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औषधीय गुणों से भरपूर पांगर फल, किसानों की आर्थिकी करेगा मजबूत

Haldwani Pahari Fruit उत्तराखंड में कई फल औषधीय गुणों से भरपूर हैं. ऐसा ही एक फल को कुमाऊं में पांगर के नाम से जाना जाता है. औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इस फल की मार्केट में अच्छी खासी मांग है. स्थानीय काश्तकारों को जिससे अच्छा मुनाफा मिल रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 3, 2023, 12:24 PM IST

Updated : Sep 3, 2023, 12:59 PM IST

औषधीय गुणों से भरपूर पांगर फल

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पादों की भारी मांग रहती है. औषधि से भरपूर यहां के फल और फूल यहां के किसानों के आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं. कुमाऊं में पांगर के नाम से एक फल जाना जाता है, जो कई औषधि गुणों से भरपूर माना जाता है. जो किसानों को आर्थिकी को भी मजबूत कर सकता है.

दक्षिण पूर्व यूरोप का फल चेस्टनेट अथवा पांगर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाता है. स्थानीय लोग इसे पांगर के रूप में जानते हैं. चेस्टनेट मीठा फल होने के साथ औषधीय गुणों की खान है.चेस्टनेट का स्वाद मीठा होता है.औषधीय गुणों की प्रचुर मात्रा होने के कारण इसकी अच्छी खासी मांग है. यह फल 200 से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. जिस कारण यह पहाड़ के काश्तकारों के लिए आजीविका का बेहतर साधन भी हो सकता है. इस फल को पानी में बॉयल कर या आग में पका कर भी खाया जाता है.
पढ़ें-बेहतर क्वालिटी और ग्रेडिंग ना होने से सेब के नहीं मिल रहे दाम, किसान मायूस

कुमाऊं मंडल के नैनीताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर, पदमपुरी आदि इलाकों में इस फल के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं.पांगर फल कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए सी, बी6 से भरपूर है.यह इम्यून सिस्टम के लिए रामबाण बताया जाता है. हृदय रोग के खतरे को कम करने के साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों में भी यह फायदेमंद माना जाता है. चेस्टनेट में कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन सी और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. स्थानीय काश्तकार किशन सिंह बताते हैं कि इसकी मार्केट में अच्छी-खासी मांग है, जिसके चलते बाजार में पांगर 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक आसानी से बिकता है.

इसलिए यह स्वरोजगार का भी साधन बन रहा है. खास बात यह है कि इस फल को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.मई और जून में इसके पेड़ में फूल आते हैं और अगस्त-सितंबर तक फल पक जाते हैं. इस वृक्ष का फल बाहर से नुकीले कांटों की परत से ढका रहता है. फल पकने के बाद यह खुद-ब-खुद गिर जाता है. इसके कांटेदार आवरण को निकालने के बाद इसके फल को निकाल लिया जाता है. इसे हल्की आंच में भुना या उबाला जाता है. फिर इसका दूसरा आवरण चाकू से निकालने के बाद इसके मीठे गूदे को खाया जाता है.

औषधीय गुणों से भरपूर पांगर फल

हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पादों की भारी मांग रहती है. औषधि से भरपूर यहां के फल और फूल यहां के किसानों के आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रहे हैं. कुमाऊं में पांगर के नाम से एक फल जाना जाता है, जो कई औषधि गुणों से भरपूर माना जाता है. जो किसानों को आर्थिकी को भी मजबूत कर सकता है.

दक्षिण पूर्व यूरोप का फल चेस्टनेट अथवा पांगर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बहुतायत में पाया जाता है. स्थानीय लोग इसे पांगर के रूप में जानते हैं. चेस्टनेट मीठा फल होने के साथ औषधीय गुणों की खान है.चेस्टनेट का स्वाद मीठा होता है.औषधीय गुणों की प्रचुर मात्रा होने के कारण इसकी अच्छी खासी मांग है. यह फल 200 से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक बिकता है. जिस कारण यह पहाड़ के काश्तकारों के लिए आजीविका का बेहतर साधन भी हो सकता है. इस फल को पानी में बॉयल कर या आग में पका कर भी खाया जाता है.
पढ़ें-बेहतर क्वालिटी और ग्रेडिंग ना होने से सेब के नहीं मिल रहे दाम, किसान मायूस

कुमाऊं मंडल के नैनीताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर, पदमपुरी आदि इलाकों में इस फल के पेड़ काफी मात्रा में पाए जाते हैं.पांगर फल कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए सी, बी6 से भरपूर है.यह इम्यून सिस्टम के लिए रामबाण बताया जाता है. हृदय रोग के खतरे को कम करने के साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों में भी यह फायदेमंद माना जाता है. चेस्टनेट में कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन सी और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. स्थानीय काश्तकार किशन सिंह बताते हैं कि इसकी मार्केट में अच्छी-खासी मांग है, जिसके चलते बाजार में पांगर 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक आसानी से बिकता है.

इसलिए यह स्वरोजगार का भी साधन बन रहा है. खास बात यह है कि इस फल को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.मई और जून में इसके पेड़ में फूल आते हैं और अगस्त-सितंबर तक फल पक जाते हैं. इस वृक्ष का फल बाहर से नुकीले कांटों की परत से ढका रहता है. फल पकने के बाद यह खुद-ब-खुद गिर जाता है. इसके कांटेदार आवरण को निकालने के बाद इसके फल को निकाल लिया जाता है. इसे हल्की आंच में भुना या उबाला जाता है. फिर इसका दूसरा आवरण चाकू से निकालने के बाद इसके मीठे गूदे को खाया जाता है.

Last Updated : Sep 3, 2023, 12:59 PM IST
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