नैनीताल: उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने आज शिवालिक कॉरिडोर को डी-नोटिफाइएड करने के मामले पर सुनवाई की. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी की तिथि नियत की है. कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में इस मामले की हुई. आज सुनवाई के दौरान एनएच व राज्य सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि एनएच बनने से राज्य के विकास कार्यों में तेजी आएगी और दिल्ली व यूपी जाने के लिए समय अधिक बचेगा इसलिए जनहित याचिका को निरस्त किया जाय या अतंरिम आदेश को निरस्त किया जाय.
मामले के अनुसार, अमित खोलिया व रेनू पॉल ने जनहित याचिकाएं दायर कर कहा है कि 24 नवम्बर 2020 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रदेश के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार करने लिए शिवालिक एलिफेंट रिजर्व फारेस्ट को डी-नोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया. जिसमें कहा है कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व के डी-नोटिफाइएड नहीं करने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही है. लिहाजा, इसे डी-नोटिफाइएड करना अति आवश्यक है.
पढ़ें- जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने बदला पिता का नाम, जानें क्या रखा अब्बा का नाम
इस नोटिफिकेशन को याचिकाकर्ताओं द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गयी है जबकि, कोर्ट सरकार के इस डी-नोटिफिकेशन के आदेश पर पहले ही रोक लगा चुकी है. याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि शिवालिक एलीफेंट कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है, जो करीब 5405 स्क्वायर वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह वन्यजीव बोर्ड द्वारा भी डी नोटिफाइएड किया गया क्षेत्र है. उसके बाद भी बोर्ड इसे डी नोटिफाइएड करने की अनुमति कैसे दे सकता है?
वहीं, दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली से देहरादून के लिए नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण करने से राजाजी नेशनल पार्क के ईको सेंसटिव जोन का 9 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है, जिसमें लगभग 2500 पेड़ साल के हैं, जिनमें से कई पेड़ 100 से 150 साल पुराने हैं. जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है.