसूरी में 551 किस्म के वड़ों की प्रदर्शनी, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए कसरत

मिल चुके हैं कई पुरस्कार: इनके अतिरिक्त प्रकाश को गोल्ड अवार्ड, एक्सीलेंस अवार्ड 2020, एक्सीलेंस अवार्ड 2021, उत्तराखंड आइकन अवार्ड 2021 , मात्रृका पुरस्कार, नटराज कला रत्न सम्मान, कलाअनन्त सम्मान, कोरोना वॉरियर सम्मान,उत्कृष्टता सम्मान, सहित अनेकों राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा कई स्वर्ण पदक, कांस्य पदक,प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह इत्यादि प्रदान किया गया हैं. इसके अतिरिक्त प्रकाश उपाध्याय ने कोरोनाकाल में 80 से अधिक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता, प्रदर्शनी व कार्यशालाओं में देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रतिभाग किया. जिसके लिए उनको विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरुस्कृत व सम्मानित किया जा चुका है.

इसके अतिरिक्त प्रकाश को कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र व सम्मान मिल चुके हैं. प्रकाश को उत्तराखंड के नारी संघर्ष, पलायन, सामाजिक सरोकारों, वर्तमान परिपेक्ष से जुड़े विषयों पर पेंटिंग बनाना व कलात्मकता पर नये प्रयोग करना अच्छा लगता है. इसके अतिरिक्त प्रकाश के नाम 6 व्यक्तिगत विश्व रिकॉर्ड व तीन सामूहिक, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड जिसको संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रतिष्ठित किताब गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2019 में दर्ज किया है.

Last Updated : Aug 23, 2022, 8:43 AM IST
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