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अवैध पेड़ों के कटान मामले पर हाईकोर्ट सख्त, ग्रामीणों के लकड़ी चुगान पर लगाई रोक

Nainital High Court Stayed on Wood Felling in Bajpar नैनीताल हाईकोर्ट ने कालाढूंगी से बाजपुर के बीच अवैध पेड़ों के कटान मामले में सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने क्षेत्र में अवैध लकड़ी चुगान पर रोक लगा दी है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2023, 8:18 PM IST

नैनीतालः कालाढूंगी से बाजपुर के बीच किए जा रहे अवैध पेड़ों के कटान मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने क्षेत्र वासियों की ओर से किये जा रहे अवैध लकड़ी चुगान पर रोक लगा दी है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2006 के वनाधिकार अधिनियम के तहत किन लोगों को यह अधिकार दिया गया है? इसमें चार हफ्ते के भीतर जवाब पेश करें.

बता दें कि इससे पहले वन विभाग की ओर से पेश किए गए सबूतों पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई थी. जिस पर कोर्ट ने मामले की पैरवी करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ और अधिवक्ता हर्षपाल सेखों को न्यायमित्र नियुक्त किया था. गौर हो कि नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने दिल्ली जाते वक्त कालाढूंगी से बाजपुर के बीच अवैध पेड़ों का कटान नजर आया था. साथ ही स्थानीय लोग लोग लकड़ी का चुगान करते भी दिखे थे. ऐसे में उन्होंने पेड़ों के अवैध कटान का स्वतः संज्ञान लिया.
ये भी पढ़ेंः कालाढूंगी और बाजपुर के बीच अवैध पेड़ों का कटान, HC ने सरकार से मांगा जवाब

इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए संबंधित क्षेत्र के डीएफओ समेत अन्य अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया. कोर्ट ने तराई डीएफओ से पूछा था कि इन लोगों को लकड़ी चुगान के लिए किस नियम के तहत अधिकार दिया गया है और अभी तक कितने लोगों का चालान किया गया है?

वहीं, कोर्ट मामले में डीएफओ से अपना ओरिजनल रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया, लेकिन वो ओरिजनल रिकॉर्ड पेश करने में असफल रहे. जिस पर कोर्ट ने मामले की अहम पैरवी करने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया. आज मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अवैध लकड़ी चुगान पर रोक लगा दी. वहीं, अब हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई एक महीने बाद करेगी.

नैनीतालः कालाढूंगी से बाजपुर के बीच किए जा रहे अवैध पेड़ों के कटान मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने क्षेत्र वासियों की ओर से किये जा रहे अवैध लकड़ी चुगान पर रोक लगा दी है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2006 के वनाधिकार अधिनियम के तहत किन लोगों को यह अधिकार दिया गया है? इसमें चार हफ्ते के भीतर जवाब पेश करें.

बता दें कि इससे पहले वन विभाग की ओर से पेश किए गए सबूतों पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई थी. जिस पर कोर्ट ने मामले की पैरवी करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ और अधिवक्ता हर्षपाल सेखों को न्यायमित्र नियुक्त किया था. गौर हो कि नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ने दिल्ली जाते वक्त कालाढूंगी से बाजपुर के बीच अवैध पेड़ों का कटान नजर आया था. साथ ही स्थानीय लोग लोग लकड़ी का चुगान करते भी दिखे थे. ऐसे में उन्होंने पेड़ों के अवैध कटान का स्वतः संज्ञान लिया.
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इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने मामले की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए संबंधित क्षेत्र के डीएफओ समेत अन्य अधिकारियों को कोर्ट में तलब किया. कोर्ट ने तराई डीएफओ से पूछा था कि इन लोगों को लकड़ी चुगान के लिए किस नियम के तहत अधिकार दिया गया है और अभी तक कितने लोगों का चालान किया गया है?

वहीं, कोर्ट मामले में डीएफओ से अपना ओरिजनल रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया, लेकिन वो ओरिजनल रिकॉर्ड पेश करने में असफल रहे. जिस पर कोर्ट ने मामले की अहम पैरवी करने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया. आज मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अवैध लकड़ी चुगान पर रोक लगा दी. वहीं, अब हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई एक महीने बाद करेगी.

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