नैनीतालः पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास और अन्य भत्तों को जमा करने के मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई पूरी हो चुकी है. मामले में याचिकाकर्ता ने अपना पूरा पक्ष कोर्ट के सामने रख दिया है. जबकि, ये सुनवाई बीते चार दिनों से चल रही थी. वहीं, अब मामले में राज्य सरकार और पूर्व मुख्यमंत्रियों की ओर से अपना पक्ष रखा जाएगा. जिसके बाद हाई कोर्ट से 18 मार्च को मामले में बड़ा फैसला आएगा.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार के द्वारा जो सरकारी भवन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं, वो गलत है. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.
ये भी पढ़ेंः छात्रवृत्ति घोटाला: हाईकोर्ट ने सचिव समाज कल्याण से मांगा जवाब
इससे पहले सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपये की बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. जिस पर सरकार ने बकाया राशि की जानकारी दी.
इन मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि-
- पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक- 40 लाख 95 हजार रुपये.
- भुवन चंद्र खंडूड़ी- 46 लाख 59 हजार रुपये.
- विजय बहुगुणा- 37 लाख 50 हजार रुपये.
- भगत सिंह कोश्यारी- 47 लाख 57 हजार रुपये.
- वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपये की राशि बकाया था.
वहीं, मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए. जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों से बकाया को माफ करने का फैसला लिया था. जिसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश लाई है, जो गलत है. लिहाजा अध्यादेश को खारिज किया जाए.