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फतेहपुर रेंज में 9 महीने बाद स्लो डाउन होगा 'ऑपरेशन बाघ', जानें वजह

फतेहपुर रेंज में ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने का फैसला (Decision to slow down Operation Bagh) लिया गया है. इस ऑपरेशन में अबतक 30 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. करीब 9 महीने बाद ऑपरेशन बाघ स्लो डाउन (Operation Bagh slow down after 9 months) किया जाएगा.

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Published : Nov 7, 2022, 3:32 PM IST

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फतेहपुर रेंज में 9 महीने बाद स्लो डाउन होगा ऑपरेशन बाघ

हल्द्वानी: रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में ऑपरेशन बाघ (Operation Bagh in Fatehpur Range) को करीब 9 महीने बाद स्लो डाउन किया जाएगा. इसके बाद भी वन विभाग की गश्त और सर्च अभियान जारी रहेगा. जून 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक इस क्षेत्र में बाघ के हमले का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. जिसके कारण ऑपरेशन बाघ स्लो डाउन किया जा रहा है.

दिसंबर 2021 से जून 2022 तक 7 लोगों को अपना निवाला बना चुके बाघ को लेकर चलाया जा रहा ऑपरेशन बाद अब स्लो डाउन किया जाएगा. ऑपरेशन बाघ में अब तक करीब 30 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. रामनगर वन प्रभाग के अलावा अन्य रेंज के अधिकारियों को भी यहां बाघ के सर्च ऑपरेशन में लगाया गया.

मुख्य वन संरक्षक से लेकर सीसीएस कुमाऊं ने इस पूरे ऑपरेशन में अपनी ताकत झोंक दी, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. अब वन रक्षक पश्चिमी वृत्त ने मुख्य जीव प्रतिपालक उत्तराखंड को पत्र भेजकर ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने की अनुमति मांगी है. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से सारी टीमें अलर्ट मोड पर रहेंगी. जंगल में लोगों को प्रवेश करने से रोका जाएगा.

पढे़ं- उत्तराखंड की तर्ज पर हिमाचल की जनता भी बदलेगी रिवाज: CM पुष्कर सिंह धामी

ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने के मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि बाघ के हमले का खतरा लगातार बरकरार है. बाघ के हमले में 7 लोगों की जान जाने क़े बाद ग्रामीण लगातार दहशत में हैं. ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में साफ कहा है कि यदि वन विभाग इस ऑपरेशन को स्लो डाउन करता है और इस दौरान बाघ ने किसी घटना को अंजाम दिया तो इसकी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी.
अब तक ऑपरेशन बाघ में क्या-क्या हुआ

  1. 29 दिसंबर 2021 से 16 जून 2022 तक बाघ का आतंक.
  2. इस बीच बाघ ने 7 लोगों को अपना निवाला बनाया.
  3. 15 मार्च 2022 से फतेहपुर के जंगलों में बाघ की तलाश शुरू की गई.
  4. जिसके लिए कॉर्बेट पार्क से दो हाथी लगाए गये.
  5. गुजरात से 30 सदस्य शिकारियों का दल बाघ को ट्रैक करने फतेहपुर रेंज पहुंचे.
  6. इस दल को कोई सफलता नहीं मिली. जिसके बाद दल वापस लौट गया.
  7. 80 कैमरा ट्रैप, 100 से अधिक वन कर्मियों की मदद सर्च ऑपरेशन चलाया गया.

हल्द्वानी: रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में ऑपरेशन बाघ (Operation Bagh in Fatehpur Range) को करीब 9 महीने बाद स्लो डाउन किया जाएगा. इसके बाद भी वन विभाग की गश्त और सर्च अभियान जारी रहेगा. जून 2022 से लेकर नवंबर 2022 तक इस क्षेत्र में बाघ के हमले का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. जिसके कारण ऑपरेशन बाघ स्लो डाउन किया जा रहा है.

दिसंबर 2021 से जून 2022 तक 7 लोगों को अपना निवाला बना चुके बाघ को लेकर चलाया जा रहा ऑपरेशन बाद अब स्लो डाउन किया जाएगा. ऑपरेशन बाघ में अब तक करीब 30 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. रामनगर वन प्रभाग के अलावा अन्य रेंज के अधिकारियों को भी यहां बाघ के सर्च ऑपरेशन में लगाया गया.

मुख्य वन संरक्षक से लेकर सीसीएस कुमाऊं ने इस पूरे ऑपरेशन में अपनी ताकत झोंक दी, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. अब वन रक्षक पश्चिमी वृत्त ने मुख्य जीव प्रतिपालक उत्तराखंड को पत्र भेजकर ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने की अनुमति मांगी है. हालांकि, सुरक्षा की दृष्टि से सारी टीमें अलर्ट मोड पर रहेंगी. जंगल में लोगों को प्रवेश करने से रोका जाएगा.

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ऑपरेशन बाघ को स्लो डाउन करने के मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि बाघ के हमले का खतरा लगातार बरकरार है. बाघ के हमले में 7 लोगों की जान जाने क़े बाद ग्रामीण लगातार दहशत में हैं. ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में साफ कहा है कि यदि वन विभाग इस ऑपरेशन को स्लो डाउन करता है और इस दौरान बाघ ने किसी घटना को अंजाम दिया तो इसकी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी.
अब तक ऑपरेशन बाघ में क्या-क्या हुआ

  1. 29 दिसंबर 2021 से 16 जून 2022 तक बाघ का आतंक.
  2. इस बीच बाघ ने 7 लोगों को अपना निवाला बनाया.
  3. 15 मार्च 2022 से फतेहपुर के जंगलों में बाघ की तलाश शुरू की गई.
  4. जिसके लिए कॉर्बेट पार्क से दो हाथी लगाए गये.
  5. गुजरात से 30 सदस्य शिकारियों का दल बाघ को ट्रैक करने फतेहपुर रेंज पहुंचे.
  6. इस दल को कोई सफलता नहीं मिली. जिसके बाद दल वापस लौट गया.
  7. 80 कैमरा ट्रैप, 100 से अधिक वन कर्मियों की मदद सर्च ऑपरेशन चलाया गया.
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