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85 साल के पूर्व सैनिक ने लिया अंगदान का संकल्प, लोगों से भी की महादान की अपील

पूर्व सैनिक व शिक्षक एनएस फर्त्याल ने मानवता की मिसाल कायम की है. उन्होंने मरणोपरांत अंगदान करने की घोषणा की है. उन्होंने लोगों को भी आगे आने की अपील की है, जिससे किसी दूसरे को जिंदगी मिल सके.

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Published : Apr 8, 2023, 10:16 AM IST

Updated : Apr 8, 2023, 10:22 AM IST

पूर्व सैनिक ने लिया अंगदान का संकल्प

रामनगर: पूर्व सैनिक व शिक्षक एनएस फर्त्याल ने मरणोपरांत अपना अंगदान करने की घोषणा की है. 85 वर्ष की आयु में भी पूर्व सैनिक का जज्बा देखने लायक है. रामनगर के रहने वाले एनएस फर्त्याल अभी अपने पुत्र के साथ शहर में कोचिंग सेंटर भी संचालित करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे मन में कई वर्षों अंगदान को लेकर बात आ रही थी. फर्त्याल ने कहा कि मेरा जीवन किसी के काम आ जाए, इससे बड़ी क्या बात हो सकती है.

उन्होंने कहा कि जब वो सुनते थे कि कोई किडनी, लीवर की वजह से मर गया. कई लोग आंखों से दिव्यांग होते हैं, जिन्हें आंखें दान कर नई जिंदगी दी जा सकती है. इसलिए मैंने अंगदान करने की सोची. एनएस फर्त्याल कहते है अंगदान को महादान बताया जाता है. देश में लाखों लोग किसी न किसी हादसे में शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों को खो देते हैं, लेकिन अगर हर कोई मरणोपरांत अपना अंग दान करें तो किसी न किसी की जिंदगी बचा सकते हैं. बता दें कि पूर्व सेना सैनिक व शिक्षक एनएस फर्त्याल अब दुनिया से जाने के बाद भी लोगों के काम आना चाहते हैं.
पढ़ें-चौबट्टाखाल को सीएम धामी ने दी 129 करोड़ की सौगात, लैंसडाउन का नाम बदलने पर जताई सहमति

सामाजिक कार्यकर्ता गणेश रावत कहते हैं कि वे एक कुशल शिक्षक रहे हैं. उन्होंने 85 वर्ष में ये निर्णय लिया है. कहीं न कहीं उनका ये कदम सभी के लिए प्रेरणा दायक है, जो युवा पीढ़ी है वो भी मोटिवेट होगी. उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा के लिए उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है. जिस तरीके से आज देश में कई लोग कई बीमारियों से जूझ रहे हैं और अगर सभी लोग इस तरीके से निर्णय लेंगे, तो कई सारे लोग इसका लाभ उठा सकेंगे.

पूर्व सैनिक ने लिया अंगदान का संकल्प

रामनगर: पूर्व सैनिक व शिक्षक एनएस फर्त्याल ने मरणोपरांत अपना अंगदान करने की घोषणा की है. 85 वर्ष की आयु में भी पूर्व सैनिक का जज्बा देखने लायक है. रामनगर के रहने वाले एनएस फर्त्याल अभी अपने पुत्र के साथ शहर में कोचिंग सेंटर भी संचालित करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे मन में कई वर्षों अंगदान को लेकर बात आ रही थी. फर्त्याल ने कहा कि मेरा जीवन किसी के काम आ जाए, इससे बड़ी क्या बात हो सकती है.

उन्होंने कहा कि जब वो सुनते थे कि कोई किडनी, लीवर की वजह से मर गया. कई लोग आंखों से दिव्यांग होते हैं, जिन्हें आंखें दान कर नई जिंदगी दी जा सकती है. इसलिए मैंने अंगदान करने की सोची. एनएस फर्त्याल कहते है अंगदान को महादान बताया जाता है. देश में लाखों लोग किसी न किसी हादसे में शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों को खो देते हैं, लेकिन अगर हर कोई मरणोपरांत अपना अंग दान करें तो किसी न किसी की जिंदगी बचा सकते हैं. बता दें कि पूर्व सेना सैनिक व शिक्षक एनएस फर्त्याल अब दुनिया से जाने के बाद भी लोगों के काम आना चाहते हैं.
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सामाजिक कार्यकर्ता गणेश रावत कहते हैं कि वे एक कुशल शिक्षक रहे हैं. उन्होंने 85 वर्ष में ये निर्णय लिया है. कहीं न कहीं उनका ये कदम सभी के लिए प्रेरणा दायक है, जो युवा पीढ़ी है वो भी मोटिवेट होगी. उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा के लिए उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है. जिस तरीके से आज देश में कई लोग कई बीमारियों से जूझ रहे हैं और अगर सभी लोग इस तरीके से निर्णय लेंगे, तो कई सारे लोग इसका लाभ उठा सकेंगे.

Last Updated : Apr 8, 2023, 10:22 AM IST
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