नैनीतालः उत्तराखंड में चारधाम मार्गों के चौड़ीकरण और कर्णप्रयाग रेलवे की पटरी के निर्माण का मलबा, बोल्डर समेत अन्य वेस्टेज सामग्री को नदियों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, सड़क निर्माणकर्ता कंपनी, रेलवे विभाग को नोटिस जारी किया है. साथ ही 6 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है.
गौर हो कि दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा मार्गों पर निर्माण कार्य के दौरान ब्लास्टिंग की जा रही है. साथ ही सड़क कटिंग का मलबा सीधे नदियों में डाला जा रहा है. जिससे नदियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो रहा है. साथ ही पानी भी दूषित हो रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि यात्रा के दौरान कई बार यात्रा को रोक दिया जाता है. इस दौरान पहाड़ों पर सड़क कटिंग और ब्लास्टिंग की जाती है, जो पुरी तरह से असुरक्षित है.
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ब्लास्टिंग के दौरान पीक सीजन में करीब डेढ़ से दो लाख लोगों को रोका जाता है. उसी तरह सड़क, हाइड्रोपावर और रेलवे लाइन बनाने वाली कंपनी बिना सर्वे के आए दिन ब्लास्टिंग कर रही है. जिसकी वजह से जोशीमठ और कर्णप्रयाग में घरों में दरारें आ चुकी हैं. जनहित याचिका में ये भी कहा गया है कि उन्हें और उनके पशुओं को पहले विस्थापित किया जाए. अब हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 अगस्त को करेगा. आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.